Vinayak Jayanti 2022: माघ मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश जंयती के रूप में मनाया जाता है। इस दिन को माघ चतुर्थी, तिलकंड चतुर्थी, माघ विनायक चतुर्थी, वरद चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार इसी दिन भगवान गणेश का जन्म हुआ था। गणेश जी की पूजा किसी भी धार्मिक और मांगलिक कार्यक्रम में सबसे पहले की जाती है। गणेश चतुर्थी इस बार 4 फरवरी को शुक्रवार के दिन मनाई जाएगी। किसी भी मांगलिक और धार्मिक कार्य करने से पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है और उनका आशीर्वाद लिया जाता है। वहीं गणेश जयंती पर भगवान गणेश की पूजा करने से कई गुना फल की प्राप्ति हो सकती है। आइए जानते हैं वो कौन से मंत्र हैं जिनसे मनुष्य को सुख- सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
ये हैं गणेश जी के प्रभावशाली मंत्र:
1- ‘ओम गं गणपतये नमः’: यह मंत्र भगवान गणेश जी के बीज मंत्र ‘गं’ से मिलकर बना है। यह मंत्र सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाला माना जाता है।
2- ओम श्रीं गं सौम्याय गणपतये वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा: इसे लक्ष्मी विनायक मंत्र कहा जाता है। इसके जाप से नौकरी और रोजगार के अवसर बढ़ते हैं, साथ ही काम में तरक्की भी मिलती है।
3- ऊं गजाननं भूंतागणाधि सेवितम्, कपित्थजम्बू फलचारु भक्षणम्
उमासुतम् शोक विनाश कारकम्, नमामि विघ्नेश्वर पादपंकजम्
इस मंत्र का अर्थ है मैं विघ्नेश्वर के चरण कमलों को नमन करता हूं, जिनका चेहरा हाथी जैसा है, हमेशा भगवान, कैथ और जामुन के भूतों द्वारा सेवा की जाती है, जिनके लिए फल पसंदीदा भोजन है, पार्वती के पुत्र हैं, और जो संहारक हैं जीवों के दुखों से।
4- || ऊं गं गणपतये नमो नमः ||
|| श्री सिद्धिविनायक नमो नमः ||
|| अष्टविनायक नमो नमः ||
|| गणपति बाप्पा मोरया ||
इन मंत्रों में भगवान गणेश जिनको गणपत, विनायक, विध्नेश्वर के नामों से भी बुलाया जाता है। इसका का मूल मंत्र है। इस मंत्र की शक्ति से बुराई व विध्न की समाप्ति होती है। यह मंत्र गणेश अथर्वशीर्ष से लिया गया है, जोकि अथर्व ऋषि ने भगवान गणेश के दर्शन के बाद लिखा था।
5- वक्र तुंड महाकाय, सूर्य कोटि समप्रभ:। निर्विघ्नं कुरु मे देव शुभ कार्येषु सर्वदा ॥
इस मंत्र का अर्थ है हे हाथी के समान विशाल, जिसका तेज सूर्य की एक हजार किरणों के समान है। मेरी कामना है कि मेरा काम बिना किसी बाधा के पूरा हो और मेरे लिए हमेशा शुभ रहे। (इसे भी पढ़ें): Shani Gochar: इन 4 राशि वालों पर धन के देवता कुबेर की रहेगी विशेष कृपा, शनि का गोचर हो सकता है शुभ फलदायी
गणेश जयंती पूजा और शुभ मुहूर्त:
चतुर्थी तिथि का प्रारंभ : 04 फरवरी, शुक्रवार, सुबह 04 बजकर 38 मिनट से
चतुर्थी तिथि समापन: 05 फरवरी, शनिवार, सुबह 03 बजकर 47 मिनट तक
शुभ मुहूर्त: 04 फरवरी, शुक्रवार, सुबह 11 बजकर 30 मिनट से दोपहर 01 बजकर 41 मिनट तक
कुल समय: 02 घंटा 11 मिनट
गणेश जयंती पूजा विधि:
- धार्मिक मान्यता है कि पूजा के दौरान गणपति को सिर्फ अक्षत और दूर्वा अर्पित करने से ही वे प्रसन्न हो जाते हैं और आशीर्वाद देते हैं। इसलिए पूजा में अक्षत और दूर्वा (घास) जरूर शामिल करें।
- मान्यता है कि भगवान गणेश को पीला पुष्प और मोदक बेहद प्रिय हैं। इसलिए इस खास दिन उन्हें पीले पुष्प और मोदक (लड्डू) अवश्य भेंट करें।
- शास्त्रों के अनुसार गणेश जी की कृपा पाने के लिए नियमित रूप से उन्हें दूर्वा अर्पित करें। इस बात का ध्यान रखें कि दूर्वा हमेशा गणेश जी के मस्तक पर ही चढ़ानी चाहिए। इससे गणेश जी बहुत जल्द प्रसन्न हो जाते हैं और भक्तों पर कृपा बरसाते हैं।
- भगवान गणेश की निरंतर एकाग्रचित होकर पूजा करने से जीवन में धैर्य का आगमन होता है।
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