हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार भगवान गणेश को सभी देवताओं में प्रथम पूजनीय माना जाता है। मान्यता है कि किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत से पहले भगवान गणेश का पूजन करने से सभी परेशानियां खत्म हो जाती है, इसी कारण से उन्हें संकटमोचन और विघ्नहर्ता कहा जाता है। मान्यता है कि चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की पूजा और व्रत फलदायी होता है। हिंदू पंचाग के अनुसार हर माह में दो बार चतुर्थी का व्रत आता है और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहा जाता है। इस दिन भगवान गणेश के पूजन से विशेष लाभ की प्राप्ति होती है।
विनायक चतुर्थी को वरद चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है। वरद का अर्थ होता है भगवान से किसी भी इच्छा को पूरा करने के लिए प्रार्थना करना। माना जाता है कि जो इस दिन उपवास का पालन करते हैं उन भक्तों को भगवान गणेश ज्ञान और धैर्य के साथ आशीर्वाद देते हैं। बुद्धि और धैर्य दो ऐसे गुण हैं जिनके महत्व को मानव जाति युगों से पहचान बनाए हुए है। जो इन गुणों को पाने की चाहत रखते हैं वो जीवन में प्रगति करता है। विनायक चतुर्थी का पूजन दिन के मध्य में किया जाता है जिसे हिंदू पंचाग के अनुसार मध्यान्ह कहा जाता है। इस दिन संतान की इच्छा रखने वाली महिलाएं व्रत करती हैं।
भगवान गणेश को बुद्धि का देवता भी माना जाता है। जो छात्र विधिपूर्वक भगवान गणेश का पूजन करते हैं वो उनके आशीर्वाद से मेधावी बनते हैं। इस विनायक चतुर्थी जिसे गणेश जयंती के नाम से भी जाना जा रहा है पर भगवान गणेश का पूजन करके चंद्रमा को अर्घ्य देना शुभ माना जाता है। इस दिन भगवान गणेश पर सिंदूर अर्पित और मोदक का भोग लगाना शुभ माना जाता है। गणेश जयंती के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त दिन के 11 बजकर 28 मिनट से लेकर दोपहर के 1 बजकर 46 मिनट तक रहेगा। इस बार गणेश जयंती का योग 20 और 21 जनवरी दोनों दिन रहेगा, 20 जनवरी को दोपहर के 2 बजकर 10 मिनट से लेकर रात के 9 बजकर 7 मिनट तक चंद्रमा के दर्शन करना अशुभ माना जा रहा है। इसी के साथ 21 जनवरी को सुबह के 9 बजकर 43 मिनट से लेकर रात के 9 बजकर 55 मिनट तक चंद्रमा के दर्शन करना अशुभ माना जा रहा है।


