Ganesh Chaturthi 2019: गणेश चतुर्थी साल 2019 में 2 सितंबर को मनायी जायेगी। हिंदू धर्म में किसी भी कार्य की शुरुआत गणेश जी की पूजा के साथ होती है। क्योंकि इन्हें प्रथम पूज्य देवता माना गया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान गणपति का जन्म भादो मास में शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को हुआ था। इस साल ये तिथि 2 सितंबर को पड़ रही है। गणेशोत्सव का पर्व पूरे भारत में बड़े ही धूम धाम के साथ मनाया जाता है। इस मौके पर यहां हम आपको बताने जा रहे हैं इनसे जुड़ी हुई कुछ रोचक बातें…
क्यों कहलाते हैं गणेश? गण का मतलब होता है कोई विशेष समुदाय और ईश का अर्थ है स्वामी। शिवगणों और सभी देवगणों के स्वामी होने के कारण इन्हें गणेश कहा जाता है। ज्योतिषशास्त्र में तीन प्रकार के गण बताए गए हैं देवगण, मनुष्यगण और राक्षसगण। ये तीनों ही गण शिवजी की पूजा करते हैं, बुद्धि के स्वामी होने के कारण गणेश भी तीनों गणों द्वारा पूजित हैं इसलिए भी इन्हें गणेश कहते हैं।
ऐसे बने प्रथम पूज्य देवता – पौराणिक कथा अनुसार एक बार ब्रह्मा जी को जब ‘देवताओं में कौन प्रथम पूज्य हो’ इसका निर्णय लेना था। तब यह तय किया गया कि जो पृथ्वी-प्रदक्षिणा सबसे पहले करके आएगा उसे ही प्रथम पूज्य माना जाएगा। सभी देवता पृथ्वी के चक्कर लगाने के लिए निकल पड़े। गणेश जी ने पृथ्वी के चक्कर लगाने की बजाय अपने पिता शंकर और माता पार्वती जी की प्रदक्षिणा की। यानी माता-पिता को उन्होंने समूचा लोक माना। शिवजी ये देखकर काफी प्रसन्न हुए और आकाश से पुष्पों की बरखा होने लगी। और जाहिर है कि भगवान गणेश शेष देवताओं से सबसे पहले पहुंचे। उनका यह बुद्धि-कौतुक देखकर भगवान ब्रह्मा ने उन्हें प्रथम पूज्य देवता की उपाधि दे दी।
गणेश जी का परिवार – धार्मिक मान्यताओं अनुसार शिवजी को गणेशजी का पिता, पार्वती जी को माता, कार्तिकेय को भाई, ऋद्धि-सिद्धि को उनकी पत्नियां, क्षेम व लाभ को गणेशजी का पुत्र माना गया है। कहीं-कहीं शुभ और लाभ को गणेशजी का पुत्र माना गया है। गणेशजी की एक बहन है जो मनसा देवी कहलाती हैं।
इसलिए कहा गया लंबोदर – गणेश जी के इस नाम के पीछे एक रोचक कहानी है। एक बार इंद्र के साथ लड़ने से गणेश जी को बहुत ज्यादा भूख और प्यास लगी। भूख मिटाने के लिए उन्होंने काफी फल खा लिए और खूब सारा गंगाजल पी लिया। इस तरह उनका पेट काफी बढ़ गया जिस कारण उन्हें लंबोदर के नाम से पुकारा जाने लगा।
गणपति जी की छोटी आंखे – गणेश जी की आंखें छोटी हैं। इनकी आंखों को सूक्ष्म और तीक्ष्ण दृष्टि का सूचक माना जाता है।
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लिखी थी महाभारत – पौराणिक मान्यता अनुसार गणेशजी ने महाभारत लिखी थी। भगवान वेदव्यासजी ने महाभारत की जब पूरी रूपरेखा तैयार कर ली थी तब उन्होंने उसे लिखने के लिए गणेश जी से आग्रह किया। शास्त्रों में ऐसा वर्णन मिलता है कि ब्रह्माजी ने व्यासजी को यह कार्य गणेशजी से करवाने को बोला था। माना जाता है कि गणेशजी ने अपने एक दांत को कलम बनाकर पूरी महाभारत लिखी डाली थी।
ॐ है साक्षात स्वरूप – ॐ को गणेशजी का साक्षात स्वरूप माना गया है। जिस प्रकार हर कार्य से पहले गणेशजी की पूजा की जाती है, ठीक उसी प्रकार प्रत्येक मंत्र के उच्चारण से पहले ॐ को लगाने से उस मंत्र का प्रभाव बढ़ जाता है। गणेश पुराण में गणेशजी को परब्रह्म बताया गया है और ओम गणेशजी के उसी स्वरूप का प्रतीक है।