Ganesh Chaturthi 2025: आज देशभर में गणेश चतुर्थी का पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है। 10 दिन चलने वाला गणेश उत्सव आज से आरंभ हो चुका है। प्रतिवर्ष भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी पड़ती है। इसके साथ ही 10 दिन का गणेश उत्सव आरंभ हो जाता है, जो अनंत चतुर्दशी के दिन समाप्त होता है। इस दौरान गणपकि बप्पा को धूमधाम से घर लेकर आते हैं और नियमित रूप से पूजा करते हैं। इस साल गणेश चतुर्थी 27 अगस्त से आरंभ हो रही है, जो 7 सितंबर तक चलेगी। इस दौरान बप्पा को विधिवत तरीके से घर या फिर भव्य पंडाल में विराजित करते हैं। गणेश उत्सव मुंबई में सबसे ज्यादा धूमधाम से मनाया जाता है। इस साल गणेश चतुर्थी पर सर्वार्थसिद्धि योग से लेकर रवि योग का निर्माण हो रहा है। आइए जानते हैं गणेश चतुर्थी का शुभ मुहूर्त, मूर्ति स्थापना का सही समय, विधि, मंत्र सहित अन्य जानकारी…
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गणेश चतुर्थी 2025 तिथि (Ganesh Chaturthi Date)
हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल गणेश चतुर्थी 27 अगस्त 2025 को मनाई जाएगी। भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी 26 अगस्त को दोपहर 1 बजकर 54 मिनट से आरंभ हो रही है, जो 27 अगस्त को दोपहर 3 बजकर 44 मिनट तक है। ऐसे में उदया तिथि के हिसाब से गणेश उत्सव 27 अगस्त, बुधवार से आरंभ होगा।
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गणेश चतुर्थी पूजा शुभ मुहूर्त 2025 (Ganesh Chaturthi 2025 Puja Shubh Muhurat)
गणेश उत्सव के दिन गणपति की पूजा के लिए सुबह 11:05 से दोपहर 01:40 बजे तक का समय सबसे उत्तम है। इसकी कुल अवधि 2 घंटे 34 मिनट है।
गणेश चतुर्थी 2025 पर खास संयोग
इस साल गणेश चतुर्थी पर काफी खास संयोग बन रहा है। इस दिन प्रीति, सर्वार्थ सिद्धि, रवि के साथ इंद्र, ब्रह्म योग का निर्माण हो रहा है। इसके साथ ही बुधवार के दिन आरंभ होने के कारण ये काफी खास है।
वर्जित चंद्र दर्शन का समय (Ganesh Chaturthi 2025 Moon Timing)
गणेश चतुर्थी के दिन चंद्रमा का दर्शन करना अशुभ माना जाता है। इस दिन चंद्रमा के दर्शन करने से किसी न किसी प्रकार के कलंक का सामना करना पड़ता है। इसलिए एक दिन पूर्व यानी 26 अगस्त से लेकर 27 अगस्त तक चंद्रमा देखने की मनाही है।
वर्जित चन्द्र दर्शन का समय – 26 अगस्त 01:54 पी एम से 08:29 पी एम
अवधि – 6 घंटे 34 मिनट
वर्जित चन्द्र दर्शन का समय – 27 अगस्त 09:28 ए एम से 08:57 पी एम
अवधि – 11 घंटे 29 मिनट
गणेश चतुर्थी पर ऐसे करें मूर्ति स्थापना
- गणेश चतुर्थी के मौके पर अगर आप भी इस बार बप्पा को लेकर आ रहे हैं, तो विधिवत तरीके से आप पूजा अवश्य करें। इसके लिए गणपति को स्थापित करने वाली जगह को साफ सुथरा करें। इसके बाद एक लकड़ी की चौकी रखें । इसके बाद हाथ में जल लेकर मंत्र बोलें – ओम अपवित्र: पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोअपी वा। य: स्मरेत पुण्डरीकाक्षं स बाहान्तर: शुचि:।। फिर इस जल को अपने ऊपर छिड़क लें। इसके बाद तीन बार आचमन करें
- हाथ में जल लें लें और फिर ऊं केशवाय नम: ऊं नारायणाय नम: ऊं माधवाय नमः ॐ हृषीकेशाय नम: को बोलते हुए तीन बार हाथ में जल लेकर मुंह में स्पर्श कराएं और फिर हाथ को सिर में स्पर्श कराएं।
- इसके बाद हाथों को धो लें। सबसे पहले एक चौकी में स्वास्तिक का चिन्ह बना दें। इसके बाद लाल या पीले रंग का वस्त्र डालकर फूल और अक्षत डाल दें। फिर बप्पा की मूर्ति इसमें रख दें। अब बप्पा का आवाहन करें।
- अगर आप गणेश चतुर्थी का व्रत रख रहे हैं, तो सबसे पहले संकल्प लें। इसके लिए दाएं हाथ में फूल, अक्षत, एक सिक्का लें और जल डालकर अपने दोनों हाथ जोड़ सें। इसके साथ ही ‘ ऊं विष्णुर्विष्णुर्विष्णु:, ऊं तत्सदद्य श्री पुराणपुरुषोत्तमस्य विष्णोराज्ञया प्रवर्तमानस्य ब्रह्मणोऽह्नि द्वितीय पराद्र्धे श्री श्वेतवाराहकल्पे सप्तमे वैवस्वतमन्वन्तरे, अष्टाविंशतितमे कलियुगे, कलिप्रथम चचरणे जम्बुद्वीपे भरतखण्डे आर्यावर्तान्तर्गत ब्रह्मवर्तैकदेशे पुण्य (अपने नगर/गांव का नाम लें) क्षेत्रे बौद्धावतारे वीर विक्रमादित्यनृपते : 2079, तमेऽब्दे नल नाम संवत्सरे सूर्य दक्षिणायने, मासानां मासोत्तमे भाद्र मासे शुक्ले पक्षे चतुर्थी तिथौ बुधवासरे चित्रा नक्षत्रे शुक्ल योगे विष्टि करणादिसत्सुशुभे योग (गोत्र का नाम लें) गोत्रोत्पन्नोऽहं अमुकनामा (अपना नाम लें) सकल-पाप-क्षयपूर्वकं सर्वारिष्ट शांतिनिमित्तं सर्वमंगलकामनया– श्रुतिस्मृत्यो- क्तफलप्राप्तर्थं— निमित्त महागणपति पूजन -पूजोपचारविधि सम्पादयिष्ये। मंत्र को बोलें और फिर इसे गणेश जी की चरणों पर रख दें। अब पूजा आरंभ करें।
- फिर पीतल, तांबा या फिर स्टील का लोटे के मुख में कलावा बांध दें और चारों ओर स्वास्तिक बना दें। इसके बाद इसमें साफ जल और गंगाजल भर दें। इसके बाद नारियल को लाल कपड़े से लपेट कर कलावा बांध दें और लोटे के ऊपर में रख दें। इसके बाद कलश में आम का पल्लव, सुपारी, सिक्का रखें। इस कलश को चौकी के दाएं ओर रख दें।
- अब हाथ में चावल और फूल लेकर वरुण देव का कलश में आह्वान करें और ‘ओ३म् त्तत्वायामि ब्रह्मणा वन्दमानस्तदाशास्ते यजमानो हविभि:। अहेडमानो वरुणेह बोध्युरुशंस मान आयु: प्रमोषी:। (अस्मिन कलशे वरुणं सांग सपरिवारं सायुध सशक्तिकमावाहयामि, ओ३म्भूर्भुव: स्व:भो वरुण इहागच्छ इहतिष्ठ। स्थापयामि पूजयामि॥)’ मंत्र बोलें। इस तरह कलश पूजन के बाद सबसे पहले गणेशजी की पूजा करें। हाथ में फूल लेकर गणेश जी का ध्यान करें और ‘गजाननम्भूतगणादिसेवितं कपित्थ जम्बू फलचारुभक्षणम्। उमासुतं शोक विनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वरपादपंकजम्।’ मंत्र पढ़ें।
- इसके बाद गणेश जी की पूजा आरंभ करें। सबसे पहले हाथ में थोड़ा सा अक्षत लेकर गणेश जी का आवाहन मंत्र ‘ऊं गं गणपतये इहागच्छ इह सुप्रतिष्ठो भव।’ पढ़ें और इस गणेश जी के चावल चढ़ दें। इसके बाद पद्न चढ़ाते हुए ॐ सर्वतीर्थसमुद्रणं पाद्यं गन्धादिभिर्युतम् । ॐ विबुद्धि सहिताय नये नमः । भगवान पादयोः पाद्यं समर्पयामि ।। बोलें।
- इसके बाद आर्ध्य समर्पण के साथ ये मंत्र बोलें ॐ गणाध्यक्ष अर्घ्यंऽस्तु गृहाण करुणा फल संयुक्तं गन्धमाल सहिताय महागणाधिपतये नमः । हस्तोरध्ये समर्पयामि ।। इसके बाद स्नान, आचमन, पंचामृत, दूध स्नान आदि का मंत्र पढ़ लें।
- फिर हाथ में थोड़ा सा जल लेकर कहें- ‘एतानि पाद्याद्याचमनीय-स्नानीयं, पुनराचमनीयम् ऊं गं गणपतये नम:।’ जल को पात्र में रख दें। इसके बाद चंदन और श्री खंड अर्पित करें और इस मंत्र को बोले ‘इदम् रक्त चंदनम् लेपनम् ऊं गं गणपतये नम:,’ और ‘इदम् श्रीखंड चंदनम्’। इसके बाद गणपति जी को सिंदूर चढ़ाएं और इस इदं सिन्दूराभरणं लेपनम् ऊं गं गणपतये नम: को बोलें। फिर दूर्वा और बेलपत्र चढ़ाएं और इस मंत्र को बोलें इदं दुर्वादलं ओम गं गणपतये नमः। इदं बिल्वपत्रं ओम गं गणपतये नमः बोलकर ।
- अब गणेश जी को आभूषण और वस्त्र अर्पित करें और इदं रक्त वस्त्रं ऊं गं गणपतये समर्पयामि बोलें।
फिर नैवेद्य, भोग में मोदक , लड्डू आदि चढ़ाएं और ‘इदं नानाविधि नैवेद्यानि ऊं गं गणपतये समर्पयामि:’ और ‘इदं शर्करा घृत युक्त नैवेद्यं ऊं गं गणपतये समर्पयामि: बोलें। - इसके बाद थोड़ा सा जल चढ़ाए और बोंले ‘इदं आचमनीयं ऊं गं गणपतये नमः:’
- अब ताम्बुल यानी पान-सुपारी चढ़ाएं और इदं ताम्बूल पूगीफल समायुक्तं ऊं गं गणपतये समर्पयामि:।’ बोलें।
इसके बाद एक फूल गणपति पर चढ़ाएं और बोलें ‘एष: पुष्पांजलि ऊं गं गणपतये नमः:’। फिर गणपति बप्पा को प्रणाम करें। - इसके बाद गणेश जी की पत्नी रिद्धि और सिद्धि की विधिवत पूजा कर लें।
- इसके बाद घी का दीपक और धूप जलाकर गणेश मंत्र, गणेश चालीसा, गणेश चतुर्थी व्रत कथा का पाठ करने के बाद अंत में आरती करके भूल चूक के लिए माफी मांग लें। इसके बाद विधिवत की तरीके से प्रतिदिन पूजा करें।
गणेश मंत्र (Ganesh Mantra)
वक्रतुंड महाकाय, सूर्य कोटि समप्रभ निर्विघ्नम कुरू मे देव, सर्वकार्येषु सर्वदा।।
- ॐ गं गणपतये नम:।
- ॐ नमो हेरम्ब मद मोहित मम् संकटान निवारय-निवारय स्वाहा।
- ॐ वक्रतुंडा हुं।
- ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ग्लौं गं गणपतये वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा।
- सिद्ध लक्ष्मी मनोरहप्रियाय नमः।
- ॐ श्रीं गं सौभाग्य गणपतये। वर्वर्द सर्वजन्म में वषमान्य नम:।।
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