Gurudev Sri Sri Ravi Shankar.Quotes On Ganesh Chaturthi 2024: भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि के गणेश चतुर्थी का व्रत मनाया जाता है। 10 दिन चलने वाला ये पर्व अनंत चतुर्दशी के दिन बप्पा को विदाई देने के समाप्त हो जाता है। इस दौरान श्री गणेश की की विधिवत पूजा की जाती है। श्री गणेश जिन्हें प्रथम पुज्य कहा जाता है। किसी भी शुभ काम को करने से पहले गणपति जी की पूजा की जाती है, जिससे वह काम सफल हो । गणेश उत्सव देशभर में बहुत ही धूमधाम से मनाया जाने वाला पर्व है। खासकर महाराष्ट्र में। लेकिन आखिर वास्तव में भगवान गणेश कौन है और हम उनके बारे में कितना जानते हैं। भगवान गणेश को प्रथम पूज्य, गौरी पुत्र, शिव शंकर पुत्र , लंबोदर, गजानन जैसे अनगिनत नामों से जानते हैं। लेकिन वास्तव में वह किसके प्रतीक है। गणेश जी का पूर्ण स्वरूप किसी न किसी चीज का प्रतीक माना जाता है। आइए गुरु श्री श्री रवि शंकर जी से जानते हैं कि आखिर गणेश जी की क्या है महत्ता…

गणेश चतुर्थी को भगवान गणेश के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है, लेकिन इस उत्सव के पीछे बहुत गहरा प्रतीकवाद है।

भगवान गणेश ‘अचिंत्य’, ‘अव्यक्त’ और ‘अनंत’ हैं। वे विचारों और अभिव्यक्तियों से परे हैं। वे शाश्वत और सर्वव्यापी हैं। उनके जैसा सुंदर कोई नहीं है ।

आदि शंकराचार्य ने कहा है, ‘अजं निर्विकल्पं निराकारमेकं’। इसका अर्थ यह है कि गणेश जी अजन्में हैं, निराकार हैं और निर्विकल्प अर्थात निर्गुण हैं।

गणेशजी वह ऊर्जा हैं जो इस ब्रह्मांड का कारण हैं, जिनसे सब कुछ प्रकट होता है और यह वही ऊर्जा है जिसमें पूरी दुनिया विलीन हो जाएगी।

गणेश चतुर्थी की पूजा के बाद मूर्तियों को विसर्जित करने की परंपरा इस समझ को मजबूत करती है कि भगवान मूर्ति में नहीं हैं, वे हमारे अंदर हैं। इसलिए साकार स्वरूप में सर्वव्यापी का अनुभव करना और साकार स्वरूप से आनंद प्राप्त करना ही गणेश चतुर्थी का सार है।

गणेश जी के हाथ में ‘मोदक’ परम आनंद की प्राप्ति का प्रतीक है। उनका एक हाथ उन लोगों पर ‘आशीर्वाद’ बरसाता है जो उन पर विश्वास करते हैं । गणेश जी के एक हाथ में ‘पाश’ है जो अनुशासन का प्रतीक है, जबकि दूसरे हाथ में ‘अंकुश’ है जो आत्मनियंत्रण का प्रतीक है।

भगवान गणेश का सिर एक हाथी का है। हाथी के मुख्य गुण हैं ‘बुद्धिमत्ता और सहजता’। हाथी बाधाओं को हटाकर आगे बढ़ते रहते हैं। इसलिए जब हम भगवान गणेश की पूजा करते हैं, तो हमारे भीतर भी ये गुण खिलने लगते हैं, जिससे हम सभी बाधाओं को पार करने में सक्षम हो जाते हैं।

भगवान गणेश ‘शुभ’ (शुभता) और ‘लाभ’ (समृद्धि) के प्रतीक हैं।