आज यानी 22 अगस्त को पूरे देश में गणेश चतुर्थी मनाई जा रही है। जहां एक ओर भगवान गणेश का जन्म उत्सव होने की वजह से इस तिथि को अत्यंत शुभ माना जा रहा है। वहीं दूसरी तरफ शनिवार को गणेश चतुर्थी होने की वजह से लोगों के मन में इसके लिए कईं सवाल हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि शनि दोष से मुक्ति के लिए इस दिन कुछ खास उपायों को करने की मान्यता है। गणेश चतुर्थी की स्टोरी में जानिए ऐसे खास उपायों के बारे में जिन्हें करके शनि दोष से मुक्ति पाई जा सकती है। यानी भगवान शनि के प्रकोप से बचा जा सकता है।
गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश को विराजमान कर संध्या पूजन में उनको काले तिल अर्पित करने से शनिदेव से मिलने वाले दण्डों से बचा जा सकता है। कहते हैं इस उपाय से ढैय्या से मिलने वाले नकारात्मक प्रभाव भी दूर हो जाते हैं।
गणेश चतुर्थी की शाम शनि देव को मोदक और किशमिश का भोग लगाएं। मान्यता है कि यह उपाय करने से शनिदेव के प्रकोप से मुक्ति मिलती है। इस उपाय को बहुत कारगर माना जाता है।
भगवान गणेश को विराजमान कर उनके पास काले वस्त्र में कील उड़द काले तिल और सरसों का तेल बांध कर रख दें। जब भगवान गणेश का विसर्जन करने जाएं। उस शाम शनि देव को उदित गणपति के पास रखा हुआ यह सामान अर्पित करें।
काले रंग का 5 मीटर कपड़ा कपड़ा लें। गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश के सामने उस कपड़े को रखें। गणेश जी से प्रार्थना करें कि उनकी कृपा से ढैय्या और साढ़ेसाती के नकारात्मक प्रभाव से मुक्ति मिल सके। फिर इस वस्तु को किसी कुष्ठ रोगी को दान कर दें।
चतुर्थी की शाम कुष्ठ रोगियों को भोजन करवा कर शनि देव के प्रकोप से बचा जा सकता है। साथ ही जितना संभव हो सके उतनी अधिक कुष्ठ रोगियों की सेवा करें। उन्हें अन्न, धन या वस्त्र आदि दान करें। शनिदेव कुष्ठ रोगियों की सेवा से प्रसन्न होते हैं।
ढाई मीटर पीले रंग का कपड़ा लेकर उससे भगवान गणेश को अर्पित करें। इसके बाद यह कपड़ा ले जाकर किसी निर्धन कन्या को दान दें। इसके साथ ही सवा किलो उड़द की दाल और किसी काले या नीले रंग की मिठाई का दान भी करें।
