Ganesh Chaturthi 2020 Vrat Katha, Puja Vidhi, Muhurat, Samagri, Aarti: इस साल गणेश चतुर्थी का त्योहार 22 अगस्त, शनिवार को मनाया जा रहा है। महाराष्ट्र, गुजरात, मध्यप्रदेश समेत पूरे देश में गणपति का ये पर्व पूरे धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन लोग घरों में संकटहर्ता श्री गणेश को स्थापित करते हैं। वहीं, अनंत चतुर्दशी यानी कि दस दिनों के बाद हर्षोल्लास से उन्हें विदा किया जाता है। कहा जाता है कि विघ्नहर्ता भगवान गणेश का पूजन करने से जीवन में शुभता और सफलता का आगमन होता है। भगवान गणेश को बुद्धि, विवेक और धन-धान्य का स्वामी माना जाता है। मान्यता है कि गणपति को प्रसन्न करने से घर में संपन्नता का वास होता है और सुख-शांति बनी रहती है। गणेश चतुर्थी के दिन बहुत से लोग व्रत रख श्री गणेश की पूजा करते हैं और इस व्रत कथा को जरूर पढ़ते या सुनते हैं…
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एक बार नर्मदा नदी के समीप भगवान शिव और देवी पार्वती बैठे हुए थे, उस दौरान माता पार्वती को चौपड़ खेलने का मन हुआ। पर वहां कोई भी तीसरा व्यक्ति मौजूद नहीं था जो खेल में हार जीत को लेकर निर्णायक की भूमिका अदा कर सके। इस समस्या को सुलझाने के लिए भगवान शिव और माता पार्वती ने एक मिट्टी की मूर्ति बनाकर उसमें जान डाल दी। दोनों ने मिट्टी से बने इस बालक को निर्देश दिया कि वो खेल को अच्छी तरह देखे और अंतिम में किसकी जीत हुई, इस बात का फैसला करे। खेल के दौरान माता पार्वती महादेव को मात देतीं नजर आ रही थीं। पर भूल से बालक ने महादेव को जीता हुआ घोषित कर दिया, जिस पर देवी क्रोधित हो गईं।
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गुस्से में आकर माता पार्वती ने बालक को श्राप दे दिया जिसके प्रभाव से वो लंगड़ा हो गया। अज्ञानतावश हुई अपनी गलती के लिए वो बच्चा देवी से माफी मांगने लगा और उनके समक्ष गिड़गिड़ाने लगा। बालक के लगातार माफी मांगने के कारण माता का दिल पसीज गया। तब उन्होंने उस बच्चे से कहा कि श्राप को वापस लेना तो उनके बस में नहीं है लेकिन उन्होंने श्राप मुक्ति के लिए उस बालक को उपाय बताया। उन्होंने कहा कि इस जगह पर जब नाग कन्याएं आएंगी तो वो तुम्हें उपदेश देंगी, जिसके बाद गणेश जी की अराधना के बाद मैं तुम्हें दर्शन दूंगी।
बालक ने पूरे विधि-विधान से और निष्ठापूर्वक व्रत किया और सच्चे मन से भगवान गणेश की पूजा-अर्चना की। प्रसन्न होकर गणेश जी ने उसकी शिवलोक जाने की इच्छा को पूरा किया। हालांकि, वहां पहुंचकर उन्हें केवल भगवान शिव के ही दर्शन हुए क्योंकि मां पार्वती शिव जी से गुस्सा होकर कैलाश छोड़कर चली गई थीं। बालक से इस व्रत के बारे में जानकर भगवान शिव ने भी माता पार्वती को खुश करने के लिए वो व्रत किया जिसके प्रभाव से पार्वती कैलाश वापस आ गईं।


दिल से जो भी मांगोगे मिले, गाये गणेश जी का दरबार है,देवों के देव वक्रतुंडा महाकाया को अपने हर भक्त से प्यार है..। गणेश चतुर्थी की शुभकामनाएं
गणेश चतुर्थी की पूजा में नीले और काले रंग के कपड़े पहनना निषेध है। लाल और पीले रंग के कपड़े पहनना शुभ होता है। वैसे किसी भी तरह की पूजा में काले रंग के कपड़े पहनने की मनाही है। जबकि लाल, पीला और गुलाबी रंग के कपड़े पहनना शुभ और अच्छा माना जाता है।
हिन्दू धर्म में शास्त्रों के अनुसार किसी भी शुभ काम करने से पहले गणेश भगवान की पूजा की जाती है। इससे प्रसन्न होकर गणेशजी सभी काम असान कर देते है। आइए जानते है गणेश पूजन की सरल विधि जिससे आप भी आसानी से घर पर खुद ही कर सकते हैं।
गणपति की पूजा में नई मूर्ति का इस्तेमाल करें. पुरानी मूर्ति को विसर्जित कर दें. घर में गणेश की दो मूर्तियां भी नहीं रखनी चाहिए.
गणेश चुतर्थी का पर्व आज यानी शनिवार को पूरे देश में मनाया जा रहा है। यह पर्व भगवान गणेश के जन्मदिन के उत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस दिन भगवान गणेश को बुद्धि, समृद्धि और सौभाग्य के देवता के रूप में पूजा जाता है।
वक्र तुंड महाकाय, सूर्य कोटि समप्रभ:।
निर्विघ्नं कुरु मे देव शुभ कार्येषु सर्वदा ॥
अर्थः हे हाथी के जैसे विशालकाय जिसका तेज सूर्य की सहस्त्र किरणों के समान हैं। बिना विघ्न के मेरा कार्य पूर्ण हो और सदा ही मेरे लिए शुभ हो ऐसी कामना करते है।
हिन्दू धर्म में शास्त्रों के अनुसार किसी भी शुभ काम करने से पहले गणेश भगवान की पूजा की जाती है। इससे प्रसन्न होकर गणेशजी सभी काम असान कर देते है। आइए जानते है गणेश पूजन की सरल विधि जिससे आप भी आसानी से घर पर खुद ही कर सकते हैं।
गणेश जी की पूजा के दौरान चावल, सिंदूर, केसर, हल्दी, चन्दन,मौली औऱ लौंग का अर्पण जरूर करें। गणपति पूजा के वक्त दुर्गा की भी स्तुति करें। इसके बिना गणेश पूजा पूरी नहीं होती है। गणेश जी को दक्षिणा अर्पित कर उन्हें 21 लड्डूओं का भोग लगाएं।
गणेश चतुर्थी की पूजा में किसी भी व्यक्ति को नीले और काले रंग के कपड़े नहीं पहनने चाहिए. ऐसे में लाल और पीले रंग के कपड़े पहनना शुभ होता है.
व्रती स्नान करने के बाद ध्यान करके गणपति के व्रत का संकल्प लें। इसके बाद दोपहर के समय लाल कपड़े के उपर गणपति की मूर्ति या फिर उनका चित्र रखें। इसके बाद गंगाजल का छिड़काव करें। फिर भगवान गणेश का आह्वान करें.।
पुराणों में मोदक का वर्णन मिलता है. मोदक का अर्थ खुशी होता है और भगवान श्रीगणेश हमेशा खुश रहा करते थे. इसी वजह से उन्हें गणेश चतुर्थी पर मोदक का भोग लगाया जाता है. भगवान गणेश को ज्ञान का देवता भी माना जाता है और मोदक को भी ज्ञान का प्रतीक माना जाता है. इस वजह से भी उन्हें मोदक का भोग लगाया जाता है
विनायक चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की पूजा करें और उन्हें दुर्वा अर्पित करें। भगवान गणेश को दुर्वा अतिप्रिय होता है। आप नित्य भी गणेश भगवान को दुर्वा अर्पित कर सकते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार दुर्वा अर्पित करने से भगवान गणेश प्रसन्न होते हैं और सभी मनोकामनाओं को पूरा करते हैं।
भगवान गणेश को लाल सिंदूर का तिलक लगाएं। लाल सिंदूर का तिलक लगाने से गणेश भगवान प्रसन्न होते हैं। अपने माथे पर भी सिंदूर का तिलक लगाएं। आप नित्य भी भगवान गणेश को सिंदूर का तिलक लगा सकते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान गणेश को सिंदूर लगाने से शुभ फल की प्राप्ति होती है।
भगवान गणेश को बुद्धि, विवेक और धन-धान्य का स्वामी माना जाता है। मान्यता है कि गणपति को प्रसन्न करने से घर में संपन्नता का वास होता है और सुख-शांति बनी रहती है। गणेश चतुर्थी के दिन बहुत से लोग व्रत रख श्री गणेश की पूजा करते हैं
गणेश जी का वाहन मूषक उनके आदेश पर देवताओं के विवाह मंडप को नष्ट कर देता था, जिससे उनके विवाह में अड़चनें पैदा हो जाती थीं। गणेश जी और मूषक की इस मिलीभगत से सारे देवता परेशान हो गए और अपनी समस्या लेकर गणेश जी के पिता भगवान शिव के पास पहुंचे, लेकिन वहां भी उनकी समस्या का समाधान नहीं हुआ। हालांकि भगवान शिव और देवी पार्वती ने देवताओं से इतना जरूर कहा कि इस समस्या का समाधान ब्रह्मा जी के पास है।
अपना विवाह न होता देख भगवान गणेश उदास रहने लगे। वह जब भी किसी दूसरे देवता के विवाह में जाते तो उन्हें बड़ा दुख होता था, उनके मन को ठेस पहुंचती थी। कहा जाता है कि इस वजह से बाद में गणेश जी ने दूसरे देवताओं के विवाह में भी विघ्न डालना शुरू कर दिया और इस काम में उनका वाहन मूषक उनकी सहायता करता था।
भगवान गणेश का सिर हाथी का और एक दांत टूटा था, इसलिए कहा जाता है कि उनका विवाह नहीं हो पा रहा था। पौराणिक कहानियों के मुताबिक, कोई भी कन्या उनसे विवाह करने को तैयार ही नहीं थी।
इस बार गणेश चतुर्थी के समय दुरुधरा महायोग भी है. दुरुधरा महायोग तब बनता है जब कुंडली में चन्द्रमा जिस भाव में होते है, उसके दूसरे व 12वें भाव में सूर्य को छोड़कर अन्य ग्रह आते हैं. इस बार की गणेश चतुर्थी पर चन्द्रमा तुला राशि में रहेंगे. वहीं बुध, गुरु, शुक्र 12वें भाव व मंगल तथा शनि द्वितीय भाव में रहेंगे
भगवान गणेश को देवताओं में प्रथमपूज्य माना जाता है। कोई भी शुभ काम हो, बिना उनकी पूजा के वह पूरा नहीं होता है। मान्यता है कि भाद्रपद की चतुर्थी को गणेश जी का जन्म हुआ था, इसलिए इस दिन गणेश चतुर्थी त्योहार मनाया जाता है। इस बार 22 अगस्त को यह त्योहार मनाया जा रहा है।
गणपति की पूजा में नई मूर्ति का इस्तेमाल करें. पुरानी मूर्ति को विसर्जित कर दें. घर में गणेश की दो मूर्तियां भी नहीं रखनी चाहिए.
गणपति की पूजा करते वक्त कभी तुलसी के पत्ते नहीं चढ़ाने चाहिए. मान्यता है कि तुलसी ने भगवान गणेश को लम्बोदर और गजमुख कहकर शादी का प्रस्ताव दिया था. गणेश भगवान ने नाराज होकर उन्हें श्राप दिया था
गणेश चतुर्थी पर इस बार ग्रह नक्षत्रों का विशेष संयोग बन रहा है। ज्योतिषीय गणना के मुताबिक गणेश चतुर्थी पर 126 साल बाद सूर्य और मंगल अपनी-अपनी स्वराशि में स्थित हैं। जहां सूर्य अपनी सिंह राशि में है तो वहीं मंगल भी अपनी मेष राशि में बैठा है। दोनों ग्रहों का ये संयोग कुछ राशियों के लिए अत्यंत शुभ है।
भगवान गणेश को लाल सिंदूर का तिलक लगाएं। लाल सिंदूर का तिलक लगाने से गणेश भगवान प्रसन्न होते हैं। अपने माथे पर भी सिंदूर का तिलक लगाएं। आप नित्य भी भगवान गणेश को सिंदूर का तिलक लगा सकते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान गणेश को सिंदूर लगाने से शुभ फल की प्राप्ति होती है।
गणपति के जिस तरह आठ अवतार- वक्रतुंड, एकदंत, महोदर, गजानन, लंबोदर, विकट, विघ्नराज और धूम्रवर्ण माने गए हैं
महाराष्ट्र, गुजरात, मध्यप्रदेश समेत पूरे देश में गणपति का ये पर्व पूरे धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन लोग घरों में संकटहर्ता श्री गणेश को स्थापित करते हैं। वहीं, अनंत चतुर्दशी यानी कि दस दिनों के बाद हर्षोल्लास से उन्हें विदा किया जाता है। कहा जाता है कि विघ्नहर्ता भगवान गणेश का पूजन करने से जीवन में शुभता और सफलता का आगमन होता है।