हिंदू धर्म में गणेश चतुर्थी का विशेष महत्व है। यह दिन भगवान गणेश के जन्म के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। यह त्योहार भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है। यह त्योहार देश के हर एक हिस्से में मनाया जाता है। हालांकि, देश के अलग-अलग हिस्सों में इसे अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है। महाराष्ट्र में गणेश चतुर्थी के बाद 10 दिन बाद तक गणेशोत्सव मनाया जाता है। इस दौरान श्रद्धालु अपने घर में भगवान श्री गणेश की मूर्ति स्थापित करते हैं और पूरे दस दिन इस दौरान गणेश भगवान की पूजा की जाती है। इसके बाद इसके बाद आखिरी दिन यानि अनंत चतुर्दशी के दिन गणपति जी का विसर्जन किया जाता है।
इस बार गणेशोत्सव 10 दिन का ना होकर, 11 दिनों का होगा। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि इस अवधि में दो दशमी तिथि पड़ रही हैं। इस बार 31 अगस्त और एक सितंबर दोनों ही दिन दशमी तिथि रहेगी। गणोत्सव 25 अगस्त से शुरु होकर पांच सितंबर अनंत चतुर्दशी तक चलेगा। हिंदू धर्म में गणेश चतुर्थी का दिन बेहद शुभ माना जाता है। कई लोग इस दिन शुभ कार्य की शुरुआत करते हैं। इसके पीछे मान्यता है कि किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत इस दिन करने से फल अच्छा मिलता है।
गणेश चतुर्थी का साल भर में पड़ने वाली सभी चतुर्थियों में सबसे अहम महत्व है। इस दिन गणेश के भक्त अपने घर में भगवान गणेश को स्थापित करते हैं। बताया जाता है कि इस दिन गणेश जी की पूजा करने से घर में सुख, समृद्धि और संपन्नता आती है। इस दिन कई लोग व्रत रखते हैं। व्रत रखने से भगवान गणेश खुश होते हैं और श्रद्धालूओं की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। गणेश जी की मूर्ति को घर में मंदिर में रखना होता है। इनके लिए मंदिर में एक अलग जगह बनाई जाती है।
बता दें, भगवान गणेश को लेकर कई कथाएं प्रचलित हैं। इनके हाथी का सिर लगने होने के पीछे भी कई पौराणिक कथाएं हैं।
