नरपतदान चारण

अगर कोई सोचता है कि आध्यात्मिक जीवन का पालन केवल जरावस्था के समय ही किया जाना चाहिए या केवल उम्र के अंतिम पड़ाव में ही अध्यात्म का पालन करना ही उचित माना जाता है, अध्यात्म युवावस्था के लिए नहीं है, तो असल में वह गलत सोच विचार हैं। आयुकाल में अध्यात्म की महत्ता के संदर्भ में महर्षि वशिष्ठ की उस बात को देखा जाना चाहिए जो उन्होंने राम से कही थी कि ‘हे राम! मनुष्य को अपने अध्यात्म और आत्मकल्याण का पुरुषार्थ युवावस्था में ही कर लेना चाहिए। क्योंकि बुढ़ापे में तो उसका स्वयं शरीर भी उसका साथ नहीं देता, फिर क्या करेगा।’

दरअसल, जीवन के सुनहरे काल यानी यौवन में अधिकांश लोग अध्यात्म को गैरजरूरी, निषिद्ध और अस्वीकार्य मानते हैं। और कई युवाकाल में ईश्वर वंदन और आध्यात्मिक चर्चा से दूर इसलिए रहते हैं क्योंकि उन्हें अनुशासनहीनता और अकर्मण्यता उचित लगते हैं। उन्हें हमेशा डर लगा रहता हैं कि यदि अध्यात्म को धारण किया तो उन्हें अनुशासन में रहना पड़ेगा, निमित्त नैतिक नियमों का पालन करना पड़ेगा।

इसी डर की वजह से वे स्वच्छंद और तामसिक जीवन जीते हैं और अध्यात्म से दूर भागते रहते हैं। और उम्र के एक पड़ाव में जरूरत होने पर अध्यात्म की राह पर चलते हैं, जैसे कई लोग कर्म करने की स्वतंत्रता के कारण उल्टे-सीधे कर्म करते रहते हैं और जब जरूरत पड़ती हैं तो अपनी मनोकामनाएं लेकर भगवान के आगे नाक रगड़ने पहुंच जाते हैं।

ठीक इसी तरह जीवन के अंतिम पड़ाव में जब मृत्यु के शाश्वत सत्य का आभास होता है और इच्छाओं और मनोकामनाओं से मन विमुक्त होता है, तब वह अध्यात्म को अपनाता है। लेकिन शास्त्र सम्मत सही अर्थ में अध्यात्म जन्म से लेकर उम्र के हर पड़ाव में अपनाए जाने की आवश्यकता होती है ताकि पूरे जीवन का परिष्कार हो सके। अर्थात इस अध्यात्म रूपी ईश्वरीय राजमार्ग की ओर मनुष्य को जितना जल्दी हो सके, चल देना चाहिए। इस संबंध में महाकवि रसखान ने कहा है कि-क्षण भंगुर जीवन की कलिका,कल प्रात को मानो खिली न खिली। कलि काल कुठार लिए फिरता,तन नर्म पे चोट झिली न झिली। ले-ले हरि नाम अरी रसना,फिर अंत समय में हिली न हिली।

अध्यात्म वह है जो मन में उत्साह को प्रज्ज्वलित करता है। यथा युवाओं को आध्यात्मिक जीवन के प्रति यह एहसास करने की जरूरत है कि वे मानवीय गुणों के साथ ही आध्यात्मिक कार्य कर सकते हैं। उन्हें यह एहसास करने की जरूरत है कि उनमें बहुत क्षमता है और वे जीवन में जो कुछ भी हासिल करना चाहते हैं, उसे पाने की शक्ति भी उनमें है। वास्तव में सिर्फ भौतिक वस्तुएं या सुविधाएं किसी को आराम नहीं दे सकती हैं। हर कोई शांति, स्थिरता, चैन और सच्चे प्रेम के लिए तरस रहा है। आध्यात्मिकता उन्हें यह सब प्रदान कर सकती है।