हिंदू धर्म में फाल्गुन अमावस्या का विशेष महत्व है। इस दिन स्नान और दान करने का विशेष महत्व है। साथ ही पितरों के निमित्त इस दिन श्राद्ध कर्म और तर्पण करने का विधान है। मान्यता है इस दिन जो व्यक्ति दान- स्नान और तर्पण करता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। साथ ही जीवन में सुख- समृद्धि की प्राप्ति होती है। साथ ही इस दिन अगर सम्पूर्ण रूप से मौन रहा जाए तो अद्भुत स्वास्थ्य और ज्ञान की प्राप्ति होती है। वहीं पंचांग अनुसार फाल्गुन अमावस्या का पर्व आज 27 फरवरी को मनाया जा रहा है। आइए जानते हैं तिथि और शुभ मुहूर्त…
फाल्गुन अमावस्या 2025 तिथि (Falgun Amavasya 2025 Tithi)
ज्योतिष पंचांग के मुताबिक फाल्गुन अमावस्या तिथि का आरंभ 27 फरवरी को सुबह 08 बजकर 53 मिनट पर होगी। वहीं, अगले दिन यानी 28 फरवरी को सुबह 06 बजकर 13 मिनट पर फाल्गुन अमावस्या का अंत होगा। ऐसे में 27 फरवरी को फाल्गुन अमावस्या का त्योहार मनाया जाएगा।
फाल्गुन अमावस्या 2025 शुभ मुहूर्त
ब्रह्म मुहूर्त – सुबह 05 बजकर 08 मिनट से 05 बजकर 57 मिनट तक
विजय मुहूर्त – दोपहर 02 बजकर 29 मिनट से 03 बजकर 1ृ4 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त – शाम 06 बजकर 17 मिनट से 06 बजकर 43 मिनट तक
निशिता मुहूर्त – रात्रि 12 बजकर 09 मिनट से 12 बजकर 58 मिनट तक
ऐसे करें स्नान और तर्पण
फाल्गुन अमावस्या पर पवित्र नदी और सरोवर में स्नान करना बेहद शुभ माना गया है। वहीं अगर आप नदी पहले बाल्टी में थोड़ा गंगाजल डालें। फिर इसमें पानी डालें. इसके बाद जल को सर पर लगाकर प्रणाम करें। फिर स्नान करना आरम्भ करें। साथ ही स्नान के बाद सूर्य देव को जल दें। इसके बाद लोटे में जल और काले तिल ड़ालकर भगवान शिव को अर्पित करें। इस दौरान शिव जी के नाम का ध्यान करें। वहीं फाल्गुन अमावस्या के दिन पितरों का तर्पण और श्राद्ध करना काफी शुभ माना जाता है। ऐसे पितरों का तर्पण करने के लिए एक लोटे में जल लें और उसमें फूल और काले तिल डाल लें। इसके बाद पितरों को जल अर्पित करें।
फाल्गुन अमावस्या का धार्मिक महत्व
फाल्गुन अमावस्या पर दान- स्नान करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। साथ ही फाल्गुन अमावस्या पर अपनी सामर्थ्य के अनुसार दान अवश्य करना चाहिए। दान करने से सुख- समृद्धि की प्राप्ति होती है। वहीं इस दिन पवित्र नदियों में स्नान कर तर्पण, पिंडदान और पितरों के नाम का भोजन करना से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है और पूरे परिवार पर पितरों का आशीर्वाद बना रहता है।