Mangal Stotra: वैदिक ज्योतिष अनुसार हर दिन किसी न किसी ग्रह और भगवान को समर्पित होता है। जैसे शनिवार के दिन का संबंध शनि देव से होता है। वहीं मंगलवार का संबंध मंगल देव और हनुमान जी से माना जाता है। इसदिन पूजा करने से मंगल देव और बजरंगबली प्रसन्न होते हैं। वहीं ज्योतिष शास्त्र में मंगल ग्रह मजबूत करने हेतु मंगलवार के दिन विधि-विधान से हनुमान जी करने विधान बताया गया है। साथ ही जिन लोगों की कुंडली में मंगल देव निगेटिव हैं या अशुभ स्थित है, वो लोग मंगलवार के दिन हनुमान जी और मंगल देवता की आराधना करते हैं , तो मंगल ग्रह के अशुभ प्रभाव में कमी आती है। वहीं यहां हम बताने जा रहे हैं। मंगल स्त्रोत और कुछ मंत्रों के जाप के बारे में जिनका मंगलवार को पाठ करना अत्यंत मंगलकारी साबित हो सकता है। साथ ही धन- संपत्ति की आपको प्राप्ति हो सकती है। आइए जानते हैं इस स्त्रोत और मंत्रों के बारे में…
मंगल ग्रह कवच
रक्तांबरो रक्तवपुः किरीटी चतुर्भुजो मेषगमो गदाभृत् ।
धरासुतः शक्तिधरश्च शूली सदा ममस्याद्वरदः प्रशांतः ॥
अंगारकः शिरो रक्षेन्मुखं वै धरणीसुतः ।
श्रवौ रक्तांबरः पातु नेत्रे मे रक्तलोचनः ॥
नासां शक्तिधरः पातु मुखं मे रक्तलोचनः ।
भुजौ मे रक्तमाली च हस्तौ शक्तिधरस्तथा ॥
वक्षः पातु वरांगश्च हृदयं पातु लोहितः।
कटिं मे ग्रहराजश्च मुखं चैव धरासुतः ॥
जानुजंघे कुजः पातु पादौ भक्तप्रियः सदा ।
सर्वण्यन्यानि चांगानि रक्षेन्मे मेषवाहनः ॥
या इदं कवचं दिव्यं सर्वशत्रु निवारणम् ।
भूतप्रेतपिशाचानां नाशनं सर्व सिद्धिदम् ॥
सर्वरोगहरं चैव सर्वसंपत्प्रदं शुभम् ।
भुक्तिमुक्तिप्रदं नृणां सर्वसौभाग्यवर्धनम् ॥
रोगबंधविमोक्षं च सत्यमेतन्न संशयः ॥
मंगल स्तोत्र
धरणीगर्भसंभूतं विद्युतेजसमप्रभम ।
कुमारं शक्तिहस्तं च मंगलं प्रणमाम्यहम ।।
ऋणहर्त्रे नमस्तुभ्यं दु:खदारिद्रनाशिने ।
नमामि द्योतमानाय सर्वकल्याणकारिणे ।।
देवदानवगन्धर्वयक्षराक्षसपन्नगा: ।
सुखं यान्ति यतस्तस्मै नमो धरणि सूनवे ।।
यो वक्रगतिमापन्नो नृणां विघ्नं प्रयच्छति ।
पूजित: सुखसौभाग्यं तस्मै क्ष्मासूनवे नम:।।
प्रसादं कुरु मे नाथ मंगलप्रद मंगल ।
मेषवाहन रुद्रात्मन पुत्रान देहि धनं यश:।।
मंगल वैदिक मंत्र
ऊँ अग्निमूर्धादिव: ककुत्पति: पृथिव्यअयम अपा रेता सिजिन्नवति।
मंगल तांत्रिक मंत्र
ऊँ हां हंस: खं ख:
ऊँ हूं श्रीं मंगलाय नम:
ऊँ क्रां क्रीं क्रौं स: भौमाय नम:
मंगल एकाक्षरी बीज मंत्र
ऊँ अं अंगारकाय नम:
ऊँ भौं भौमाय नम:।।
मंगल ग्रह मंत्र
ऊँ धरणीगर्भसंभूतं विद्युतकान्तिसमप्रभम ।
कुमारं शक्तिहस्तं तं मंगलं प्रणमाम्यहम ।।
मंगल गायत्री मंत्र
ॐ अंगारकाय विद्महे शक्ति हस्ताय धीमहि तन्नो भौमः प्रचोदयात्।।