Kaal bhairav Ki Aarti: हिंदू धर्म में काल भैरव भगवान का विशेष महत्व हैं। पौराणिक कथाओं अनुसार मार्गशीर्ष कृष्ण अष्टमी के दिन भगवान शंकर ने भैरव बाबा का अवतार लिया था। इनसे काल भी डरता है इसलिए इन्हें काल भैरव कहा जाता है। आपको बता दें कि मान्यता है जो भी व्यक्ति काल भैरव भगवान की पूजा- अर्चना करता है उसे अज्ञात भय का डर कभी नहीं सताता है। वहीं अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में शनि, राहु और केतु का दोष है तो कालभैरव की पूजा करने से मुक्ति मिलती है। वहीं यहां हम बताने जा रहे हैं काल भैरव की आरती के बारे में, जिसका रोज पाठ करने से काल भैरव भगवान का आशीर्वाद प्राप्त होता है। आइए जानते हैं इस आरती के बारे में…
॥ श्री भैरव देव जी आरती ॥
जय भैरव देवा, प्रभु जय भैरव देवा ।
जय काली और गौर देवी कृत सेवा ॥
॥ जय भैरव देवा…॥
तुम्ही पाप उद्धारक दुःख सिन्धु तारक ।
भक्तो के सुख कारक भीषण वपु धारक ॥
॥ जय भैरव देवा…॥
वाहन श्वान विराजत कर त्रिशूल धारी ।
महिमा अमित तुम्हारी जय जय भयहारी ॥
॥ जय भैरव देवा…॥
तुम बिन देवा सेवा सफल नहीं होवे ।
चौमुख दीपक दर्शन दुःख खोवे ॥
॥ जय भैरव देवा…॥
तेल चटकी दधि मिश्रित भाषावाली तेरी ।
कृपा कीजिये भैरव, करिए नहीं देरी ॥
॥ जय भैरव देवा…॥
पाँव घुँघरू बाजत अरु डमरू दम्कावत ।
बटुकनाथ बन बालक जल मन हरषावत ॥
॥ जय भैरव देवा…॥
बटुकनाथ जी की आरती जो कोई नर गावे ।
कहे धरनी धर नर मनवांछित फल पावे ॥
॥ जय भैरव देवा…॥
इस विधि से करें आरती
शास्त्रों के अनुसार काल भैरव की आरती या तो सुबह करें या फिर गोधूली बेला में करने से लाभ होता है। वहीं काल भैरव की आरती करते वक्त आपका मन और तन दोनों स्वच्छ होना चाहिए। साथ ही आप नहा-धोकर स्वच्छ कपड़े पहनकर काल भैरव की पूजा करें। वहीं काल काल भैरव की पूजा करने से व्यक्ति भय मुक्त रहता है। साथ ही व्यक्ति को धन और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। वहीं काल भैरव दो रूपों में पूजे जाते हैं, जो हैं बटुक भैरव और काल भैरव। जिसमें बटुक भैरव का रूप सौम्य माना गया है। वहीं काल भैरव का रूप थोड़ा रौद्र है।