पौराणिक ग्रन्थों के अनुसार रुद्राक्ष के जन्मदाता स्वयं भगवान शिव को माना जाता है। इसका प्रमाण स्कन्द पुराण, शिव पुराण आदि ग्रन्थों में मिलता है। माना जाता है रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शिव के आंसुओं से हुई है और इनको प्राचीन काल से ही आभूषण की तरह पहना गया है। शिव महापुराण ग्रंथ में कुल सौलह प्रकार के रुद्राक्षों का वर्णन मिलता है। जिसमें एक मुखी रुद्राक्ष अत्यंत दुर्लभ माना गया है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं एक मुखी रुद्राक्ष के बारे में और किन राशि वालों को यह पहनना चाहिए और इनकी पहचान…
एक मुखी रुद्राक्ष का महत्व और लाभ:
पूरे ब्रह्मांड की कल्याणकारी वस्तुओं में एकमुखी रुद्राक्ष का नाम सर्वप्रथम आता है। इसके प्रभाव से मनुष्य अपनी इंद्रियों को वश में कर ब्रह्म ज्ञान की प्राप्ति की ओर अग्रसर होता है।धन प्राप्ति में भी एकमुखी रुद्राक्ष फायदेमंद साबित होता है। एक मुखी रुद्राक्ष को बहुत ही प्रभावशाली होता है। इसे आध्यात्मिक उन्नति और एकाग्रता के लिए धारण किया जाता है। वहीं, छात्रों के लिए भी बहुत ही लाभकारी है। मान्यता है कि इसे धारण करने से व्यक्ति का आत्मविश्वास बढ़ता है। वहीं जिनकी कुंडली में सूर्य ग्रह कमजोर स्थिति में विराजमान होते हैं। उन लोगों को एक मुखी रुद्राक्ष धारण करने की सलाह दी जाती है। एक मुखी रुद्राक्ष ब्लडप्रेशर और दिल से संबंधित रोगों से भी बचाता है। एक मुखी रुद्राक्ष नेपाल और इंडोनेशिया का आता है।
इस राशि के लोगों के लिए रहता है अत्यंत लाभकारी:
वैसे तो एक मुखी रुद्राक्ष कोई भी धारण कर सकता है। लेकिन एक मुखी रुद्राक्ष का संबंध सूर्य देवता से है। इसलिए सिंह राशि वालो के लिए यह धारण करना ज्यादा फायदेमंद रहता है।
ऐसे करें असली रुद्राक्ष की पहचान:
एक मुखी रुद्राक्ष अर्द्ध चन्द्रमा या काजू के आकार जैसा दिखता है जिसमें केवल एक ही धारी पाई जाती है। यदि 1 मुखी रुद्राक्ष की पहचान अच्छे से करनी हो तो इसके लिए गर्म पानी में रुद्राक्ष को उबालें। अगर वह अपना रंग छोड़ने लगे तो वह रुद्राक्ष असली नहीं है। साथ ही रुद्राक्ष की पहचान का तीसरा तरीका है रुद्राक्ष को सरसों के तेल में डालें यदि वह पहले रंग से अधिक गहरा प्रतीत हो तो वह असली है।
