Eid-Ul-Fitr 2024 Date History, Significance and Importance: इस्लामिक कैलेंडर में दो अलग-अलग ईद त्योहारों का वर्णन हैं। जिन्हें ईद-अल-फितर और ईद-अल-अधा के नाम से जाना जाता है।  ईद-उल-फितर रमजान के पवित्र महीने के अंत और इस्लामी कैलेंडर के 10वें महीने यानी शव्वाल के शुरुआत के प्रतीक के रूप में मनाते हैं। वहीं, ईद अल-अधा ज़ुल हिज्जा की बात करें, तो यह हज यात्रा और कुर्बानी के बाद आता है, जो  12वें महीने के 10वें दिन होता है। ईद – उल – फितर की बात करें, तो इस पर्व को देश-दुनियाभर के मुसलमान बहुत ही धूमधाम से मनाते हैं। रमजान के पूरे एक महीने  मुस्लिम समुदाय के लोग संयम और अल्लाह के प्रति समर्पण का प्रतीक मानते हैं। आइए जाने हैं कब है ईद-उल-फितर …

ईद-उल-फितर का की बात करें, तो फितर शब्द अरबी के फतर शब्द से बना है जिसका अर्थ है तोड़ना। जिसका मतलब हुआ उपवास को तोड़ना।  इस दिन इबादत करने के साथ मेल-मिलाप किया जाता है। इसके साथ ही विभिन्न तरह के व्यंजनों को बनाया जाता है।

चांद के दीदार के बाद ईद-उल-फितर की तारीख होती है तय

मुस्लिम समुदाय के अनुयायी के लिए ईद-उल-फितर काफी अहम होता है। यह चंद्रमा पर आधारित कैलेंडर का पालन करना होता है। रमज़ान के पवित्र माह में सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक रोज़ा रखते हैं। इसके बाद इफ्तार करते हैं। ईद की तारीख चांद के दीदार करने के बाद तय की जाती है। इसलिए हमेशा ईद एक दिन आगे-पीछे होती रहती हैं।

इस साल कब है ईद?

चांद देखकर ईद का दिन करने वालों के लिए ये त्योहार आज यानी 10 अप्रैल या फिर 11 अप्रैल को हो सकता है। सऊदी अरब में भारत से एक पहले ईद का पर्व मनाया जाता है। बता दें कि चंद्रमा का महीना 29 या 30 दिन का होता है और ईद इस बात पर निर्भर करती हैं कि नया चांद कब दिखाई देता है।

अगर 29वें दिन नया चांद दिख जाता है, तो अगले दिन ईद मनाई जाती है और अगर 30वें दिन या चांद दिखता है, तो उसके अगले दिन ईद का पर्व मनाते हैं।  

ईद का इतिहास

मान्यता है कि पहली बार ईद का पर्व 624 ईसवी में मनाई गई थी। इस दिन पैगंबर हजरत मुहम्मद ने बद्र की लड़ाई में जीत हासिल की थी। इसलिए उस युद्ध को जंग-ए-बदर कहा जाता है। उस युद्ध में मुसलमानों की जीत हुई थी। इसके कारण इस दिन  एक-दूसरे का मुंह मीठा कराया गया था। इसी के कारण ईद-उल-फितर को मीठी ईद भी कहा जाता है। इसके अलावा इसी दिन पैगंबर मुहम्मद को पहली बार पवित्र कुरान के रहस्योद्घाटन का आशीर्वाद मिला था।

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