Eid-e-Milad-un-Nabi 2020 Date in India: ईद-ए-मिलाद 2020 में 29 अक्तूबर और 30 अक्तूबर को मनाई जाएगी। यह इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक तीसरे महीने में मनाया जाता है। इस दिन को ईद मिलाद-उन-नबी (Milad un-Nabi/Id-e-Milad) भी कहा जाता है। सूफी या बरेलवी मुस्लिम अनुयायी इस दिन को बहुत खास मानते हैं।
ईद-ए-मिलाद को इस्लाम धर्म के अंतिम पैगंबर यानी पैगंबर मोहम्मद की जयंती के रूप में मनाया जाता हैं। ईद मिलाद-उन-नबी को अरबी भाषा में नबीद और मावलिद भी कहा जाता हैं। अरबी भाषा में इसका शाब्दिक अर्थ ‘जन्म’ और ‘मिलाद-उन-नबी’ का मतलब ‘हजरत मुहम्मद साहब का जन्मदिन’ बताया जाता है।
29 अक्तूबर से भारत में शुरू होगा ईद-ए-मिलाद और 30 अक्टूबर की शाम को संपन्न होगा। जबकि सऊदी अरब में ईद 29 अक्तूबर को मनाई जाएगी और बांग्लादेश, पाकिस्तान, श्रीलंका और उपमहाद्वीप के अन्य हिस्सों सहित भारत में 30 अक्तूबर को ईद मनाई जाएगी। इस्लाम धर्म को मानने वाले लोग मोहम्मद साहब के प्रति बहुत आदर-सम्मान और श्रद्धा के भाव रखते हैं। मान्यता है कि मोहम्मद पैगंबर को खुद अल्लाह ने फरिश्ते जिब्रईल के माध्यम से कुरान का संदेश दिया था।
ईद-ए-मिलाद का इतिहास (Eid-e-Milad Importance)
इस्लामिक मान्यताओं के मुताबिक 571 ई में इस्लाम के तीसरे महीने यानी रबी-अल-अव्वल की 12वीं तारीख को इस्लाम के अंतिम पैगंबर यानी पैगंबर हजरत मोहम्मद का जन्म हुआ था और इसी रबी-उल-अव्वल के 12वें दिन ही पैगम्बर मोहम्मद साहब का इंतकाल भी हो गया था। पैगंबर हजरत मोहम्मद का पूरा नाम मोहम्मद इब्न अब्दुल्लाह इब्न अब्दुल मुत्तलिब था।
बताया जाता है कि इनका जन्म मक्का में हुआ था और 610 ई. में मक्का स्थित हीरा नाम की एक गुफा में इन्हें ज्ञान प्राप्त हुआ था। ज्ञान प्राप्ति के बाद ही पैगंबर मोहम्मद साहब ने इस्लाम धर्म के पवित्र ग्रंथ कुरान की शिक्षाओं का उपदेश दिया था। उन्होंने कुरान की शिक्षाओं में कहा है कि बेहतरीन इंसान वही है, जिसमें मानवता के लिए भलाई और नेक विचार होते हैं और जो ज्ञान का सम्मान करता है, वही मेरा आदर करता है।
ज्ञानी अगर अज्ञानियों के बीच रहता है तो यह बिल्कुल वैसा ही होगा जैसे मुर्दों के बीच जिंदा इंसान भटक रहा हो। हजरत मोहम्मद का मानना था कि अगर कोई गलत तरीके से कैद किया गया हो तो उसे मुक्त कराओ। निर्दोष को सजा नहीं मिलनी चाहिए। उनका कहना था कि भूख, गरीब और संकट से जूझ रहे व्यक्ति की मदद करो, फिर वह चाहे मुसलमान हो या किसी अन्य धर्म को मानने वाला हो। पैगंबर इंसान को इंसानियत और नैकी की शिक्षा देते हैं।