Eid Al-Adha 2025: इस्लामिक कैलेंडर में 12 महीने होते हैं और इसका धुल्ल हिज इसका अंतिम महीना होता है और इसी महीने की दसवीं तारीख को ईद उल अजहा यानी बकरीद का पर्व मनाया जाता है। आज देशभर में बकरीद का पर्व मनाया जा रहा है। मुस्लिम समुदाय के लोग नमाज अदा करने के साथ एक-दूसरे को बधाई देने के साथ बकरे या अन्य जानवर की कुर्बानी दे रहे हैं।
ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि के साथ शनिवार का दिन है। इसके साथ ही आज शुभ योगों का भी निर्माण हो रहा है। पंचांग के अनुसार, द्वादशी तिथि पूरे दिन रहने वाली है। इसके साथ ही आज चित्रा, स्वाति नक्षत्र के साथ वरीयान, परिघ, सर्वार्थ सिद्धि योग के साथ द्विपुष्कर योग का निर्माण हो रहा है। आज का दिन कई राशि के जातकों के लिए खास हो सकता है, क्योंकि कर्मफल दाता शनि अपने नक्षत्र उत्तरा भाद्रपद के दूसरे पद में प्रवेश कर जाएंगे। ऐसे में कई राशियों की किस्मत चमक सकती है। इसके साथ ही आज देशभर में बकरीद का पर्व मनाया जा रहा है। आइए जानते हैं आज का पंचांग, राहुकाल, शुभ-अशुभ समय से लेकर राशिफल तक…
देशभर में आज मनाया जा रहा बकरीद का पर्व, जानें आज क्यों दी जाती है कुर्बानी?
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ब्रह्म मुहूर्त- 04:02 ए एम से 04:42 ए एम
अभिजित मुहूर्त- 11:52 ए एम से 12:48 पी एम
विजय मुहूर्त- 02:39 पी एम से 03:35 पी एम
गोधूलि मुहूर्त- 07:16 पी एम से 07:36 पी एम
सायाह्न सन्ध्या- 07:17 पी एम से 08:18 पी एम
अमृत काल- 02:47 ए एम, जून 08 से 04:35 ए एम, जून 08
निशिता मुहूर्त- 12:00 पी एम से 12:40 ए एम, जून 08
द्विपुष्कर योग- 05:23 ए एम से 09:40 ए एम
सर्वार्थ सिद्धि योग- 09:40 ए एम से 05:23 ए एम, जून 08
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ईद उल अजहा या बकरीद की नमाज 5 वक्त की होती है। इसे बकरीद की नमाज कहा जाता है।
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बकरीद से कुछ दिन पहले बकरा खरीदकर मुस्लिम समुदाय के लोग घर ले आते हैं और उसे रोजाना खाना-पीना कराते हैं। उसका पालन पोषण बिल्कुल अपने बच्चे की तरह करते हैं। इसके पीछे कारण है कि आप जब कुछ दिन पहले बकरे को ले आते हैं, तो उसका लालन-पालन करने से आपके अंदर उसके प्रति प्रेम जाग जाता है। जिस तरह हज़रत इब्राहीम का अपने बेटे के प्रति प्रेम था। फिर बाद में दुआ पढ़कर अल्लाह का नाम लेकर ज़बह कर देते हैं। बकरीद का पर्व हजरत इब्राहिम की सुन्नत की याद में मनाया जाता है।
इस्लामिक मान्यताओं के मुताबिक, एक बार अल्लाह ने पैगंबर हज़रत इब्राहीम की परीक्षा लेने की सोची। ऐसे में उन्होंने हज़रत इब्राहीम को ख्वाब (सपने) के जरिए अपनी एक प्यारी चीज अल्लाह की राह कुर्बान करने के लिए कहा। जब हज़रत इब्राहीम उठे, तो वह इस सोच में पड़ गए कि आखिर उनके लिए सबसे प्रिय चीज क्या है? बता दें कि हज़रत इब्राहीम अपने इकलौते बेटे इस्माइल को सबसे अधिक प्रेम करते थे। वहीं एक चीज है जिसे वह सबसे अधिक प्रेम करते थे। लेकिन अल्लाह की मांग को पूरा करने के लिए वह अपने बेटे को कुर्बान करने के लिए तैयार हो गए। जब वह अपने बेटे को लेकर कुर्बान करने के लिए जा रहे थे, तो उन्हें एक शैतान मिला। जिसने हज़रत इब्राहीम से कहा कि आप अपने बेटे को क्यों कुर्बान कर रहे हैं इसके बदले किसी जानवर की कुर्बानी दे दें।
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