Chaitra Navratri 2025, Durga Ashtami Puja Vidhi, Shubh Muhurat: चैत्र नवरात्रि के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को दुर्गा अष्टमी और महाष्टमी के नाम से जाना जाता है। नवरात्रि के आठवें दिन मां दुर्गा के आठवें स्वरूप मां महागौरी की पूजा-अर्चना करने का विधान है। इसके साथ ही इस दिन कन्या पूजन करने से कई गुना अधिक फलों की प्राप्ति होती है। इस साल महाष्टमी के दिन सर्वार्थसिद्धि, लक्ष्मी नारायण, पंचग्रही जैसे कई राजयोगों का निर्माण हो रहा है, जिससे इस अवधि में मां दुर्गा की पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति हो सकती है। आइए जानते हैं महाष्टमी का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, मंत्र, कथा, आरती सहित अन्य जानकारी…
श्री रामचन्द्र कृपालु भजु मन हरण भव भय दारुणं।नव कंजलोचन, कंज – मुख, कर – कंज, पद कंजारुणं।।कंन्दर्प अगणित अमित छबि नवनील – नीरद सुन्दरं।पटपीत मानहु तडित रुचि शुचि नौमि जनक सुतवरं।।भजु दीनबंधु दिनेश दानव – दैत्यवंश – निकन्दंन।रधुनन्द आनंदकंद कौशलचन्द दशरथ – नन्दनं।।सिरा मुकुट कुंडल तिलक चारू उदारु अंग विभूषां।आजानुभुज शर – चाप – धर सग्राम – जित – खरदूषणमं।। इति वदति तुलसीदास शंकर – शेष – मुनि – मन रंजनं।मम हृदय – कंच निवास कुरु कामादि खलदल – गंजनं।।मनु जाहिं राचेउ मिलहि सो बरु सहज सुन्दर साँवरो।करुना निधान सुजान सिलु सनेहु जानत रावरो।।एही भाँति गौरि असीस सुनि सिया सहित हियँ हरषीं अली।तुलसी भवानिहि पूजी पुनिपुनि मुदित मन मन्दिरचली।।दोहाजानि गौरी अनुकूल सिय हिय हरषु न जाइ कहि।मंजुल मंगल मूल बाम अंग फरकन लगे।।
पंचांग के अनुसार, 6 अप्रैल को रामनवमी का शुभ मुहूर्त सुबह 11 बजकर 8 मिनट से दोपहर 1 बजकर 39 मिनट तक रहेगा। पूजा मुहूर्त की कुल अवधि करीब 2 घंटे 31 मिनट होगी।
चैत्र शुक्ल नवमी तिथि का आरंभ- 5 अप्रैल 2025, शनिवार को शाम 7 बजकर 26 मिनट सेचैत्र शुक्ल नवमी तिथि समाप्त- 6 अप्रैल 2025, रविवार को शाम 7 बजकर 22 मिनट तकराम नवमी तिथि- 6 अप्रैल 2025
पंचांग के अनुसार, राम नवमी पर काफ़ी शुभ संयोग का निर्माण हो रहा है।
आइए जानते हैं राम नवमी का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि अन्य जानकारी
ॐ देवी महागौर्यै नमः॥
सर्वमङ्गल माङ्गल्ये सर्वार्थ साधिके। शरण्ये त्र्यम्बके गौरी नारायणी नमोsस्तुते।।
श्वेते वृषेसमारूढा श्वेताम्बरधरा शुचिः। महागौरी शुभं दद्यान्महादेव प्रमोददा॥
या देवी सर्वभूतेषु माता महा गौरी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
नवरात्रि के आठवें दिन यानी अष्टमी को मां महागौरी को नारियल का भोग लगाना चाहिए। इसके अलावा माता गौरी को नारियल की बर्फी और लड्डू का भोग भी लगाएं।
महानवमी तिथि आरंभ 5 अप्रैल को शाम 7 बजकर 26 मिनट से, जो 6 अप्रैल को शाम 7 बजकर 22 मिनट है। ऐसे में रामनवमी 6 अप्रैल को होगी।
सुबह 06 बजकर 07 मिनट पर सूर्योदय
शाम 06 बजकर 41 मिनट पर सूर्यास्त
दोपहर 11 बजकर 41 मिनट पर चन्द्रोदय
देर रात 02 बजकर 19 मिनट पर चंद्रास्त
ब्रह्म मुहूर्त - सुबह बजकर 35 मिनट से 5 बजकर 21 मिनट तक
विजय मुहूर्त - दोपहर के समय 2 बजकर 30 मिनट से 3 बजकर 20 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त – शाम 6 बजकर 40 मिनट से 7 बजकर 3 मिनट तक
निशिता मुहूर्त - रात्रि 12 बजकर 1 मिनट से 12 बजकर 46 मिनट तक
मैया तेरे दरबार की महिमा निराली है
मैया तेरे दरबार की महिमा निराली है,
भरते हैं यहां दामन, कोई जाता ना खाली है,
मैया तेरे दरबार की महिमा निराली है,
निराली है, निराली है, निराली है, निराली है,
मैया तेरे दरबार की महिमा निराली है……
जिसे दुनिया ठुकराए, उसे मैया अपनाए,
जो शरण में आ जाए, तो रोज दिवाली है,
मैया तेरे दरबार की महिमा निराली है…..
यह अद्भुत धाम तेरा,यहां भक्तों का डेरा,
अपने भक्तों की मैया,करती रखवाली है,
मैया तेरे दरबार की महिमा निराली है……
बिन मांगे ही पूरी, हर ख्वाहिश होती है,
यहां सारे मिट जाते, आती खुशहाली है,
मैया तेरे दरबार की महिमा निराली है,
निराली है, निराली है, निराली है, निराली है….
वन्दे वांछित कामार्थे चन्द्रार्घकृत शेखराम्।सिंहरूढ़ा चतुर्भुजा महागौरी यशस्वनीम्॥पूर्णन्दु निभां गौरी सोमचक्रस्थितां अष्टमं महागौरी त्रिनेत्राम्।वराभीतिकरां त्रिशूल डमरूधरां महागौरी भजेम्॥पटाम्बर परिधानां मृदुहास्या नानालंकार भूषिताम्।मंजीर, हार, केयूर किंकिणी रत्नकुण्डल मण्डिताम्॥प्रफुल्ल वंदना पल्ल्वाधरां कातं कपोलां त्रैलोक्य मोहनम्।कमनीया लावण्यां मृणांल चंदनगंधलिप्ताम्॥
कन्या पूजन के दौरान कन्याओं की पूजा करने के साथ में भोजन कराने के बाद अंत में अपनी योग्यता अनुसार कुछ ना कुछ भेंट दें। आप चाहे तो मां दुर्गा से संबंधित इन चीजों को गिफ्ट में दे सकते हैं।बिंदीलाल रंग की चुनरीपेंसिल, कॉपी, पेंसिल बॉक्सचूड़ीपायलधार्मिक पुस्तकेंअपनी योग्यता के अनुसार धन
नमो नमो दुर्गे सुख करनी।नमो नमो दुर्गे सुख करनी।नमो नमो दुर्गे दुःख हरनी॥निरंकार है ज्योति तुम्हारी।तिहूं लोक फैली उजियारी॥शशि ललाट मुख महाविशाला।नेत्र लाल भृकुटि विकराला॥रूप मातु को अधिक सुहावे।दरश करत जन अति सुख पावे॥तुम संसार शक्ति लै कीना।पालन हेतु अन्न धन दीना॥अन्नपूर्णा हुई जग पाला।तुम ही आदि सुन्दरी बाला॥प्रलयकाल सब नाशन हारी।तुम गौरी शिवशंकर प्यारी॥शिव योगी तुम्हरे गुण गावें।ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावें॥रूप सरस्वती को तुम धारा।दे सुबुद्धि ऋषि मुनिन उबारा॥धरयो रूप नरसिंह को अम्बा।परगट भई फाड़कर खम्बा॥रक्षा करि प्रह्लाद बचायो।हिरण्याक्ष को स्वर्ग पठायो॥लक्ष्मी रूप धरो जग माहीं।श्री नारायण अंग समाहीं॥क्षीरसिन्धु में करत विलासा।दयासिन्धु दीजै मन आसा॥हिंगलाज में तुम्हीं भवानी।महिमा अमित न जात बखानी॥मातंगी अरु धूमावति माता।भुवनेश्वरी बगला सुख दाता॥श्री भैरव तारा जग तारिणी।छिन्न भाल भव दुःख निवारिणी॥केहरि वाहन सोह भवानी।लांगुर वीर चलत अगवानी॥कर में खप्पर खड्ग विराजै।जाको देख काल डर भाजै॥सोहै अस्त्र और त्रिशूला।जाते उठत शत्रु हिय शूला॥नगरकोट में तुम्हीं विराजत।तिहुंलोक में डंका बाजत॥शुंभ निशुंभ दानव तुम मारे।रक्तबीज शंखन संहारे॥महिषासुर नृप अति अभिमानी।जेहि अघ भार मही अकुलानी॥रूप कराल कालिका धारा।सेन सहित तुम तिहि संहारा॥परी गाढ़ संतन पर जब जब।भई सहाय मातु तुम तब तब॥अमरपुरी अरु बासव लोका।तब महिमा सब रहें अशोका॥ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी।तुम्हें सदा पूजें नर-नारी॥प्रेम भक्ति से जो यश गावें।दुःख दारिद्र निकट नहिं आवें॥ध्यावे तुम्हें जो नर मन लाई।जन्म-मरण ताकौ छुटि जाई॥जोगी सुर मुनि कहत पुकारी।योग न हो बिन शक्ति तुम्हारी॥शंकर आचारज तप कीनो।
काम अरु क्रोध जीति सब लीनो॥
निशिदिन ध्यान धरो शंकर को।
काहु काल नहिं सुमिरो तुमको॥
शक्ति रूप का मरम न पायो।
शक्ति गई तब मन पछितायो॥
शरणागत हुई कीर्ति बखानी।
जय जय जय जगदम्ब भवानी॥
भई प्रसन्न आदि जगदम्बा।
दई शक्ति नहिं कीन विलम्बा॥
मोको मातु कष्ट अति घेरो।
तुम बिन कौन हरै दुःख मेरो॥
आशा तृष्णा निपट सतावें।
रिपू मुरख मौही डरपावे॥
शत्रु नाश कीजै महारानी।
सुमिरौं इकचित तुम्हें भवानी॥
करो कृपा हे मातु दयाला।
ऋद्धि-सिद्धि दै करहु निहाला।
जब लगि जिऊं दया फल पाऊं।
तुम्हरो यश मैं सदा सुनाऊं॥
दुर्गा चालीसा जो कोई गावै।
सब सुख भोग परमपद पावै॥
देवीदास शरण निज जानी।
करहु कृपा जगदम्ब भवानी॥
॥ इति श्री दुर्गा चालीसा सम्पूर्ण ॥
चैत्र अष्टमी या फिर नवमी तिथि को आपने हवन आदि करा लिया होगा। आप चाहे, तो दशमी तिथि को भी हवन आदि करा सकते हैं। इसके साथ ही मां दुर्गा और उनके स्वरूपों की विधिवत पूजा करने के साथ दुर्गा सप्तशती का पाठ कर लें। अगर आपने कलश रखा है, तो उसे हटा दें और उसके पानी को पूरे घर में छिड़क दें। अगर अब भी अखंड ज्योति जल रही है, तो उसे जलने दें। जब घी खत्म हो जाए, तो फिर उसकी बाती को जल में प्रवाहित कर दें। इसके साथ ही मां दुर्गा से अगली बार आने की जरूर कामना करें। इसके अलावा फूल, माला, पूजा की अन्य सामग्री को भी जल में प्रवाहित कर लें।
प्रतिष्ठित पुस्तक निर्णय-सिन्धु के अनुसार नवरात्रि पारण या व्रत तोड़ने के लिए नवमी की समाप्ति के बाद दशमी तिथि को करना सबसे अच्छा माना जाता है।
निर्णय-सिन्धु के अनुसार-अथ नवरात्रपारणनिर्णयः। सा च दशम्यां कार्या॥
आग्नेय नम: स्वाहा (ॐ अग्निदेव ताम्योनम: स्वाहा), ॐ गणेशाय नम: स्वाहा, ॐ गौरियाय नम: स्वाहा, ॐ नवग्रहाय नम: स्वाहा, ॐ दुर्गाय नम: स्वाहा, ॐ महाकालिकाय नम: स्वाहा, ॐ हनुमते नम: स्वाहा, ॐ भैरवाय नम: स्वाहा, ॐ कुल देवताय नम: स्वाहा, ॐ स्थान देवताय नम: स्वाहा, ॐ ब्रह्माय नम: स्वाहा, ॐ विष्णुवे नम: स्वाहा, ॐ शिवाय नम: स्वाहा, ॐ जयंती मंगलाकाली भद्रकाली कपालिनी दुर्गा क्षमा शिवाधात्री स्वाहा, स्वधा नमस्तुति स्वाहा, ॐ ब्रह्मामुरारी त्रिपुरांतकारी भानु: क्षादी: भूमि सुतो बुधश्च: गुरुश्च शक्रे शनि राहु केतो सर्वे ग्रहा शांति कर: स्वाहा, ॐ गुरुर्ब्रह्मा, गुरुर्विष्णु, गुरुर्देवा महेश्वर: गुरु साक्षात परब्रह्मा तस्मै श्री गुरुवे नम: स्वाहा, ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिंम् पुष्टिवर्धनम्/ उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् मृत्युन्जाय नम: स्वाहा, ॐ शरणागत दीनार्त परित्राण परायणे, सर्व स्थार्ति हरे देवि नारायणी नमस्तुते।
सबसे पहले जिस जगह आप हवन करने वाले हैं। उसे गोबर ले लिप लें या फिर जल से धो दें। इसके बाद आटा से रंगोली बनाकर हवन कुंड रख दें। अगर आप मिट्टी से वेदी बना रहे हैं, तो वो बना लें। इसके बाद सिंदूर, जस, फूल, सुपारी, पान का पत्ता, फल, मिठाई आदि चढ़ाकर पूजा कर लें। इसके बाद थोड़ी सी कपूर रखें और उसके ऊपर आम की लकड़ी रखकर आग जला लें। इसके मंत्रों के साथ हवन सामग्री डालकर आहुति कर दें। फिर अंत में सूखा नारियल में छेद करके घी भर दें और कलावा बांध दें। इसके बाद हवन कुंड के बीचो-बीच इसे गाड़ दें। अंत में अपनी तरह पात्र का मुख करके पूरी हवन सामग्री की आहुति दे दें। इसके साथ ही ‘ओम पूर्णमद: पूर्णमिदम् पुर्णात पूण्य मुदच्यते, पुणस्य पूर्णमादाय पूर्णमेल विसिस्यते स्वाहा’। मंत्र बोलें।
हवन कुंड हवन कुंड
आम की लकड़ियां
नौ ग्रह की लकड़ियां (सूर्य- सन्दूक, चंद्रमा – पलाश, मंगल – खैर, बुध – अपामार्ग, गुरु – पीपल, शुक्र – औदंबर, शनि – सामी, राहु – दुर्वा, केतु – कुशा)
हवन सामग्री
कपूर
लौंग
लाल कलावा
एक सूखा हुआ नारियल
5 प्रकार के फल और मिठाई
घी
सुपारी
गंगाजल
लाल कपड़ा
फूल
चैत्र नवरात्रि के दौरान अगर आप अष्टमी तिथि को कन्या पूजन कर रहे हैं, तो एक दिन पहले यानी सप्तमी तिथि को कन्याओं को निमंत्रण दे दें। वहीं अगर नवमी तिथि को कन्या पूजन कर रहे हैं, तो अष्टमी तिथि के दिन कन्याओं को निमंत्रण दे दें।कन्या पूजन के लिए सबसे श्रेष्ठ 1 से 10 साल तक की कन्याएं ही मानी जाती है। इसके साथ ही एक बालक अवश्य बुलाएं।कन्या पूजन के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान कर लें और विधिवत पूजा कर लें। इसके साथ ही शुद्ध बिना लहसुन-प्याज के भोजन तैयार करें। आप चाहे, तो चना-हलवा, पूड़ी-खीर आदि बना सकते हैं।अब कन्याओं को सम्मान के साथ घर बुलाकर उनके पैर धुलाएं। इसके बाद साफ कपड़े से पोंछ दें।अब आसन में बैठाएं और उनके पैरों में महावर और माथे में कुमकुम और अक्षत का टीका लगाएं।इसके बाद सभी के हाथों में कलावा बांध दें। फिर लाल रंग की चुनरी पहना दें।एक पूजा की थाली में घी का दीपक, धूप जलाकर आरती उतार लें।अब कन्याओं को भोजन श्रद्धा के साथ परोसें।भोजन कराने के बाद अपनी यथाशक्ति के हिसाब से उपहार या फिर पैसे दें। उनके हाथों में थोड़ा सा अक्षत रखें और जाते समय अपने आंचल में ले लें। इन्हें बाद में पूरे घर में छिड़क दें।इसके बाद पैर छुकर उन्हें विदा करें और उनका आशीर्वाद लें।
मैया तेरे दरबार की महिमा निराली हैमैया तेरे दरबार की महिमा निराली है,भरते हैं यहां दामन, कोई जाता ना खाली है,मैया तेरे दरबार की महिमा निराली है,निराली है, निराली है, निराली है, निराली है,मैया तेरे दरबार की महिमा निराली है......जिसे दुनिया ठुकराए, उसे मैया अपनाए,जो शरण में आ जाए, तो रोज दिवाली है,मैया तेरे दरबार की महिमा निराली है.....यह अद्भुत धाम तेरा,यहां भक्तों का डेरा,अपने भक्तों की मैया,करती रखवाली है,मैया तेरे दरबार की महिमा निराली है......बिन मांगे ही पूरी, हर ख्वाहिश होती है,यहां सारे मिट जाते, आती खुशहाली है,मैया तेरे दरबार की महिमा निराली है,निराली है, निराली है, निराली है, निराली है....
कहीं मेरी नज़र ना लगे मेरी मैया.. किवें सज धज के माँ बैठी हो,कहीं मेरी नज़र ना लगे मेरी मैया......लाल गुलाब के फूलों से कितना तुम्हें सजाया है,महक रहा दरबार तुम्हारा कितना इत्तर लगाया है,तुम कितनी प्यारी प्यारी हो कहीं मेरी......रोली का तिलक लगा करके मंद मंद मुस्कराती हो,तारों की चुनरी ओढ़ के मैया भक्तों के घर जाती हो,तुम कितनी प्यारी प्यारी हो कहीं मेरी......आज तेरेदरबार में माँ गूंज रहा है जैकारा,तू भी आयी भक्त भी आए बोलन तेरा जयकारा,तुम कितनी प्यारी प्यारी हो कहीं मेरी......
दोहा॥माता जिनको याद करे, वो लोग निराले होते हैं। माता जिनका नाम पुकारे, किस्मत वाले होतें हैं। चलो बुलावा आया है, माता ने बुलाया है। चलो बुलावा आया है, माता ने बुलाया है। चलो बुलावा आया है, माता ने बुलाया है। ऊँचे पर्वत पर रानी माँ ने दरबार लगाया है।चलो बुलावा आया है, माता ने बुलाया है। चलो बुलावा आया है, माता ने बुलाया है। सारे जग मे एक ठिकाना, सारे गम के मारो का,रास्ता देख रही है माता, अपने आंख के तारों का। मस्त हवाओं का एक झोखा यह संदेशा लाया है।चलो बुलावा आया है, माता ने बुलाया है। चलो बुलावा आया है, माता ने बुलाया है।जय माता दी॥ जय माता दी॥जय माता की कहते जाओ, आने जाने वालो को,चलते जाओ तुम मत देखो अपने पीछे वालों को। जिस ने जितना दर्द सहा है, उतना चैन भी पाया है।चलो बुलावा आया है, माता ने बुलाया है। चलो बुलावा आया है, माता ने बुलाया है।जय माता दी॥ जय माता दी॥वैष्णो देवी के मन्दिर मे, लोग मुरादे पाते हैं,रोते रोते आते है, हस्ते हस्ते जाते हैं। मैं भी मांग के देखूं, जिस ने जो माँगा वो पाया है।चलो बुलावा आया है, माता ने बुलाया है। चलो बुलावा आया है, माता ने बुलाया है।जय माता दी॥ जय माता दी॥मैं तो भी एक माँ हूँ माता, माँ ही माँ को पहचाने। बेटे का दुःख क्या होता है, और कोई यह क्या जाने। उस का खून मे देखूं कैसे, जिसको दूध पिलाया है।चलो बुलावा आया है, माता ने बुलाया है। चलो बुलावा आया है, माता ने बुलाया है।चलो बुलावा आया है, माता ने बुलाया है। चलो बुलावा आया है, माता ने बुलाया है।प्रेम से बोलो, जय माता दी॥ओ सारे बोलो, जय माता दी॥वैष्णो रानी, जय माता दी॥अम्बे कल्याणी, जय माता दी॥माँ भोली भाली, जय माता दी॥माँ शेरों वाली, जय माता दी॥झोली भर देती, जय माता दी॥संकट हर लेती, जय माता दी॥ओ जय माता दी, जय माता दी॥
चैत्र नवरात्रि के दौरान कन्याओं को भोजन कराने के साथ-साथ विधिवत तरीके से पूजा भी करने के साथ अपनी योग्यता और श्रद्धा के साथ भेंट देना चाहिए। बता दें कि कन्याओं का पैर धोने के लिए साफ जल, थाली और तौलिया या कपड़ा लें। इसके अलावा बैठने के लिए आसन। हाथ में बांधने के लिए कलावा रख लें। इसके अलावा सिंदूर, अक्षत, महावर, फूल , चुनरी, खीर-पूड़ी या हलवा-चना, घी का दीपक, थाली, मिठाई, उपहार, पैसे आदि रख लें।
आमतौर पर नवरात्रि के दौरान 9 कन्याओं को भोजन करना शुभ माना जाता है। अगर आपको 9 कन्याएं नहीं मिल रही है, तो आप 3, 5 या 7 कन्याओं को भोजन करा सकते हैं। इसके साथ ही एक बालक को भी बुलाएं।
आज सुबह 11:59 से दोपहर 12:49 तक कर सकते हैं।राम नवमी- नवमी के दिन कन्या पूजन के लिए अभिजीत मुहूर्त सबसे अच्छा समय है। ऐसे में सुबह 11 बजकर 59 मिनट से दोपहर 12 बजकर 50 मिनट तक कन्या पूजन कर सकते हैं।
नवरात्रि की नवमी पर हवन का शुभ मुहूर्त 6 अप्रैल 2025 की सुबह 11 बजकर 58 मिनट से दोपहर 12 बजकर 49 मिनट तक रहेगा।
नवरात्रि की अष्टमी पर हवन का शुभ मुहूर्त 5 अप्रैल की सुबह 11:59 से दोपहर 12:49 बजे तक रहेगा।नवरात्रि की अष्टमी पर हवन का शुभ मुहूर्त 5 अप्रैल की सुबह 11:59 से दोपहर 12:49 बजे तक रहेगा।
चैत्र नवरात्रि के आखिरी दिन में विधि विधान हवन करना शुभ माना जाता है इस दिन हवन करने से नवरात्रि पूजन संपूर्ण होता है। कई साधक अष्टमी तिथि को, तो कई साधक नवमी तिथि को हवन करते हैं। ऐसे में अगर आप अष्टमी तिथि को हवन कर रहे हैं, तो 5 अप्रैल यानी आज करें और नवमी तिथि को हवन कर रहे हैं, तो यानी कल 6 अप्रैल को करें।
जय महागौरी जगत की मायाजय उमा भवानी जय महामायाहरिद्वार कनखल के पासामहागौरी तेरा वहा निवासचंदेर्काली और ममता अम्बेजय शक्ति जय जय माँ जगदम्बेभीमा देवी विमला माताकोशकी देवी जग विखियाताहिमाचल के घर गोरी रूप तेरामहाकाली दुर्गा है स्वरूप तेरासती ‘सत’ हवं कुंड मै था जलायाउसी धुएं ने रूप काली बनायाबना धर्म सिंह जो सवारी मै आयातो शंकर ने त्रिशूल अपना दिखायातभी माँ ने महागौरी नाम पायाशरण आने वाले का संकट मिटायाशनिवार को तेरी पूजा जो करतामाँ बिगड़ा हुआ काम उसका सुधरताचमन’ बोलो तो सोच तुम क्या रहे होमहागौरी माँ तेरी हरदम ही जय हो
सारा जहां है जिसकी शरण में,नमन है उस मां के चरण में,जय माता दी.. दुर्गा अष्टमी 2024 की शुभकामनाएं
आपका हर पल खुशियों के कदम चूमे,इस नवरात्रि में हम सभी मिलकर झूमे,कभी न हो आपके दुखों से सामनायही है हमारी दुर्गा अष्टमी की शुभकामना

