Durga Ashtami 2018: नवरात्रि में दुर्गा अष्टमी का विशेष महत्व है। नवरात्रि में कुल नौ दिन होते हैं, लेकिन इसका आठवां दिन बड़ा ही खास माना जाता है। इस दिन लोग नौ कन्याओं और एक बालक को घर आमंत्रित करते हैं। और इनकी पूजा करने के बाद बड़ी ही श्रद्धा से इन्हें भोजन कराया जाता है। बालक को बटुक भैरव का रूप मानकर उन्हें पूजा जाता है। एक पौराणिक कथा के मुताबकि भगवान शंकर ने हर शक्ति पीठ में माता की सेवा के लिए बटुक भैरव को तैनात किया था। मान्यता है कि यदि किसी शक्ति पीठ में मां के दर्शन के बाद भैरव का दर्शन न किया जाए तो दर्शन अधूरा रह जाता है।

देवीभागवत पुराण में दुर्गा अष्टमी का उल्लेख किया गया है। इसके अनुसार, नवरात्रि के अंत में अष्टमी या नवमी को कन्या पूजन जरूर करना चाहिए। नवरात्र में जो लोग नौ दिन तक व्रत रखते हैं, उनके लिए यह जरूरी माना गया है। मान्यता है कि नवरात्र की अष्टमी में कन्या पूजन करने से व्रत का पुण्य फल प्राप्त होता है। कहते हैं कि ऐसे परिवार में सुख-शांति आती है। ऐसा माना जाता है कि इससे घर के बच्चों की सेहत अच्छी रहती है और वे माता-पिता की आज्ञाकारी संतान होते हैं।

दुर्गा अष्टमी को महा अष्टमी के नाम से भी जाना जाता है। इस साल 17 अक्टूबर, दिन बुधवार को अष्टमी पड़ रही है। उल्लेखनीय है कि कन्या पूजन के लिए उन कन्याओं को उत्तम माना गया है जिनकी उम्र दस साल से कम की हो। साथ ही कन्याओं की संख्या नौ होने की बात कही गई है। दरअसल इससे आन देवी के नौ स्वरूपों की पूजा हो जाती है। ध्यान रहे कि कन्याओं को भोजन कराने से पहले मां दुर्गा का हवन करने का विधान है। हवन के बाद माता को भोग लगाया जाता है। इसके बाद कन्याओं को भोजन कराते हैं। इस भोज में हलवा, पूरी, खीर, चने आदि देना उत्तम माना गया है।