ज्योतिष शास्त्र अनुसार शनि देव को न्याय प्रदाता और कर्मफल दाता माना जाता है। मतलब शनि देव व्यक्ति को कर्मों के अनुसार फल प्रदान करते हैं। वहीं शनि देव को आयु, दुख, रोग, पीड़ा, विज्ञान, तकनीकी, लोहा, खनिज तेल, कर्मचारी, सेवक, जेल आदि का कारक माना जाता है। साथ ही शनि देव की साढ़ेसाती और ढैय्या का प्रभाव हर व्यक्ति को जीवन में झेलना पड़ता है। वहीं शनि देव का संबंध शनिवार से माना जाता है। इसलिए व्यक्ति शनि पर सरसों का तेल और काले तिल चढ़ाता है। लेकिन क्या आपको पता है शनि देव पर काले तिल और सरसों का तेल क्यों चढ़ाते हैं। आइए जानते हैं…

हनुमान जी से हुआ था शनि देव का युद्ध

पुराणों के मुताबिक एक बार शनिदेव को अपनी शक्तियों और ताकत के ऊपर बहुत घमंड हो गया था। वहीं इस समय बजरंगबली जी की कीर्ति और बल की चर्चा हर तरफ हो रही थी। साथ ही हर कोई हनुमान जी के बल और शक्तियों का लोहा मान रहा था वहीं जब शनि देव को यह बात पता चली तो उनको बजरंग बली की तारीफ बर्दाश्त नहीं हुआ। साथ ही इसके बाद ही शनिदेव ने हनुमान जी को युद्ध के लिए ललकारा। जब शनि देव युद्ध के लिए बजरंगबली के पास गए तो हनुमान जी भगवान राम की आराधना कर रहे थे। वहीं इसके बाद शनि देव ने हनुमान जी को युद्ध के ललकारा तो हनुमान जी उन्हें समझाने लगे। लेकिन शनि देव ने एक ना सुनी और युद्ध के लिए जिद्द करने लगे। फिर दोनों में जमकर युद्ध हुआ। हनुमान जी ने शनिदेव की खूब पिटाई की।

वहीं युद्ध में शनि देव बुरी तरह से घायल हो गए और उन्हें पीड़ा होने लगी। पीड़ा को देखते हुए शनिदेव को हनुमान जी ने सरसों का तेल शरीर पर लगाया, जिससे उन्हें पीड़ा में काफी आराम मिला। साथ ही देखते ही देखते कुछ ही देर में शनि देव का पूरा दर्द गायब हो गया। इसके बाद शनि देव ने कहा कि जो भी मुझे सच्चे मन से तेल लगाएगा, उसके सारे कष्ट दूर जाएंगे। इसके बाद से शनि देव को शनिवार को तेल चढ़ाने की परंपरा शुरू हो गई।

हनुमान जी ने शनिदेव को कराया था मुक्त

रावण ने सभी नवग्रहों को अपने दरबार में बंदी बना लिया था। जिसमें रावण ने शनि देव को उल्टा लटका रखा था। तब ही जब हनुमान जी सीता माता की खोज में लंका पहुंचे तो उन्होंने अशोक वाटिका तहस- नहस कर दी। जिससे बाद इंद्रजीत ने हनुमान जी को बंदी बना लिया और रावण के सामने दरबार में ले गया। फिर इसके बाद रावण ने क्रोधित होकर सैनिकों को हनुमान जी की पूंछ में आग लगाने को कहा और जब हनुमान जी की पूंछ में आग लगाई गई तो उससे लंका में भी आग लग गई और फिर सारे ग्रह वहां से भाग गए। लेकिन उल्टे लटके होने के कारण शनि देव नहीं भाग पाए।

वहीं हनुमान जी की दृष्टि शनि देव के ऊपर पड़ी। वहीं शनि देव के शरीर में बहुत पीड़ा हो रही थी। उनका दर्द बहुत ज्यादा था। शनि देव के दर्द को शांत करने के लिए हुनमानजी ने उनके शरीर पर तेल लगाया। जिसके बाद शनि देव का दर्द गायब हो गया। जिसके बाद शनि देव ने कहा कि जो भी व्‍यक्ति श्रद्धा भक्ति से मुझ पर तेल चढ़ाएगा उसकी सारी समस्‍याएं दूर हो जाएंगी। इसलिए ही शनि देव पर सरसों का तेल लगाया जाता है। साथ ही शनि देव ने कहा जो भी शनिवार वाले दिन हनुमान जी की पूजा करेगा। उसके ऊपर मेरी कुदृष्टि कभी नहीं पड़ेगी। साथ ही साढ़ेसाती और ढैय्या उस व्यक्ति को परेशान नहीं करेगी।

शनि देव को क्यों चढ़ते हैं काले तिल

शास्त्रों के अनुसार सूर्य देव ने शनि देव का घर कुंभ जला दिया था। हालांकि, बाद में सूर्यदेव को अपनी गलती का बहुत एहसास हुआ। वहीं इसके बाद में उनसे मिलने के लिए आए। जब सूर्य देव शनि के पास पहुंचे तो शनि ने उनका स्वागत काले तिल से किया। इसके बाद सूर्य इस बात से बहुत प्रसन्न हुए। इसलिए भी शनिदेव को काले तिल अति प्रिय हैं। इन्हें चढ़ाने से शनि देव जल्दी प्रसन्न होते हैं और आशार्वाद प्रदान करते हैं। इसलिए शनिदेव को काले तिल, उड़द और काला कपड़े चढ़ाने चाहिए।

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