शुक्रवार 8 दिसंबर 2017 के दिन पौष कृष्ण षष्ठी और अश्लेषा नक्षत्र बन रहा है। जिस कारण इस दिन देवी ललिता का पूजन शुभ माना जाता है। देवी ललिता को आद्य शक्ति के रुप में जाना जाता है। एक पौराणिक कथा के अनुसार पिता दक्ष के अपमान के बाद माता सती ने अपने प्राण दे दिए थे जिसके कारण भगवान शिव ने माता सती का शरीर लेकर चारों दिशाओं में घूमने लगे थे। जिस कारण सृष्टि का नाश होना शुरु हो गया था। भगवान विष्णु ने इस समस्या से बचने के लिए सुदर्शन चक्र से माता सती के शरीर के टुकड़े कर दिए और जहां ये गिरे वो स्थान शक्तिपीठ बना।
51 शक्तिपीठों में से एक स्थान को देवी ललिता का स्थान कहा जाता है। भगवान शिव को अपने दिल में धारण करने वाली माता सती नैमिषारण्य वन में लिंग धारिणी नाम से भी जाना जाता है। कालिका पुराण के अनुसार देवी ललिता का गौर रुप है और उनकी दो भुजाएं हैं। दक्षिण क्षेत्र की मान्यताओं के अनुसार देवी ललिता को चण्डी का स्थान प्राप्त है। माना जाता है कि देवी ललिता के पूजन से जीवन में सुख-समृद्धि आती है और रिश्तों में प्रेम बढ़ता है। शुक्रवार को विशेष योग के दिन शाम के समय गुलाबी वस्त्र बिछाकर उसपर देवी ललिता का चित्र लगाएं और घी का दीपक जलाएं। चंदन की धूप, गुलाबी फूल, इत्र और खीर का भोग लगाएं।
पूजा के बाद माता को लगाया हुआ भोग किसी सुहागन महिला को भेंट करें। इस दिन पूजा का समय शाम 5 बजकर 25 मिनट से लेकर शाम 6 बजकर 25 मिनट तक रहेगा। घर में सुख समृद्धि लाने के लिए माता के पूजन के समय आटा चढ़ाएं और पूजा के बाद आटा किसी ब्रह्माणी को दान करें। प्रेम में सफलता पाने की चाहत रखते हैं तो माता को दही और शहद का भोग लगाएं और इस भोग को सफेद गाय को खिलाना शुभ माना जाता है।


