नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा का विधान है। इस साल यानि 2019 में चैत्र नवरात्रि 6 अप्रैल से शुरू हुई है। इस बार यह चैत्र नवरात्रि में छठे दिन की पूजा 11 अप्रैल को होगी। मां दुर्गा के छठे स्वरूप के रूप में देवी कात्यायनी की पूजा की जाती है। कात्यायनी देवी ने कात्यायन ऋषि की तपस्या से प्रसन्न होकर इनके घर कन्या रूप में जन्म ली थी।
इसलिए देवी के इस स्वरुप में इनका नाम कात्यायनी पड़ा। कात्यायनी देवी की चार भुजाएं हैं जिसमें क्रमशः तीन भुजाओं में तलवार, ढाल और कमल पुष्प है। देवी कात्यायनी की चौथी भुजा अभय मुद्रा यानि आशीर्वाद मुद्रा में है।
इनका वाहन सिंह है। ऐसी शास्त्रीय मान्यता है कि विवाह संबंधी परेशानी अथवा शीघ्र शादी के लिए देवी दुर्गा के कात्यायनी स्वरुप की पूजा अत्यंत लाभकारी है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार देवी कात्यायनी बृहस्पति ग्रह का भी प्रतिनिधित्व करती हैं।
कात्यायनी की पूजा से मिलते हैं ये लाभ
माता कात्यायनी की आराधना कन्याओं के शीघ्र विवाह के लिए विशेष लाभदायक मानी जाती है।
देवी कात्यायनी की पूजा से मनचाहा विवाह और प्रेम विवाह के भी प्रबल योग बनते हैं।
वैवाहिक जीवन में खुशहाली के लिए देवी कात्यायनी की आराधना अत्यंत लाभकारी मानी जाती है।
यदि किसी जातक की कुंडली में विवाह योग में किसी प्रकार का दोष हो तो इनकी आराधना करने से विवाह का योग प्रशस्त हो जाता है
माँ कात्यायनी इस मंत्र से होती हैं प्रसन्न
कात्यायनी महामाये , महायोगिन्यधीश्वरी।
नन्दगोपसुतं देवी, पति मे कुरु ते नमः।।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार माँ कात्यायनी का संबंध बृहस्पति ग्रह से है। इसलिए महिलाओं को विवाह संबंधी किसी भी समस्या के लिए इनकी पूजा अत्यंत शुभकारी माना गया है।
दाम्पत्य जीवन से संबंध होने के कारण इनका आंशिक सम्बन्ध शुक्र से भी है।
शुक्र और बृहस्पति, दोनों दैवीय और तेजस्वी ग्रह हैं, इसलिए माता का तेज भी अद्भुत और सम्पूर्ण है।
मां कात्यायनी संबंध कृष्ण और उनकी गोपिकाओं से रहा है। इसलिए ये ब्रज मंडल की भी अधिष्ठात्री देवी हैं।
कात्यायनी पूजा-विधि
गोधूली बेला के समय पीले या लाल वस्त्र धारण करके इनकी पूजा करनी चाहिए।
माता कात्यायनी को पीले पुष्प और पीले रंग के मिष्ठान का भोग लगाना चाहिए।
देवी कात्यायनी को शहद अर्पित करना अत्यंत शुभ माना गया है।
मां को सुगन्धित पुष्प अर्पित करने से शीघ्र विवाह के योग बनेंगे साथ ही प्रेम सम्बन्धी बाधाएं भी दूर होंगी।
इसके बाद मां के समक्ष इस मंत्र का जाप करें।
एतत्ते वदनं सौम्यं लोचनत्रय भूषितं।
पातु नः सर्वभीतेभ्यः कात्यायनी नमोस्तु ते।।
शीघ्र विवाह के लिए ऐसे करें मां कात्यायनी की पूजा
गोधूलि वेला में पीले वस्त्र धारण करें।
माँ के समक्ष दीपक जलायें और उन्हें पीले फूल अर्पित करें।
इसके बाद 3 गाँठ हल्दी की भी चढ़ाएं।
मां कात्यायनी के मन्त्रों का जाप करें।
कात्यायनी मंत्र- (सुयोग्य वर की प्राप्ति के लिए)
ॐ कात्यायिनी महामाये, सर्वयोगिन्यधीश्वरी।
नन्दगोपसुतं देवी पतिं में कुरु, ते नमः।।
आरती
जय कात्यायनि माँ, मैया जय कात्यायनि माँ ।
उपमा रहित भवानी, दूँ किसकी उपमा ॥
मैया जय कात्यायनि….
गिरजापति शिव का तप, असुर रम्भ कीन्हाँ ।
वर-फल जन्म रम्भ गृह, महिषासुर लीन्हाँ ॥
मैया जय कात्यायनि….
कर शशांक-शेखर तप, महिषासुर भारी ।
शासन कियो सुरन पर, बन अत्याचारी ॥
मैया जय कात्यायनि….
त्रिनयन ब्रह्म शचीपति, पहुँचे, अच्युत गृह ।
महिषासुर बध हेतू, सुर कीन्हौं आग्रह ॥
मैया जय कात्यायनि….
सुन पुकार देवन मुख, तेज हुआ मुखरित ।
जन्म लियो कात्यायनि, सुर-नर-मुनि के हित ॥
मैया जय कात्यायनि….
अश्विन कृष्ण-चौथ पर, प्रकटी भवभामिनि ।
पूजे ऋषि कात्यायन, नाम काऽऽत्यायिनि ॥
मैया जय कात्यायनि….
अश्विन शुक्ल-दशी को, महिषासुर मारा ।
नाम पड़ा रणचण्डी, मरणलोक न्यारा ॥
मैया जय कात्यायनि….
दूजे कल्प संहारा, रूप भद्रकाली ।
तीजे कल्प में दुर्गा, मारा बलशाली ॥
मैया जय कात्यायनि….
दीन्हौं पद पार्षद निज, जगतजननि माया ।
देवी सँग महिषासुर, रूप बहुत भाया ॥
मैया जय कात्यायनि….
उमा रमा ब्रह्माणी, सीता श्रीराधा ।
तुम सुर-मुनि मन-मोहनि, हरिये भव-बाधा ॥
मैया जय कात्यायनि….
जयति मङ्गला काली, आद्या भवमोचनि ।
सत्यानन्दस्वरूपणि, महिषासुर-मर्दनि ॥
मैया जय कात्यायनि….
जय-जय अग्निज्वाला, साध्वी भवप्रीता ।
करो हरण दुःख मेरे, भव्या सुपुनीता॥
मैया जय कात्यायनि….
अघहारिणि भवतारिणि, चरण-शरण दीजै ।
हृदय-निवासिनि दुर्गा, कृपा-दृष्टि कीजै ॥
मैया जय कात्यायनि….
ब्रह्मा अक्षर शिवजी, तुमको नित ध्यावै ।
करत ‘अशोक’ नीराजन, वाञ्छितफल पावै॥
मैया जय कात्यायनि….
