Remedies for Shani Sadesati And Dhayiya: ज्योतिष शास्त्र मुताबिक जब भी शनि ग्रह की चाल में परिवर्तन होता है, तो किसी व्यक्ति पर शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या आरंभ होती है तो किसी व्यक्ति पर यह समाप्त होती है। वहीं आपको बता दें कि शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या का प्रभाव आपको अशुभ ही प्राप्त होगा, ऐसा नहीं है, क्योंकि अगर आपकी कुंडली में शनि देव सकारात्मक स्थिति में विराजमान हैं। तो आपको साढ़ेसाती और ढैय्या का अशुभ प्रभाव कम से कम झेलना पढ़ेगा। वहीं यहां हम आपको ऐसे स्त्रोत के बारे में बताने जा रहे हैं। जिसका शनिवार के दिन पाठ करने से आप शनि देव के प्रकोप से बच सकते हैं। आइए जानते हैं इस स्त्रोत के बारे में…
दशरथकृत शनि स्तोत्र (Dashrathkrit Shani Stotra/ Shani Stotra)
नम: कृष्णाय नीलाय शितिकण्ठनिभाय च।
नम: कालाग्निरूपाय कृतान्ताय च वै नम: ।।
नमो निर्मांस देहाय दीर्घश्मश्रुजटाय च।
नमो विशालनेत्राय शुष्कोदर भयाकृते।।
नम: पुष्कलगात्राय स्थूलरोम्णेऽथ वै नम:।
नमो दीर्घायशुष्काय कालदष्ट्र नमोऽस्तुते।।
नमस्ते कोटराक्षाय दुर्निरीक्ष्याय वै नम:।
नमो घोराय रौद्राय भीषणाय कपालिने।।
नमस्ते सर्वभक्षाय वलीमुखायनमोऽस्तुते।
सूर्यपुत्र नमस्तेऽस्तु भास्करे भयदाय च।।
अधोदृष्टे: नमस्तेऽस्तु संवर्तक नमोऽस्तुते।
नमो मन्दगते तुभ्यं निरिस्त्रणाय नमोऽस्तुते।।
तपसा दग्धदेहाय नित्यं योगरताय च।
नमो नित्यं क्षुधार्ताय अतृप्ताय च वै नम:।।
ज्ञानचक्षुर्नमस्तेऽस्तु कश्यपात्मज सूनवे।
तुष्टो ददासि वै राज्यं रुष्टो हरसि तत्क्षणात्।।
देवासुरमनुष्याश्च सिद्घविद्याधरोरगा:।
त्वया विलोकिता: सर्वे नाशंयान्ति समूलत:।।
प्रसाद कुरु मे देव वाराहोऽहमुपागत।
एवं स्तुतस्तद सौरिग्र्रहराजो महाबल:।।
शनि देव की आरती (Shani Aarti)
जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी।
सूर्य पुत्र प्रभु छाया महतारी॥
जय जय श्री शनि देव….
श्याम अंग वक्र-दृष्टि चतुर्भुजा धारी।
नी लाम्बर धार नाथ गज की असवारी॥
जय जय श्री शनि देव….
क्रीट मुकुट शीश राजित दिपत है लिलारी।
मुक्तन की माला गले शोभित बलिहारी॥
जय जय श्री शनि देव….
मोदक मिष्ठान पान चढ़त हैं सुपारी।
लोहा तिल तेल उड़द महिषी अति प्यारी॥
जय जय श्री शनि देव….
देव दनुज ऋषि मुनि सुमिरत नर नारी।
विश्वनाथ धरत ध्यान शरण हैं तुम्हारी॥
जय जय श्री शनि देव भक्तन हितकारी।।
