Diwali Puja Vidhi, Laxmi Ganesh Ji Pujan Muhurat,Varat Katha, Shubh Muhurat LIVE Updates: दिवाली का पर्व आज पूरे देश में उत्साह और उमंग के साथ मनाया गया। इस दिन लोग अपने-अपने घरों को दीपों, रंगोली और फूलों से सजाते हैं। साथ ही माता लक्ष्मी, भगवान गणेश के साथ-साथ कुबेर देवता की पूजा करते हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल कार्तिक अमावस्या के दिन दिवाली का त्योहार मनाया जाता है। हालांकि इस साल अमावस्या तिथि दोनों दिन पड़ने की वजह से लोगों के बीच असमंजस थी। कई लोग 31 अक्टूबर को, तो कई लोग 1 नवंबर को दिवाली का पर्व मनाएं।
Laxmi Ji Aarti Lyrics In Hindi | Ganesh Ji Aarti Lyrics In Hindi
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, दिवाली की रात माता लक्ष्मी धरती पर भ्रमण करती हैं और वह अपने भक्तों के घर जाकर उन्हें सुख-समृद्धि का वरदान देती हैं। वहीं, ज्योतिषों की मानें तो आज दीवाली बेहद शुभ योग में मनाई जाएगी। ऐसे में आइए जानते हैं लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, व्रत कथा, आरती सहित संपूर्ण जानकारी।
ओम जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
तुमको निशिदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता।
सूर्य-चंद्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
दुर्गा रुप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता।
जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभदाता।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी, भवनिधि की त्राता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
जिस घर में तुम रहतीं, सब सद्गुण आता।
सब सम्भव हो जाता, मन नहीं घबराता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता।
खान-पान का वैभव, सब तुमसे आता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
शुभ-गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि-जाता।
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
महालक्ष्मीजी की आरती, जो कोई जन गाता।
उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
सब बोलो लक्ष्मी माता की जय, लक्ष्मी नारायण की जय।
रोशनी का त्योहार दिवाली आज पूरे भारत में बड़े उत्साह और जोश के साथ मनाया जा रहा है। हिंदू पंचांग के अनुसार, यह त्योहार हर साल कार्तिक मास की अमावस्या तिथि को भगवान राम के अयोध्या लौटने के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।
देशभर में आज दिवाली का पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है। आज गणेश जी-माता लक्ष्मी के साथ कुबेर भगवान की विधिवत पूजा करने का विधान है। यहां जानिए पूजा कैसे करना है।
दिवाली के दिन सबसे पहले एक बड़ा दीपक मंदिर में रखें। दूसरा दीपक लक्ष्मी-गणेश जी के सामने। तीसरा दीपक तुलसी जी के पौधे पास और चौथा दीपक घर के मुख्य द्वार पर।
हिंदू धर्म में दिवाली का विशेष महत्व होता है और यह हिंदूओं का प्रमुख त्योहारों में से एक है। हिंदू पंचांग के अनुसार, यह पर्व हर साल कार्तिक माह की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है। अगर आप भी इस दीपावली पर पूजा करने जा रहे हैं तो मुहूर्त और विधि-विधान का खास ध्यान रखें।
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी ।
माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा ।
लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया ।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
‘सूर’ श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी ।
कामना को पूर्ण करो, जाऊं बलिहारी ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
प्रदोष काल, वृषभ लग्न और चौघड़िया के हिसाब से लक्ष्मी पूजन के लिए सबसे सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त 31 अक्टूबर की शाम को 06:25 से लेकर 7:13 के बीच का समय का है। कुल मिलाकर 48 मिनट का यह मुहूर्त सर्वश्रेष्ठ रहेगा।
पौराणिक कथा के अनुसार त्रेता युग में भगवान विष्णु के अवतार श्री राम अयोध्या में महाराजा दशरथ के घर प्रकट हुए थे। श्रीराम वहां उनके पुत्र के रूप में रहा करते थे। समय के साथ साथ जब वह बड़े हुए तो उनकी सौतेली मां ने लालचवश श्री राम को 14 साल के वनवास के लिए भेज दिया।
यहां पढ़ें पूरी व्रत कथा – Mata Laxmi Ki Katha in Hindi: इस व्रत कथा के बिना अधूरा है दिवाली व्रत और महालक्ष्मी पूजा, जानें संपूर्ण पौराणिक व्रत कथा
प्रदोष काल, वृषभ लग्न और चौघड़िया के हिसाब से लक्ष्मी पूजन के लिए सबसे सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त 31 अक्टूबर की शाम को 06:25 से लेकर 7:13 के बीच का समय का है। कुल मिलाकर 48 मिनट का यह मुहूर्त सर्वश्रेष्ठ रहेगा।
‘ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्री महालक्ष्म्यै नम:’।
‘ॐ ऐं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नम:।’
‘ॐ ऐं क्लीं महालक्ष्म्यै नम:।’
‘ॐ ऐं क्लीं सौ:।’
‘ॐ ऐं ह्रीं श्रीं क्लीं सौं जगत्प्रसूत्यै नम:।’
‘ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं क्लीं लक्ष्मी ममगृहे धनं पूरय चिन्ताम् दूरय स्वाहा।’
‘ॐ ऐं श्रीं महालक्ष्म्यै कमल धारिण्यै गरूड़ वाहिन्यै श्रीं ऐं नम:।’
‘ॐ श्रीं च विद्महे अष्ट ह्रीं च धीमहि तन्नो लक्ष्मी-विष्णु प्रचोद्यात।’
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी ।
माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा ।
लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया ।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
‘सूर’ श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी ।
कामना को पूर्ण करो, जाऊं बलिहारी ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
ओम जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
तुमको निशिदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता, मैय्या तुम ही जग माता।
सूर्य-चंद्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
दुर्गा रुप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता, मैय्या सुख संपत्ति पाता।
जो कोई तुमको ध्याता, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभदाता, मैय्या तुम ही शुभ दाता।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी, भवनिधि की त्राता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
जिस घर में तुम रहतीं, सब सद्गुण आता, मैय्या सब सद्गुण आता।
सब संभव हो जाता, मन नहीं घबराता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता, मैय्या वस्त्र न कोई पाता।
खान-पान का वैभव, सब तुमसे आता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
मान्यता है कि दिवाली के दिन विधिपूर्वक पूजा-अर्चना करने से माता लक्ष्मी और भगवान गणेश अति प्रसन्न होते हैं। अगर आप भी इस दिवाली माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की कृपा पाना चाहते हैं तो इससे पहले पूरी पूजा सामग्री एकत्र कर लें।
लक्ष्मी पूजन की संपूर्ण सामग्री – Diwali 2024 Puja Samagri, Saman List: दिवाली पूजा सामग्री लिस्ट, पूजन के समय लक्ष्मी-गणेश मूर्ति के अलावा लगेगी ये चीजें
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, दिवाली पर शनि देव और गुरु ग्रह वक्री अवस्था में रहने वाले हैं, जिससे कुछ राशियों की किस्मत चमक सकती है। साथ ही इन राशियों को आकस्मिक धन लाभ के योग बन रहे हैं।
ज्योतिषों के अनुसार, दीवाली पर करीब 500 साल बाद अत्यंत दुर्लभ संयोग बन रहा है। वैदिक ज्योतिष अनुसार शनि देव और गुरु ग्रह दिवाली पर वक्री रहेंगे।
अक्सर लोगों को यह शिकायत रहती है कि कई बार कोशिश करने के बाद भी उनकी पूरी फूली-फूली और सॉफ्ट क्यों नहीं बन पाती। अगर आप भी उनमें से हैं तो नीचे दिए गए लिंक को क्लिक करें।
हर घर में हो उजाला, आए ना रात काली, हर घर में मने खुशियां, हर घर में हो दिवाली। शुभ दिवाली!
आपके घर में लक्ष्मी गणेश का वास हो, जीवन से अंधेरा दूर हो, हर खुशी आपके द्वार पर दस्तक दे,
और आपकी जिंदगी में खुशियों की महफिल सज जाए। दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं!
प्रदोष काल, वृषभ लग्न और चौघड़िया के हिसाब से लक्ष्मी पूजन के लिए सबसे सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त 31 अक्टूबर की शाम को 06:25 से लेकर 7:13 के बीच का समय का है। कुल मिलाकर 48 मिनट का यह मुहूर्त सर्वश्रेष्ठ रहेगा।
लक्ष्मी पूजा का निशिता मुहूर्त- 31 अक्टूबर को रात 11 बजकर 39 मिनट से देर रात 12:31 बजे तक है।
प्रदोष काल- 31 अक्टूबर को प्रदोष काल शाम 05 बजकर 36 मिनट लेकर 08 बजकर 11 मिनट तक रहेगा।
वृषभ लग्न – शाम 06 बजकर 25 मिनट से लेकर रात को 08 बजकर 20 मिनट तक रहेगा।
साल के सबसे बड़े त्योहार में से एक दिवाली आज 31 अक्तूबर 2024 को मनाई जा रही है। हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को दीपावली मनाई जाती है।
शुभ (उत्तम)*: शाम 04:13 – 05:36
अमृत (सर्वोत्तम)*: शाम 05:36 – रात 07:14
चर (सामान्य)*: रात 07:14 – 08:51
पंचांग के हिसाब से चतुर्दशी तिथि का प्रारंभ 30 अक्तूबर को दोपहर 1 बजकर 16 मिनट से और इस तिथि का समापन 31 अक्तूबर को दोपहर 3 बजकर 53 मिनट पर होगा। बता दें कि छोटी दिवाली का पर्व हमेशा शाम के समय मनाया जाता है। ऐसे में छोटी दिवाली का पर्व आज यानी 30 अक्टूबर 2024 दिन बुधवार को मनाया जाएगा।
हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को छोटी दिवाली मनाया जाता है। छोटी दिवाली को नरक चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है। दीपावली के पांच दिन के त्योहार में यह धनतेरस के बाद मनाया जाता है।
दिवाली का त्योहार असल में भगवान राम के वापिस अयोध्या आने के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। इसी दिन 14 साल का वनवास बिताने और लंका के राजा रावण को हराने के बाद मां सीता और भगवान लक्ष्मण के साथ भगवान राम की अयोध्या वापसी हुई थी। यह हमें अंधकार पर प्रकाश और बुराई पर अच्छाई की विजय की याद दिलाता है। दिवाली सिर्फ एक त्योहार से कहीं अधिक है, यह जीवन का उत्सव है, जहां हर कोई खुशियां बांटने के लिए इकट्ठा होता है।
इस साल अमावस्या तिथि दो दिन होने के कारण दिवाली के दिन लक्ष्मी पूजा की तिथि को लेकर असमंजस है। कई लोगों का मानना है कि दिवाली का पर्व 31 अक्टूबर को, तो कई लोगों को 1 नवंबर को मनाना सही होगा।