दिवाली वाले दिन धन की देवी महालक्ष्मी, धन के देवता कुबेर, बुद्धि के देवता भगवान गणेश का पूजन विशेष तौर पर किया जाता है। इसकी के साथ इस दिन माता सरस्वती और महाकाली की भी अराधना की जाती है। कहते हैं जो व्यक्ति पूरे विधि विधान से दिवाली पूजन करता है उसके घर परिवार में सुख-समृद्धि का वास बना रहता है। इस बार दिवाली का पावन पर्व 24 अक्टूबर दिन सोमवार को मनाया जा रहा है। जानिए धन की देवी मां लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए इस दिन कैसे करें पूजन।
दिवाली का शुभ मुहूर्त: शाम को प्रदोष और वृष लग्न में पूजा करना विशेष फलदायी रहता है।
प्रदोष लग्न:- सायं 05ः48 से रात्रि 08ः22 तक रहेगा।
वृषलग्न :- सायं 07ः02 से रात्रि 08ः59 तक
रात्रि का शुभ मुहूर्त:- चर का चौघड़िया :- सायं 05ः47 से सायं 07ः23, लाभ का चौघड़िया रात्रि 10ः35 से मध्यरात्रि 12ः11 तक, शुभ-अमृत-चर का चौघड़िया मध्यरात्रि 01ः47 से अंतरात्रि 04ः14 तक है। अगर आप रात में पूजन करना चाहते हैं तो चर, लाभ और अमृत चर चौघड़िया में कर सकते हैं।
कब करें दिवाली पर लक्ष्मी पूजन: धन की देवी महालक्ष्मी की पूजा प्रदोष काल में की जानी चाहिए। प्रदोष काल के दौरान स्थिर लग्न में लक्ष्मी पूजन करना सबसे शुभ माना जाता है। निशिता काल में यानी रात 12 बजे के आस-पास पूजा करना भी शुभ माना जाता है। इस समय तांत्रिक, पंडित और साधकों द्वारा पूजा की जाती है। इस अवधि में मां काली की पूजा की परंपरा है।
दिवाली लक्ष्मी पूजन विधि:
-दिवाली वाले दिन शाम के समय शुभ मुहूर्त में मां लक्ष्मी, गणेश जी, माता सरस्वती की पूजा का विझान है।
-दिवाली वाले दिन लक्ष्मी पूजन से पहले घर की अच्छे से सफाई कर लेनी चाहिए।
-इस दिन धन के देवता कुबेर की भी पूजा होती है।
-माता लक्ष्मी की पूजा के लिए एक चौकी लें। उस पर लाल कपड़ा बिछाएं। अब इस चौकी पर माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित करें।
-चौकी के पास एक जल से भरा कलश भी रख लें।
-मां लक्ष्मी और भगवान गणेश को तिलक लगाएं और घी का दीपक जलाएं।
-भोग स्वरूप उनके समक्ष फल, खील-बताशे और मिठाई रखें।
-माता लक्ष्मी, भगवान गणेश, देवी सरस्वती, मां काली, कुबेर देवता और भगवान विष्णु की विधि विधान पूजा करें।
-देवी लक्ष्मी के मंत्रों का जाप करें।
-मां लक्ष्मी की स्तुति करें।
-तिजोरी और बहीखाते की पूजा करें।
-देवी लक्ष्मी की आरती उतारकर पूजा संपन्न करें।
-प्रसाद सभी में बांट दें और जरूरतमंदों को कुछ न कुछ दान जरूर करें।
माता लक्ष्मी की आरती:
ओम जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
तुमको निशिदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता।
सूर्य-चंद्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
दुर्गा रुप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता।
जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभदाता।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी, भवनिधि की त्राता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
जिस घर में तुम रहतीं, सब सद्गुण आता।
सब सम्भव हो जाता, मन नहीं घबराता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता।
खान-पान का वैभव, सब तुमसे आता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
शुभ-गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि-जाता।
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
महालक्ष्मीजी की आरती, जो कोई जन गाता।
उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
दीपावली के दिन इमली के पेड़ की छोटी टहनी लाकर अपनी तिजेरी या धन रखने के स्थान पर रखने से धन में दिनों दिन वृद्धि होती है।
वास्तु शास्त्र के अनुसार दीपावली के दिन देहरी यानी घर के मुख्य द्वार की दहलीज का पूजन करना बहुत महत्वपूर्ण होता है और ऐसा कहा जाता है कि इस दिन दहलीज टूटी-फूटी नहीं होनी चाहिए और दिवाली के दिन दहलीज के आस-पास घी का दीपक जलाकर पूजा करनी चाहिए। इससे मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और दीपावली पर उनका आगमन भी शुभ होता है।
हिन्दू शास्त्र के अनुसार इस दिन मां लक्ष्मी पृथ्वी पर विचरण करने आती है। लोग मुख्य द्वार पर तरह-तरह की रंगोली बनाकर मां लक्ष्मी का स्वागत करते हैं। भारत में यह त्योहार हर साल कार्तिक माह की अमावस्या तिथि को मनाई जाती है। इस साल दीपावली 4 नवंबर दिन गुरुवार को मनाई जाएगी। यहां जानें दीपावली हर साल कार्तिक माह की अमावस्या तिथि को ही क्यों मनाई जाती है।
महालक्ष्मी के महामंत्र ऊँ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद् श्रीं ह्रीं श्रीं ऊँ महालक्ष्मयै नम: का कमलगट्टे की माला से कम से कम 108 बार जाप करें, इससे आपके ऊपर हमेशा मां लक्ष्मी की कृपा हमेशा बनी रहेगी।
अगर तमाम कोशिशों के बावजूद भी नौकरी नहीं मिल रही है तो दिवाली की शाम लक्ष्मी पूजन के बाद या उसी समय थोड़ी चने की दाल लक्ष्मी जी पर छिड़कने के बाद इसे जम करके पीपल के पेड़ पर अर्पित करें। कहते हैं कि ऐसा करने से नौकरी मिलने की संभावना बढ़ जाती है।
यदि आपके घर में बरकत नहीं होती है तो दिवाली के दिन लाल चंदन, रोली और गुलाब के फूल को लाल कपड़े पर रखकर पूजन करें। जब पूजन पूर्ण हो जाए तो बाद में इसकी पोटली बना लें और इस पोटली को धन स्थान पर रख दें. माना जाता है कि इससे फिजूल खर्च कम हो जाते हैं। घर में बरकत होने लगती है।
दिवाली के खास अवसर पर माता लक्ष्मी की पूजा प्रदोषकाल में की जाती है। इस समय पूजा करने से मनुष्य को कभी भी दरिद्रता का सामना नहीं करना पड़ता है। पंचांग के अनुसार, लक्ष्मी पूजन अमवास्या तिथि को शाम 6 बजकर 9 मिनट से रात 8 बजकर 4 मिनट किया जाएगा. अमावस्या तिथि 4 नवंबर को शाम 6 बजकर 3 मिनट से 5 नवंबर को देर रात 2 बजकर 44 मिनट तक रहेगी।
लक्ष्मी की पूजा के समय तालियां नहीं बजानी चाहिए. आरती बहुत तेज आवाज में नहीं गाएं। कहा जाता है कि मां लक्ष्मी शोर से घृणा करती हैं।
दिवाली के खास अवसर पर लोग एक-दूसरे को तोहफे देते हैं। लेकिन ध्यान रखें कि इस दिन किसी को भी चमड़े से बनी कोई भी चीज गिफ्ट न करें।
- जो स्वच्छ वस्त्र धारण करते हैं, शुद्ध भोजन करते हैं और शुद्ध विचार रखते हैं। उनके घर में लक्ष्मी जी का वास होता है।
- जो दान देते हैं, गरीबों की सहायता करते हैं, उनके घर मे लक्ष्मी निवास करती हैं।
- जिनके घर में नित्य उत्सव होता है, उनके घर में लक्ष्मी निवास करती हैं।
दिवाली के दिन लक्ष्मी पूजन की तैयारी से पहले स्नान कर लें। पूजा से पहले घर की अच्छी तरह से साफ-सफाई करनी चाहिए, घर को फूल, आम के पत्तों और रंगोली आदि से सजाना चाहिए। घर के प्रवेश द्वार के दोनों ओर दीपक जलाना चाहिए। कहते हैं कि ऐसा करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं।
धनिया धन को आकर्षित करने वाली वनस्पति माना जाता है। भगवती लक्ष्मी को दीपावली के दिन धनिया के बीज और गुड़ अर्पित करना शुभ माना जाता है।
घर के प्रवेश द्वार पर कहीं भी गंदगी नहीं रहने देना चाहिए। कहते हैं कि वरना मां लक्ष्मी का घर में आगमन नहीं होता है।
यदि आपके घर में बरकत नहीं होती है तो दिवाली के दिन लाल चंदन, रोली और गुलाब के फूल को लाल कपड़े पर रखकर पूजन करें। जब पूजन पूर्ण हो जाए तो बाद में इसकी पोटली बना लें और इस पोटली को धन स्थान पर रख दें। माना जाता है कि इससे फिजूल खर्च कम हो जाते हैं।
पांच पूजा की सुपारी, पांच कौड़ी और काली हल्दी। इन सभी चीजों को गंगाजल से शुद्ध कर लें फिर इसे लाल रंग के स्वच्छ कपड़े में बांधकर पोटली बना लें और इस पोटली को पूजा की थाली में रखकर दिवाली की रात लक्ष्मी पूजन के साथ इस पोटली का पूजन भी करें और इस पोटली को लक्ष्मी जी के चरणों में रख दें। अगले दिन ये पोटली उठाकर अपने धन स्थान पर रखें। मान्यता है ऐसा करने से मां लक्ष्मी की कृपा से धन-धान्य में बरकत होती है।
नौकरी में संकट हो तो दिवाली के दिन एक नींबू को साफ कर सुबह के समय घर के मंदिर में रखें और रात के समय उसे सर से 7 बार वार के 4 भागों में काट लें. इसके बाद चौराहे पर जाकर चारों दिशाओं में एक-एक फेंक दें.
पंचांग के अनुसार, प्रत्येक वर्ष कार्तिक माह की अमावस्या तिथि पर प्रदोष काल होने पर दीपावली पूजा करने का विधान है। इस दिन देवी लक्ष्मी, भगवान गणेश, मां सरस्वती, मां काली और कुबेर देवता की पूजा होती है।
दिवाली पूजा के बाद अपनी श्रद्धा अनुसार और अपनी यथाशक्ति अनुसार जरूरतमंद लोगों के बीच खाने की चीज़ें, कपड़े, और अन्य जरूरी सामान दान करें।
इस वर्ष दिवाली पर दुर्लभ संयोग बन रहा है। 4 नवंबर को 4 ग्रह एक ही राशि में विराजमान हैं। सूर्य ग्रह, मंगल ग्रह, बुध ग्रह और चंद्र ग्रह चारों एक साथ तुला राशि में स्थित रहेंगे। इन चारों ग्रहों के एक साथ होने से कई राशि के लोगों को लाभ मिलेगा। लेकिन मुख्य रूप से ये स्थिति 4 राशि वालों के लिए विशेष रहने वाली है। माता लक्ष्मी की इन राशि के लोगों पर विशेष कृपा रहेगी। पूरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
दिवाली पूजन में शंख शामिल करने से जीवन में दरिद्रता दूर होती है।
गोमती चक्र दिवाली पूजन के बाद तिजोरी में रख दें। ऐसा करने से बरकत होती है।
जल सिंघाड़ा पूजा में अवश्य शामिल करें। ऐसा करने से खुशहाल जीवन का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
कमल का फूल मां लक्ष्मी का प्रिय माना जाता है। इसे पूजा में शामिल करने से धन वृद्धि होती है।
समुद्र का जल दिवाली पूजन में शामिल करने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
मोती पूजा में शामिल करने से आर्थिक स्थिति में सुधार आने लगता है।
इस बार दिवाली पर दुर्लभ संयोग बन रहा है। सूर्य ग्रह, मंगल ग्रह, बुध ग्रह और चंद्रमा ग्रह एक ही राशि में स्थित हैं। तुला राशि में इन चारों ग्रहों का एक साथ स्थित होना व्यक्ति के जीवन में शुभ परिणाम लेकर आने की वजह बन सकता है।