Diwali 2020 Puja Vidhi, Muhurat, Mantra: हिंदू पंचांग के मुताबिक हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि के दिन दिवाली का त्योहार मनाया जाता है। हिंदू धर्म में इसे सबसे बड़े त्योहार के रूप में मनाया जाता है। बताया जाता है कि इस दिन श्री राम 14 साल के वनवास से लौटकर वापस अयोध्या आए थे।

जबकि एक अन्य कथा के मुताबिक ऐसी मान्यता है कि इस दिन समुद्र मंथन के दौरान देवी लक्ष्मी प्रकट हुई थीं। इसलिए दिवाली वाले दिन कई लोग श्री राम, लक्ष्मण और देवी सीता की पूजा करते हैं। जबकि कुछ लोग माता महालक्ष्मी और भगवान गणेश की आराधना करते हैं। बताया जाता है कि दिवाली की पूजा शुभ मुहूर्त में विधि विधान से की जानी चाहिए।

दिवाली पूजा विधि (Diwali Puja Vidhi)
एक चौकी पर सफेद कपड़ा बिछाकर उस पर माता लक्ष्मी, माता सरस्वती और भगवान गणेश की प्रतिमा विराजमान करें।इसके बाद हाथ में जल लेकर उसे प्रतिमा पर निम्न मंत्र पढ़ते हुए छिड़कें।

ऊँ अपवित्र: पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोपि वा। य: स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स: वाह्याभंतर: शुचि:।।

माता पृथ्वी को प्रणाम करके निम्न मंत्र पढ़ें –
पृथ्विति मंत्रस्य मेरुपृष्ठः ग ऋषिः सुतलं छन्दः कूर्मोदेवता आसने विनियोगः॥
ॐ पृथ्वी त्वया धृता लोका देवि त्वं विष्णुना धृता। त्वं च धारय मां देवि पवित्रं कुरु चासनम्‌॥

अब ‘ॐ केशवाय नमः, ॐ नारायणाय नमः, ॐ माधवाय नमः’ कहते हुए गंगाजल या जल का आचमन करें।

हाथ में जल लेकर दिवाली पूजा का संकल्प लें। संकल्प के लिए हाथ में अक्षत, फूल और जल लें। साथ ही एक रूपए का सिक्का भी लें।

अब संकल्प करें कि – मैं अमुक व्यक्ति अमुक स्थान और समय पर माता महालक्ष्मी, माता सरस्वती और भगवान गणेश की पूजा करने जा रहा हूं, जिसका मुझे शास्त्रोक्त फल प्राप्त हों।

फिर कलश पूजन करें। इसके बाद नवग्रहों का पूजन करें। हाथ में चावल और फूल लें और नवग्रह स्तोत्र का पाठ करें। अब भगवती षोडश मातृकाओं का पूजन करें।

इसके बाद लक्ष्मी चालीसा, गणेश चालीसा, लक्ष्मी स्तोत्र, गणेश स्तोत्र और कनकधारा स्तोत्र का पाठ करें।

फिर माता महालक्ष्मी के मंत्रों का जाप करें। अंत में माता महालक्ष्मी, भगवान गणेश और देवी सरस्वती की आरती करते हुए पूजा संपन्न करें।

अब भगवान को फल और मिठाईयों का भोग लगाते हुए दंडवत प्रणाम कर आरती लें।