Diwali 2020 Laxmi Puja Vidhi, Muhurat Timings, Puja Time, Samagri, Mantra: इस साल दिवाली 14 नवंबर, शनिवार यानी आज मनाई जा रही है। बताया जा रहा है कि इस साल 499 सालों बाद अद्भुत संयोग बनने जा रहे हैं जिससे दीपावली पूजन का और अधिक पर प्राप्त हो सकता है। माना जाता है कि दीपावली पूजन विधि-विधान से किया जाना चाहिए।
दिवाली पूजा विधि (Diwali Puja Vidhi)
एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर उस पर माता महालक्ष्मी और भगवान गणेश की प्रतिमा रखें। चौकी के ऊपर पानी छिड़कते हुए इस मंत्र का उच्चारण करें –
ॐ अपवित्र: पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोपि वा । य: स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स: वाह्याभंतर: शुचि: ।।
अपने ऊपर और अपने पूजा के आसन पर जल छिड़कते हुए यह मंत्र बोलें –
पृथ्विति मंत्रस्य मेरुपृष्ठ: ग ऋषि: सुतलं छन्द: कूर्मोदेवता आसने विनियोग: ।।
ॐ पृथ्वी त्वया धृता लोका देवि त्वं विष्णुना धृता । त्वं च धारय मां देवि पवित्रं कुरु चासनम् नम: ।।
पृथ्वियै नम: आधारशक्तये नम: ।।
यह मंत्र बोलते हुए आचमन करें –
ॐ केशवाय नम:, ॐ नारायणाय नम: ॐ माधवाय नम:।
मां लक्ष्मी का ध्यान करते हुए यह मंत्र पढ़ें –
या सा पद्मासनस्था विपुल-कटि-तटी पद्म-पत्रायताक्षी,गम्भीरार्तव-नाभि: स्तन-भर-नमिता शुभ्र-वस्त्रोत्तरीया ।या लक्ष्मीर्दिव्य-रूपैर्मणि-गण-खचितैः स्वापिता हेम-कुम्भैः,सा नित्यं पद्म-हस्ता मम वसतु गृहे सर्व-मांगल्य-युक्ता।।
मां लक्ष्मी का आह्वान करने के लिए यह मंत्र पढ़ें –
आगच्छ देव-देवेशि! तेजोमयि महा-लक्ष्मी। क्रियमाणां मया पूजां, गृहाण सुर-वन्दिते।। श्रीलक्ष्मी देवीं आवाह्यामि।।
फूल चढ़ाएं –
नाना रत्न समायुक्तं, कार्त स्वर विभूषितम्।
आसनं देव-देवेश ! प्रीत्यर्थं प्रति-गह्यताम्।।
श्रीलक्ष्मी-देव्यै आसनार्थे पंच-पुष्पाणि समर्पयामि।।
पाद्यं गृहाण देवेशि, सर्व-क्षेम-समर्थे, भो: !भक्तया समर्पितं देवि, महालक्ष्मी ! नमोsस्तुते।।
श्रीलक्ष्मी-देव्यै पाद्यं नम:नमस्ते देव-देवेशि ! नमस्ते कमल-धारिणि!
नमस्ते श्री महालक्ष्मी, धनदा देवी ! अर्घ्यं गृहाण।
गंध-पुष्पाक्षतैर्युक्तं, फल-द्रव्य-समन्वितम्।
गृहाण तोयमर्घ्यर्थं, परमेश्वरि वत्सले।।
श्रीलक्ष्मी देव्यै अर्घ्यं स्वाहा।।
माता महालक्ष्मी को दूध, दही, घी, शहद और चीनी के मिश्रण से स्नान करवाते हुए पढ़ें – गंगासरस्वतीरेवापयोष्णीनर्मदाजलै:। स्नापितासी मय देवी तथा शांतिं कुरुष्व मे।। आदित्यवर्णे तपसोsधिजातो वनस्पतिस्तव वृक्षोsथ बिल्व:। तस्य फलानि तपसा नुदन्तु मायान्तरायश्र्च ब्रह्मा अलक्ष्मी:।। श्रीलक्ष्मी देव्यै जलस्नानं समर्पयामि।।
वस्त्र के रूप में कलावा चढ़ाते हुए पढ़ें –
दिव्याम्बरं नूतनं हि क्षौमं त्वतिमनोहरम्। दीयमानं मया देवि गृहाण जगदम्बिके।।
उपैतु मां देवसख: कीर्तिश्च मणिना सह। प्रादुर्भूतो सुराष्ट्रेsस्मिन् कीर्तिमृद्धि ददातु मे।।
।।श्रीलक्ष्मी देव्यै वस्त्रं समर्पयामि।।
इस मंत्र को पढ़ते हुए माता को गहने अर्पित करें –
रत्नकंकड़ वैदूर्यमुक्ताहारयुतानि च।
सुप्रसन्नेन मनसा दत्तानि स्वीकुरुष्व मे।।
क्षुप्तिपपासामालां ज्येष्ठामलक्ष्मीं नाशयाम्यहम्।
अभूतिमसमृद्धिं च सर्वात्रिर्णद मे ग्रहात्।।
।। श्रीलक्ष्मी देव्यै आभूषणानि समर्पयामि ।।
सिंदूर –
ॐ सिन्दुरम् रक्तवर्णश्च सिन्दूरतिलकाप्रिये । भक्त्या दत्तं मया देवि सिन्दुरम् प्रतिगृह्यताम् ।।।। श्रीलक्ष्मी देव्यै सिन्दूरम् समर्पयामि।।
कुमकुम –
ॐ कुमकुम कामदं दिव्यं कुमकुम कामरूपिणम् । अखंडकामसौभाग्यं कुमकुम प्रतिगृह्यताम् ।। श्रीलक्ष्मी देव्यै कुमकुम समर्पयामि।।
चावल –
अक्षताश्च सुरश्रेष्ठं कुंकमाक्ता: सुशोभिता: । मया निवेदिता भक्तया पूजार्थं प्रतिगृह्यताम् ।।।। श्रीलक्ष्मी देव्यै अक्षतान् समर्पयामि।।
गंध –
श्री खंड चंदन दिव्यं, गंधाढ्यं सुमनोहरम् ।विलेपनं महालक्ष्मी चंदनं प्रति गृह्यताम् ।।। श्रीलक्ष्मी देव्यै चंदनं समर्पयामि।।
फूल –
यथाप्राप्तऋतुपुष्पै:, विल्वतुलसीदलैश्च ।पूजयामि महालक्ष्मी प्रसीद मे सुरेश्वरि ।।। श्रीलक्ष्मी देव्यै पुष्पं समर्पयामि।।