हिंदू कैलेंडर के मुताबिक कार्तिक महीने की अमावस्या के दिन दिवाली मनायी जाती है। इस साल 27 अक्टूबर दिन रविवार को दिवाली है। यह त्योहार को भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के अन्य हिस्सों में रहने वाले हिंदू भी बड़ी ही धूमधाम से मनाते हैं। ऐसी मान्यता है कि इसी दिन भगवान राम चौदह साल का वनवास पूरा करके अयोध्या लौटे थे। कहते हैं कि राम के आने की खुशी में अयोध्यावासियों ने घी के दिए जलाकर उनका स्वागत किया था। क्योंकि इस दिन काली अमावस्या की रात दियों से रोशन हो गई थी। दिवाली का त्योहार उसी वक्त से मनाया जाता है। लक्ष्मी पूजन का समय शाम 06 बजकर 40 मिनट से शुरू होकर रात 08 बजकर 13 मिनट तक रहेगा। इस दौरान पूजा करना आपके लिए फलदायी रहेगा।

Laxmi Ji Ki Aarti: यहां पढ़े लक्ष्मी जी की आरती लिरिक्स इन हिंदी

लक्ष्मी जी की आरती (Laxmi Ji Ki Aarti) :

ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता ।
तुमको निस दिन सेवत हर-विष्णु-धाता ॥ॐ जय…

उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता ।
सूर्य-चन्द्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता ॥ॐ जय…

तुम पाताल-निरंजनि, सुख-सम्पत्ति-दाता ।
जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि-धन पाता ॥ॐ जय…

तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभदाता ।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनि, भवनिधि की त्राता ॥ॐ जय…

जिस घर तुम रहती, तहँ सब सद्गुण आता ।
सब सम्भव हो जाता, मन नहिं घबराता ॥ॐ जय…तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न हो पाता ।
खान-पान का वैभव सब तुमसे आता ॥ॐ जय…

शुभ-गुण-मंदिर सुन्दर, क्षीरोदधि-जाता ।
रत्न चतुर्दश तुम बिन कोई नहिं पाता ॥ॐ जय…

महालक्ष्मीजी की आरती, जो कई नर गाता ।
उर आनन्द समाता, पाप शमन हो जाता ॥ॐ जय…

दिवाली पर ऐसे करें धन की देवी लक्ष्मी की पूजा :

सबसे पहले भगवान गणेश का ध्यान करें। सबसे पहले गणेश जी की प्रतिमा को स्नान कराएं और उन्हें नए वस्त्र व फूल अर्पित करें।

गणेशजी के बाद माता लक्ष्मी की पूजा करें। इसके लिए सर्वप्रथम लक्ष्मी जी की प्रतिमा पूजा स्थल पर स्थापित करें।

माता लक्ष्मी का आह्वान करें। अपने हाथ जोड़कर प्रार्थना करें कि वे आपके घर आएं।

मां लक्ष्मी को स्नान कराएं और पोछकर उन्हें वस्त्र पहनाएं। फिर बिठाएं और फूल अर्पित करें। साथ ही मां को आभूषण पहनाएं।

अब इत्र अर्पित करने के बाद कुमकुम का तिलक लगाएं। साथ ही धूप व दिया भी जलाएं।

आप मां के पैरों में बेल पत्र और उसके पत्ते रख दें। साथ ही उन्हें 11 या 21 चावल भी अर्पित करें।

इसके बाद लक्ष्मी मां की आरती गाएं। आरती के बाद उनकी परिक्रमा करें और बाद में मां को प्रसाद अर्पित करें।

प्रसाद में केसर की मिठाई या खीर चढ़ाएं और बाद में लक्ष्मी रमणा जी की आरती का गुणगान करें। आरती के दौरान मन में किसी तरह के राग द्वेष न परपने दें।

दिवाली की पूरी रात अपने मन में मां लक्ष्मी का ध्यान करें और जमीन पर सोएं।