Dhanteras 2022: वैदिक पंचांग के अनुसार इस साल धनतेरस का पर्व आकाश मण्डल के बारहवें नक्षत्र उत्तरा फाल्गुनी की छांव में मनाया जाएगा। उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र पर सूर्य देव का आधिपत्य है। आपको बता दें कि । सूर्य का मूल गुण तमस है। रजस उनके भीतर द्वितीय स्तर पर है। और सत्त का स्तर तृतीय है। आपका बता दें कि 22 अक्टूबर को 1 बजकर 49 मिनट से पहले पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र होगा। वहीं शाम 5 बजकर 10 मिनट तक ब्रह्मा योग रहेगा। फिर उसके बाद इंद्रा योग शुरू हो जाएगा। उदया तिथि 23 अक्टूबर 2022 को है पर धन त्रयोदशी का मान 22 अक्टूबर को ही है। यह तिथि 22 अक्टूबर की शाम 4 बजकर 33 मिनट पर लगेगी।
उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र राशिचक्र का बारहवां नक्षत्र है। यह पूर्वा फाल्गुनी का उत्तरार्ध है और नक्षत्र-मंडल सिंह की पूंछ पर दो स्थिर तारों में विद्यमान है। लेकिन इस नक्षत्र का विस्तार कन्या के अगले क्षेत्र तक है। वहीं पहला चतुर्थांश सूर्य द्वारा नियंत्रित सिंह राशि में अंश 40 मिनट से 30 डिग्री 0 मिनट तक तक है। इस नक्षत्र में उन्नति, वृद्धि और सृजन बोध की अप्रतिम संभावनाएं समाहित हैं। इस नक्षत्र-मंडल के शेष तीन चतुर्थांश बुध द्वारा शासित कन्या राशि में अंश 0 मिनट से 10 डिग्री 0 मिनट तक फैले हुए हैं। कन्या और बुध दोनों का संगम विलक्षण परिस्थितियां निर्मित कर रहे हैं।
वहीं उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र का मूल उद्देश्य मोक्ष है। इसलिए इस वर्ष का धनतेरस का पर्व यश, स्वास्थ्य, ऐश्वर्य और मुक्ति का बोध लेकर आ रहा है।उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में लक्ष्मी-कुबेर की आराधना, जहां आर्थिक स्थिति के लिए मिश्रित परिणाम देगी, वहीं अगला साल कई मामलों में पिछले साल से बेहतर साबित होगा।
जानिए धनतेरस की तिथि
धनत्रयोदशी का आरम्भ 22 अक्टूबर 2022 को शाम 4 बजकर 33 मिनट पर होगा। वहीं तेरस 23 अक्टूबर की शाम 5 बजतक 04 तक रहेगी। राहु काल प्रातः 9:00 से 10:30 बजे तक रहेगा। साथ ही पंचांग अनुसार अपरान्ह 3.38 से संध्या 5.06 तक कुंभ और रात्रि 8.41 से रात्रि 10.55 तक वृष लग्न रहेगी। धनतेरस पर प्रदोष काल या वृष लग्न में कुबेर और लक्ष्मी का पूजन उत्तम माना जाता है। वहीं भगवान धन्वंतरि को हिंदू धर्म में देव वैद्य का पद हासिल है। इसलिए आरोग्य के लिए धन्वन्तरि की पूजा अमृत चौघड़िया, लाभ चौघड़िया, वृष लग्न में करनी चाहिए।
वहीं सूर्यास्त के समय अकाल मृत्यु और संकटों से घर के मुख्य द्वार के बाहर की ओर चार बातियों का दीप दान करना चाहिए। आपको बता दें कि इस दिन सरसों के दीपक का प्रज्जवलन उत्तम माना जाता है। रात में इस दिन उत्तम सेहत के लिए भगवान धन्वन्तरि और समृद्धि के लिए कुबेर के साथ लक्ष्मी गणेश का पूजन करना चाहिए। साथ ही मां लक्ष्मी को नैवेद्य में धनिया, गुड़ व धान का लावा जरूर अर्पित करना चाहिए।
कब क्या खरीदें?
लक्ष्मी सदैव हिसाब किताब यानी अकाउंट (बही खाते) में निवास करती हैं। धन त्रयोदशी पर बही खाता यानी पुस्तक खरीदने और उसके पूजन का उल्लेख परंपराओं में मिलता है। वहीं आपको बता दें कि बही खाता शुभ-चौघड़िया में ही खरीदना चाहिए। धनतेरस पर रजत यानी चांदी क्रय करना सौभाग्य कारक माना जाता है। कहते हैं कि इस दिन ख़रीदे हुए रजत में तेरह गुने की वृद्धि हो जाती है। चांदी खरीदने की स्थिति न होने पर ताम्र या अन्य धातुओं का क्रय किया जा सकता है। सोना चांदी और अन्य धातु वृष लग्न में खरीदना चाहिए।
वहीं कार, बाइक या इलेक्ट्रॉनिक्स आयटम खरीदने के अन्य दूसरे मुहूर्त हैं पर यदि इस दिन लेने की इच्छा हो तो शुभ चौघड़िया, कुंभ लग्न, चर-चौघड़िया या वृषभ-लग्न में क्रय किया जा सकता है। मोबाइल शुभ-चौघड़िया, उद्वेग-चौघड़िया या कुंभ लग्न में घर लाना शुभ है। म्यूचुअल फंड और शेयर शुभ चौघड़िया, लाभ चौघड़िया और कुम्भ लग्न में खदीदना चाहिए। इस दिन दीपावली के पटाखे, हथियार, विस्फोटक सामग्री या अनावश्यक वस्तुएं खरीदने से बचें। मतलब पटाखे एक दिन पहले या एक दिन बाद घर ला सकते हैं।
क्या है चौघड़िया?
सूर्योदय से सूर्यास्त और सूर्यास्त से सूर्योदय के मध्य का काल 30-30 घटी यानी घड़ी में मापा गया है। मतलब 30 घटी को अष्ट भाग में बांटने पर दिन और रात्रि के 8-8 चौघड़िया प्राप्त होते हैं। प्रत्येक चौघड़िया लगभग 4 घटी का होता है, इसलिए इसे चौ अर्थात चार + घड़िया, घटी, या बेला के नाम से जाना जाता है। इसे चतुर्श्तिका भी कहते हैं।
धनतेरस का चौघड़िया-
काल चौघड़िया- 6.00 प्रातः से 7.00 प्रातः
शुभ चौघड़िया- 7.30 प्रातः से 9.00 प्रातः
रोग चौघड़िया- 9.00 प्रातः से 10.30 प्रातः
उद्वेग चौघड़िया- 10.30 प्रातः से 12.00
चर चौघड़िया- 12.00 दोपहर से 13.30
लाभ चौघड़िया- 13.30 से 15.00
अमृत चौघड़िया- 15.00 से 16.30
काल चौघड़िया- 16.30 से 1800
लाभ चौघड़िया- 18.00 से 19.30
उद्वेग चौघड़िया- 19.30 से 21.00
शुभ चौघड़िया- 21.00 से 22.30
अमृत चौघड़िया- 22.30 से 24.00
उपरोक्त गणना काशी के पंचांग पर आधारित है। अपने शहर के मुहूर्त और चौघड़िया के लिए कृपया स्थानीय पंचांग देखें।