Dhanteras 2024 Date Laxmi Puja Vidhi, Shubh Muhurat Time, Puja Samagri List, Lakshmi Ji Ki Aarti: धनतेरस से दिवाली का पंच दिवसीय पर्व शुरू हो जाता है। वहीं यह पर्व हर साल कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाए जाने का विधान है। इस दिन भगवान धन्वंतरि, मृत्यु के देवता यमराज और कुबेर जी की पूजा होती है। साथ ही आपको बता दें कि इस साल धनतेरस का पर्व 29 अक्टूबर को मनाया जाएगा। वहीं इस दिन त्रिपुष्कर योग भी बन रहा है, इसलिए इस दिन का महत्व और भी बढ़ गया है। आइए जानते हैं खरीदारी का शुभ मुहूर्त और पूजा- विधि…
धनतेरस की तिथि 2024 (Dhanteras 2024 Tithi)
त्रयोदशी तिथि की शुरुआत : 29 अक्टूबर, सुबह 10 बजकर 32 मिनट से
त्रयोदशी तिथि की समाप्ति : 30 अक्टूबर, दोपहर 1 बजकर 16 मिनट तक
उदया तिथि के मुताबिक धनतेरस का पर्व दिन मंगलवार 29 अक्टूबर 2024 को मनाया जाएगा।
धनतेरस खरीदारी का शुभ मुहूर्त
पहला खरीदारी का मुहूर्त
धनतेरस के दिन त्रिपुष्कर योग बन रहा है, इस योग में खरीदारी करना मंगलकारी माना जाता है। यह योग सुबह 6 बजकर 32 मिनट से आरंभ होकर अगले दिन तक 10 बजकर 30 मिनट पर रहेगा। इस योग में की गई खरीदारी करने से चीजों में तीन गुणा वृद्धि होती है।
दूसरा खरीदारी का मुहूर्त
धनतेरस के दिन अभिजीत मुहूर्त का भी संयोग बन रहा है और इस योग में खरीदारी करने से धन- समृद्धि की प्राप्ति होती है। साथ ही मां लक्ष्मी प्रसन्न रहती हैं। यह मुहूर्त 29 अक्टूबर के दिन 11 बजकर 42 मिनट से दोपहर 12 बजकर 27 मिनट तक रहेगा, इस बीच में खरीदारी कर सकते हैं।
तीसरा शुभ मुहूर्त
यह शुभ मुहूर्त संध्या 06:36 से प्रातः 08:32 बजे तक रहेगा जो प्रदोष काल का है। इनमें से यह मुहूर्त सबसे उत्तम और शुभ माना जाता है।
मां लक्ष्मी और कुबेर जी की पूजा का शुभ मुहूर्त
वैदिक पंचांग अनुसार धनतेरस पर धन की देवी माता लक्ष्मी और धन्वंतरी जी की पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 06:30 मिनट से लेकर रात 08:12 मिनट तक है। जबकि कुबेर पूजन का मुहूर्त शाम में 7 बजकर 15 मिनट से लेकर 8 बजकर 25 मिनट तक है। इस बीच में आप पूजा- अर्चना कर सकते हैं।
जानिए पूजा- विधि
धनतेरस के दिन साफ- सुथरे कपड़े पहल लें और शाम को भगवान धन्वंतरि, कुबेर जी और माता लक्ष्मी का चित्र या प्रतिमा को पूजा की चौकी पर स्थापित करें। फिर दीपक और धूप जलाएं। इसके बाद भगवान सभी भगवान को रोली से तिलक करें। साथ ही उनको फल और पुष्प चढाएं। भगवान कुबेर और मां लक्ष्मी का भी पूजन करें। साथ ही मिठाई का भोग लगाएं। साथ ही अंत में विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें। क्योंकि शास्त्रों अनुसार भगवान धन्वंतरि को विष्णु भगवान का ही अवतार माना जाता है। वहीं अंत में भगवान धंवंतरि, कुबेर भगवान और मां लक्ष्मी की आरती करें।