Dhanteras 2022 Date, Maa Laxmi And Kuber Bhagvan Puja Muhurt : वैदिक पंचांग के अनुसार इस साल धनतेरस का त्योहार 23 अक्टूबर को मनाया जाएगा। इस दिन धन के देवता कुबेर और भगवान धन्वंतरि की पूजा- अर्चना की जाती है। भगवान धन्वंतरि को आयुर्वेद का जन्मदाता और देवताओं का चिकित्सक माना जाता है। वहीं शास्त्रों के अनुसार भगवान विष्णु के 24 अवतारों में से 12वां अवतार धन्वंतरि था। साथ ही धनतेरस के दिन बर्तन, सोना- चांदी खरीदना शुभ माना जाता है। लेकिन क्या आपको पता हैं धनतेरस का त्योहार क्यों मनाया जाता है और इसका इसका धार्मिक महत्व क्या है। आइए जानते हैं…
जानिए धनतेरस का धार्मिक महत्व
विष्णु पुराण के अनुसार धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि का जन्म हुआ था। आपको बता दें कि जब देवता और असुर समुद्र मंथन कर रहे थे, तब उस समय भगवान धन्वंतरि अमृत कलश के साथ प्रकट हुआ थे। वो समय कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि थी। यही वजह है कि इस दिन को धनतेरस या धनत्रयोदशी के रूप में जाना जाता है। शास्त्रों के अनुसार भगवान धनवंतरी देवताओं के वैद्य हैं। इनकी पूजा से आरोग्य सुख यानी स्वास्थ्य लाभ मिलता है। भगवान धन्वंतरि के उत्पन्न होने के दो दिनों बाद देवी लक्ष्मी प्रकट हुई थीं, इसलिए धनतेरस के दो दिन बाद दीपावली का त्योहार मनाया जाता है। समुद्र मंथन की कथा श्रीमद्भागवत पुराण, विष्णु पुराण और अग्नि पुराण में मिलती है। इस दिन कुबेर देवता की भी पूजा की जाती है।
जानिए पूजा का शुभ मुहूर्त
वैदिक पंचांग के अनुसार मां लक्ष्मी और कुबेर जी का पूजन प्रदोष काल में करना बेहद शुभ रहता है। इसलिए पूजन 22 अक्टूबर को शाम को 6 बजकर 3 मिनट के बाद कभी भी करना मंगलकारी रहेगा। लेकिन धन्वंतरि पूजा क्योंकि सूर्योदय तिथि वाले दिन करने का विधान है। इसलिए उसका आयोजन 23 अक्टूबर को करना शुभ फलदायी रहेगा।
वहीं धनतेरस पर यमराज से असामयिक मृत्यु न होने की कामना के साथ घर के मुख्य द्वार की दक्षिण दिशा में घी अथवा तिल के तेल का दीपक जलाने की परंपरा है। ऐसी मान्यता है इससे यमराज प्रसन्न रहते हैं और घर में किसी की अकाल मृत्यु नहीं होती है। साथ दीपक मेंं आप चांदी एक सिक्का भी रख सकते हैं। वहीं कुबेर जी की पूजा में इस मंत्र का उच्चारण जरूर करें।
कुबेर पूजा मंत्र
ओम श्रीं, ओम ह्रीं श्रीं, ओम ह्रीं श्रीं क्लीं वित्तेश्वराय: नम:।