Dhanteras 2020 Laxmi Puja Vidhi, Muhurat, Timings: धनतेरस का दिन धन आगमन के लिए पूजा करने का श्रेष्ठ दिन माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि धनतेरस की शाम को जो व्यक्ति भगवान धन्वंतरि, भगवान कुबेर और माता महालक्ष्मी की उपासना करता है उसके घर में अपार धन-संपत्ति आती है।
कहते हैं कि धनतेरस की पूजा सच्चे मन से की जाए तो व्यक्ति अपार धन-संपत्ति प्राप्त करने का वरदान प्राप्त कर सकता है। बताया जाता है कि अगर सही विधि से धनतेरस की पूजा की जाए तो इसके प्रभाव से अत्यंत शुभ फलों की प्राप्ति हो सकती है। इसलिए धनतेरस की पूजा हमेशा शुभ मुहूर्त में सही विधि से करनी चाहिए।
धनतेरस लक्ष्मी पूजा विधि (Dhanteras Laxmi Puja Vidhi)
एक चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाकर उस पर गंगाजल की छींटें मारकर स्थान को पवित्र करें।
चौकी के सामने लाल रंग का आसन बिछाकर स्वयं भी बैठ जाएं।
इसके बाद उस चौकी पर माता लक्ष्मी की फोटो या प्रतिमा विराजित करें।
माता महालक्ष्मी को कमल के पुष्पों की माला, कमलगट्टे की माला या लाल रंग के फूलों की माला अर्पित करें।
अब माता महालक्ष्मी के मस्तक पर लाल रंग के कुमकुम का तिलक लगाएं।
साथ ही धूप, दीप और अगरबत्ती जलाएं।माता महालक्ष्मी के यशरूपी स्वरूप का ध्यान करें।
इसके बाद लक्ष्मी स्तुति, लक्ष्मी चालीसा, लक्ष्मी स्तोत्र और लक्ष्मी नारायण हृदय स्तोत्र का पाठ करें।
फिर माता लक्ष्मी के वैभवदायी मंत्रों का जाप करें।
बताया जाता है कि अगर जाप करते समय माता महालक्ष्मी के स्वरूप का ध्यान किया जाए तो उसका फल ज्यादा मिलता है।
अब परिवार सहित माता लक्ष्मी की आरती करें और जयकारे लगाएं। फिर भगवान विष्णु की भी आरती करें।
ऐसी मान्यता है कि भगवान विष्णु लक्ष्मीपति हैं इसलिए देवी लक्ष्मी उसी घर में वास करते हैं जहां भगवान विष्णु की उपासना की जाती है।आरती के बाद माता लक्ष्मी को खीर का भोग लगाएं।
धनतेरस पूजा का शुभ मुहूर्त (Dhanteras Puja Ka Shubh Muhurat)
पूजा का शुभ मुहूर्त – 13 नवंबर, शुक्रवार – शाम 5 बजकर 28 मिनट से शाम 5 बजकर 59 मिनट तक।
वृषभ काल – शाम 5 बजकर 32 मिनट से शाम 7 बजकर 28 मिनट तक।
प्रदोष काल – शाम 5 बजकर 28 मिनट से शाम 8 बजकर 7 मिनट तक।