धनतेरस के दिन विधि-विधान से माता महालक्ष्मी की आराधना की जाती हैं। इस साल धनतेरस 13 नवंबर, शुक्रवार को मनाई जा रही है। बताया जाता है कि सही विधि से अगर देवी लक्ष्मी की उपासना की जाए तो उनकी कृपा बरसती है और जिस घर में माता महालक्ष्मी की कृपा होती है।

Laxmi Ji Ki Aarti: यहां पढ़े लक्ष्मी जी की आरती लिरिक्स इन हिंदी

उनके घर में कभी किसी वस्तु आदि का अभाव नहीं रहता है। इसलिए ही धनतेरस के दिन उत्तर भारत के लगभग सभी राज्यों में धूमधाम से देवी लक्ष्मी की आराधना की जाती है और उन्हें प्रसन्न करने का प्रयास किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि पूजा को संपूर्ण करने के लिए आरती करना बहुत जरूरी होता है।

कहते हैं कि अगर आपने पूजा पूरी भक्ति और श्रद्धा के साथ की है लेकिन अंत में आरती नहीं की तो आपकी पूजा को पूरा नहीं माना जाएगा। इसलिए यह बहुत जरूरी है कि पूजा करने के बाद आरती की जाए। धनतेरस के दिन भी माता महालक्ष्मी की सच्चे मन से आराधना करने के बाद यह बहुत जरूरी है कि उनकी आरती गाई जाए। कहते हैं कि जो व्यक्ति सच्चे मन से माता महालक्ष्मी की आरती जाता है उसका मन आनंद से भर जाता है। मान्यता है कि नित्य माता महालक्ष्मी की आरती करने से घर में धन-धान्य की वर्षा होती है।

माता महालक्ष्मी जी की आरती (Laxmi Ji Ki Aarti)
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।।
तुमको निशदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता। ॐ जय लक्ष्मी माता।।
उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता।
सूर्य-चन्द्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता। ॐ जय लक्ष्मी माता‌।।
दुर्गा रूप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता।
जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता। ॐ जय लक्ष्मी माता।।
तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभदाता।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी, भवनिधि की त्राता। ॐ जय लक्ष्मी माता।।
जिस घर में तुम रहतीं, सब सद्गुण आता।
सब सम्भव हो जाता, मन नहीं घबराता। ॐ जय लक्ष्मी माता।।
तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता।
खान-पान का वैभव, सब तुमसे आता। ॐ जय लक्ष्मी माता।।
शुभ-गुण मन्दिर सुन्दर, क्षीरोदधि-जाता।
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता। ॐ जय लक्ष्मी माता।।
महालक्ष्मी जी की आरती, जो कोई नर गाता।
उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता। ॐ जय लक्ष्मी माता।।
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
तुमको निशदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता। ॐ जय लक्ष्मी माता।।