Dhanteras 2020 date in India (धनतेरस कब है): धनतेरस के साथ पंच पर की शुरुआत हो जाती है। हिंदू पंचांग के मुताबिक कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को धनतेरस मनाई जाती है। हिंदू पंचांग और ग्रेगोरियन कैलेंडर में इस बार धनतेरस 13 नवंबर को बताया जा रहा है। जबकि कुछ लोग 12 नवंबर को भी धनतेरस मना रहे हैं।

ऐसे लोगों का धनतेरस 12 तारीख को मनाने के पीछे यह तर्क है कि दीवाली से दो दिन पहले ही धनतेरस मनाया जाता है। जबकि हिंदू पंचांग माना जाए तो 13 नवंबर के दिन ही त्रयोदशी तिथि है। इसलिए इस दिन धनतेरस मनाना ज्यादा उचित माना जा रहा है।

क्यों मनाया जाता है धनतेरस का त्योहार (Why do we Celebrate Dhanteras)
प्राचीन मान्यताओं के मुताबिक कथाओं में ऐसा वर्णन मिलता है कि जब समुद्र मंथन हुआ था तब धनतेरस के दिन ही भगवान धनवंतरी का प्राकट्य हुआ था। ऐसी मान्यता है कि धनतेरस के दिन भगवान धनवंतरि की आराधना करने से धन-धान्य और सुख संपत्ति की प्राप्ति होती है। इसलिए इस दिन को भगवान धनवंतरी की उपासना के लिए समर्पित माना जाता है।

कहते हैं कि जो इस दिन सच्चे मन से भगवान धनवंतरी को याद कर पूजा करता है उसे दरिद्रता से निजात मिलती है। बताया जाता है कि भगवान धनवंतरी अपने हाथ में धन-धान्य से भरा कलश लेकर प्रकट हुए थे इसलिए ही धनतेरस के दिन बर्तन, सोना, चांदी और अन्य धातुओं खरीदने की परंपरा हैं।

मान्यता है कि जो व्यक्ति इस दिन भगवान धनवंतरी और उनके प्राक्टय से संबंधित वस्तुओं को खरीदता है भगवान धनवंतरी उन पर विशेष कृपा बरसाते हैं। साथ ही इस दिन झाड़ू खरीदने की भी परंपरा है। माना जाता है कि झाड़ू धन-धान्य का प्रतीक है। जो व्यक्ति धनतेरस के दिन झाड़ू खरीदना है उसके घर से दरिद्रता का नाश होता है और घर में धन-धान्य का आगमन होने के योग बनते हैं।

माता लक्ष्मी और कुबेर की भी होती है पूजा – धनतेरस के दिन केवल भगवान धनवंतरी ही नहीं बल्कि धन और वैभव से संबंधित दो अन्य देवी-देवताओं यानी माता लक्ष्मी और भगवान कुबेर की भी उपासना की जाती है। ऐसी मान्यता है कि धनतेरस के दिन जो व्यक्ति माता महालक्ष्मी और कुबेर की उपासना करते हैं उनके घर में अचल धन-धान्य का वास होता है। मान्यता है कि इस दिन देवी लक्ष्मी को लाल रंग का पुष्प या कमल का पुष्प जरूर अर्पित करना चाहिए। इससे माता महालक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त की जा सकती हैं।