Devutthana Ekadashi 2020 Date: हिंदू पंचांग के मुताबिक हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि के दिन देवोत्थान एकादशी मनाई जाती है। ग्रेगोरियन कैलेंडर की मानें तो इस साल देवोत्थान एकादशी 25 नवंबर, बुधवार और 26 नवंबर, बृहस्पतिवार को मनाई जाएगी।
साल की सभी 24 एकादशियां भगवान विष्णु को समर्पित होती हैं। लेकिन देवोत्थान एकादशी के दिन विशेष तौर पर भगवान विष्णु की आराधना की जाती हैं। कहते हैं कि इस दिन भगवान विष्णु की उपासना करने से घर-परिवार में मांगलिक कार्यक्रमों की शुरुआत होने के योग बन सकते हैं।
तिथियों में कंफ्यूज हो रहे हैं लोग – इस साल देवोत्थान एकादशी दो दिन मनाई जा रही है। जहां एक तरफ 25 नवंबर, बुधवार को स्मार्त देवोत्थान एकादशी मनाएंगे वहीं दूसरी तरफ वैष्णव 26 नवंबर, बृहस्पतिवार को देवोत्थान एकादशी मनाएंगे। बताया जा रहा है कि तिथियों में कंफ्यूज होने की एक बड़ी वजह सूर्योदय का समय है।
क्योंकि हिंदू पंचांग के मुताबिक तिथियां किसी भी समय बदल जाती हैं चाहें दिन हो या रात। इसलिए पूरा दिन वो तिथि मानी जाती है जिस तिथि में सूर्योदय होता है। एकादशी तिथि का सूर्योदय 26 नवंबर, बृहस्पतिवार को होगा इसलिए यह माना जा रहा है कि 26 नवंबर, बृहस्पतिवार को एकादशी मनाना ज्यादा उचित है।
देवोत्थान एकादशी का महत्व (Devutthana Ekadashi Importance)
हिंदू धर्म में देवोत्थान एकादशी का बहुत अधिक महत्व बताया जाता है। कहते हैं कि जो व्यक्ति देवोत्थान एकादशी के दिन सच्चे मन से भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। माना जाता है कि यह दिन बहुत शुभ होता है। वेदों-पुराणों में भी देवोत्थान एकादशी की महिमा का बखान किया गया है। इस दिन तुलसी विवाह भी मनाया जाता है।
ऐसी मान्यता है कि जो व्यक्ति इस दिन श्रद्धापूर्वक देवी तुलसी से भगवान तुलसा यानी भगवान विष्णु का विवाह करवाता है उसकी विवाह में आने वाली सभी अड़चनें दूर होती हैं और ऐसे व्यक्ति पर भगवान विष्णु की कृपा बरसती है। कई लोग देवोत्थान एकादशी के दिन अपने घर के देवी-देवताओं की पूजा करते हैं। विद्वानों का मानना है कि देवशयनी एकादशी के बाद इस दिन चार महीने की अवधि पूरी कर भगवान विष्णु नींद से जागते हैं और अपने भक्तों को आशीर्वाद प्रदान करते हैं। इसके बाद ही कोई मांगलिक कार्य जैसे – मुंडन, विवाह और सगाई आदि किए जाते हैं।