Devshayani Ekadashi 2025: हिंदू पंचांग के अनुसार, आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देवशयनी एकादशी का व्रत रखा जाता है। ये वर्षभर में पड़ने वाली एकादशियों से काफी खास होती है, क्योंकि इसी दिन से भगवान विष्णु सृष्टि के संचार का कार्यभार भगवान शिव को सौंप कर क्षीर सागर में 4 माह के लिए योग निद्रा में चले जाते हैं और देवउठनी एकादशी के दिन जाग्रत होते हैं। इस अवधि को चातुर्मास कहा जाता है। इस साल देवशनी एकादशी पर रवि योग के साथ-साथ त्रिपुष्कर योग का निर्माण हो रहा है। ऐसे में भगवान विष्णु के साथ मां लक्ष्मी की विधिवत पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं हरिशयनी एकादशी का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, मंत्र, भोग, श्री विष्णु आरती और पारण का समय…
Vishnu Ji Ki Aarti: विष्णु जी की आरती, ॐ जय जगदीश हरे स्वामी जय जगदीश हरे
देवशयनी एकादशी 2025 तिथि (Devshayani Ekadashi 2025 Date)
आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी आरंभ- 5 जुलाई को शाम 6 बजकर 58 मिनट से शुरू
एकादशी तिथि समाप्त- 6 जुलाई को रात 09 बजकर 14 मिनट
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देवशयनी एकादशी 2025 चौघड़िया मुहूर्त (Devshayani Ekadashi 2025 Muhurat)
लाभ – उन्नति- 08:45 से 10:28
अमृत – सर्वोत्तम- 10:28 से 12:11
शुभ – उत्तम- दोपहर 1:54 से 3:38
शुभ – उत्तम- शाम 7:04 से 8:21
अमृत – सर्वोत्तम- शाम 8:21 से 9:38
देवशयनी एकादशी 2025 पारण का समय (Devshayani Ekadashi 2025 Paran Time)
हिंदू पंचांग के अनुसार, देवशयनी एकादशी का पारण 7 जुलाई को सुबह 05:29 से सुबह 08:16 तक किया जाएगा।
देवशयनी एकादशी की पूजा विधि (Devshayani Ekadashi 2025 Puja Vidhi)
इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान कर लें। इसके बाद साफ-सुथरे वस्त्र धारण कर लें। एक तांबे के लोटे में जल, सिंदूर, लाल फूल डालकर सूर्यदेव को अर्घ्य दें। सबसे पहले व्रत का संकल्प लें। इसके बाद विष्णु जी की पूजा आरंभ करें। सबसे पहले एक लकड़ी की चौकी में पीले रंग का वस्त्र बिछाकर श्री विष्णु की मूर्ति या तस्वीर रखें। सबसे पहले जल से आचमन करें। इसके बाद विष्णु जी को पीला चंदन, फूल, माला, अक्षत आदि लगाने के साथ भोग में तुलसी का दल के साथ रखें। इसके बाद जल अर्पित करें। फिर घी का दीपक और धूप जलाकर एकादशी व्रत कथा, विष्णु चालीसा, विष्णु मंत्र के बाद श्री विष्णु आरती कर लें। अंत में भूल चूक के लिए माफी मांग लें और दिनभर व्रत रखें। दूसरे दिन तय समय पर पूजा पाठ करने के बाद व्रत का पारण कर लें।
देवशयनी एकादशी संकल्प मंत्र (Devshayani Ekadashi 2025 Mantra)
सत्यस्थ: सत्यसंकल्प: सत्यवित् सत्यदस्तथा।
धर्मो धर्मी च कर्मी च सर्वकर्मविवर्जित:।।
कर्मकर्ता च कर्मैव क्रिया कार्यं तथैव च।
श्रीपतिर्नृपति: श्रीमान् सर्वस्यपतिरूर्जित:।।
देवशयनी एकादशी विष्णु क्षमा मंत्र
भक्तस्तुतो भक्तपर: कीर्तिद: कीर्तिवर्धन:।
कीर्तिर्दीप्ति: क्षमाकान्तिर्भक्तश्चैव दया परा।।
भगवान जगदीश्वर की आरती (Shri Vishnu Aarti)
ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।
भक्तजनों के संकट क्षण में दूर करे॥
जो ध्यावै फल पावै, दुख बिनसे मन का।
सुख-संपत्ति घर आवै, कष्ट मिटे तन का॥ ॐ जय…॥
मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं किसकी।
तुम बिनु और न दूजा, आस करूं जिसकी॥ ॐ जय…॥
तुम पूरन परमात्मा, तुम अंतरयामी॥
पारब्रह्म परेमश्वर, तुम सबके स्वामी॥ ॐ जय…॥
तुम करुणा के सागर तुम पालनकर्ता।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥ ॐ जय…॥
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूं दयामय! तुमको मैं कुमति॥ ॐ जय…॥
दीनबंधु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।
अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥ ॐ जय…॥
विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा॥ ॐ जय…॥
तन-मन-धन और संपत्ति, सब कुछ है तेरा।
तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा॥ ॐ जय…॥
जगदीश्वरजी की आरती जो कोई नर गावे।
कहत शिवानंद स्वामी, मनवांछित फल पावे॥ ॐ जय…॥
डिसक्लेमर- इस लेख को विभिन्न माध्यमों जैसे ज्योतिषियों, पंचांग, मान्यताओं या फिर धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है। इसके सही और सिद्ध होने की प्रामाणिकता नहीं दे सकते हैं। इसके किसी भी तरह के उपयोग करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।
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