Devshayani Ekadashi 2023 Shubh Muhurat Puja Vidhi: हिंदू पंचांग के अनुसार, आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवशयनी एकादशी कहा जाता है। साल भर में पड़ने वाली 24 एकादशियों में से देवशयनी एकादशी काफी खास होती है, क्योंकि इस एकादशी से ही भगवान विष्णु अगले चार माह के लिए योग निद्रा में चले जाते हैं और सृष्टि के संचार का काम भगवान शिव को सौंप जाते हैं। भगवान विष्णु के शयन के कारण इसे देवशयनी एकादश कहते हैं। इसके अलावा इसे पद्मा एकादशी, आषाढ़ी एकादशी, हरिशयनी एकादशी के नाम से जानते हैं। इस एकादशी के साथ ही चातुर्मास आरंभ हो जाएगा, जो प्रबोधिनी एकादशी के साथ समाप्त होगा। जानिए देवशयनी एकादशी का शुभ मुहूर्त, पारण का समय, पूजा विधि और आरती।

देवशयनी एकादशी 2023 शुभ मुहूर्त (Devshayani Ekadashi 2023 Shubh Muhurat)

एकादशी तिथि आरंभ- 29 जून की सुबह 3 बजकर 17 मिनट से शुरू
एकादशी तिथि समाप्त- 30 जून को सुबह 2 बजकर 42 मिनट तक
सिद्ध योग- 29 जून को सुबह 5 बजकर 155 मिनट से 30 जून को सुबह 3 बजकर 43 मिनट तक।

देवशयनी एकादशी व्रत का पारण (Devshayani Ekadashi 2023 Paran Time)

व्रत पारण का समय- 30 जून को दोपहर 1 बजकर 48 मिनट से 4 बजकर 36 मिनट तक

देवशयनी एकादशी 2023 पूजा विधि (Devshayani Ekadashi 2023 Puja Vidhi)

  • देवशयनी एकादशी के दिन सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान आदि कर लें।
  • भगवान विष्णु की विधिवत पूजा करें।
  • भगवान विष्णु को जल, पीले रंग के फूल, माला, पीला चंदन, पान में सुपारी, बताशा, लौंग, इलायची और एक रूपए का सिक्का रख कर अर्पित करें।
  • खीर, मिठाई आदि का भोग लगाएं।
  • भोग के बाद घी का दीपक और धूप जलाकर विधिवत तरीके से एकादशी व्रत कथा का पाठ, विष्णु चालीसा और मंत्रों का जाप कर लें।
  • इसके बाद आरती कर लें।
  • दिनभर फलाहारी व्रत रखें।
  • द्वितीया तिथि को शुभ मुहूर्त में व्रत का पारण कर लें।

श्री विष्णु जी की आरती (Shri Vishnu Aarti)

ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।
भक्तजनों के संकट क्षण में दूर करे॥

जो ध्यावै फल पावै, दुख बिनसे मन का।
सुख-संपत्ति घर आवै, कष्ट मिटे तन का॥ ॐ जय…॥

मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं किसकी।
तुम बिन और न दूजा, आस करूं जिसकी॥ ॐ जय…॥

तुम पूरन परमात्मा, तुम अंतरयामी॥
पारब्रह्म परेमश्वर, तुम सबके स्वामी॥ ॐ जय…॥

तुम करुणा के सागर तुम पालनकर्ता।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥ ॐ जय…॥

तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूं दयामय! तुमको मैं कुमति॥ ॐ जय…॥

दीनबंधु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।
अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥ ॐ जय…॥

विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा॥ ॐ जय…॥

तन-मन-धन और संपत्ति, सब कुछ है तेरा।
तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा॥ ॐ जय…॥

जगदीश्वरजी की आरती जो कोई नर गावे।
कहत शिवानंद स्वामी, मनवांछित फल पावे॥ ॐ जय…॥