Dev Uthani Ekadashi 2019 Puja Vidhi, Shubh Muhurat, Time: देवउठनी एकादशी का पर्व इस साल 8 नवंबर को मनाया जा रहा है। इस दिन जगत के पालनकर्ता भगवान विष्णु अपनी योग निद्रा से जाग जाते हैं और सृष्टि का कार्यभार फिर से संभालते हैं। इसी के साथ चार महीने से रूके हुये शादी ब्याह के मुहूर्त और सभी मांगलिक कार्य फिर से शुरू हो जाते हैं। इस दिन भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी और तुलसी जी की विधि विधान पूजा की जाती है। यहां आप जानेंगे देव उठनी एकादशी की पूरी पूजन विधि विस्तार से…

तुलसी विवाह की कथा, मुहूर्त, मंत्र जानिए यहां

देव उठनी एकादशी पर कैसे करें व्रत पूजन (Dev Uthani Ekadashi Puja Vidhi) :

– देवउठनी एकादशी के दिन व्रती प्रातःकाल में स्नानादि से निवृत्त होकर आंगन में चौक बनाएं।

– इसके बाद भगवान विष्णु के चरणों को कलात्मक रूप से अंकित करें यानी चित्र बनाएं।

– फिर दिन की तेज धूप में श्री हरि के चरणों को ढंक दें।

– देवउठनी एकादशी को रात के समय सुभाषित स्त्रोत पाठ, भगवत कथा और पुराणादि को सुनें और भजन आदि का गायन करें।

– पूजा में घंटा, शंख, मृदंग, नगाड़े और वीणा का प्रयोग करते हुए इस मंत्र का उच्चारण करते हुए भगवान को जगाएं।
‘उत्तिष्ठ गोविन्द त्यज निद्रां जगत्पतये।
त्वयि सुप्ते जगन्नाथ जगत्‌ सुप्तं भवेदिदम्‌॥’
‘उत्थिते चेष्टते सर्वमुत्तिष्ठोत्तिष्ठ माधव।
गतामेघा वियच्चैव निर्मलं निर्मलादिशः॥’
‘शारदानि च पुष्पाणि गृहाण मम केशव।’

– इसके बाद भगवान की विधिवत पूजा करें और उनकी आरती उतारें।

तुलसी विवाह की विधि (Tulsi Viva Ki Vidhi) :

– शाम के समय तुलसी विवाह करने से पहले उसके गमले के पास गेरु से रंगोली बना लें। रंगोली से अष्टदल कमल बनाएं।
– फिर गन्ने का प्रयोग करते हुए मंडप सजाएं।
– दौ चौकी रखें एक पर तुलसी का गमला और दूसरे पर शालिग्राम या भगवान विष्णु की मूर्ति रखें।
– शालिग्राम की दाईं तरफ तुलसी जी स्थापित करें।
– शालिग्राम वाली चौकी पर अष्टदल कमल बनाकर और उस पर कलश की स्थापना करें और स्वास्तिक भी बनाएं।
– फिर आम के पत्तों पर रोली से तिलक लगाकर उसे कलश पर स्थापित करें और उस पर लाल कपड़े में लपेटकर नारियल को रख दें।
– अब तुलसी के समाने घी का दीपक जलाएं। फिर उनका विवाह कराएं।
– इसके बाद गंगाजल में फूल डुबोकर ऊं तुलसाय नम: मंत्र का जाप करते हुए जल का छिड़काव तुलसी जी पर करें। ये जल शालिग्राम पर भी छिड़कें।
– इसके बाद तुलसी जी को रोली और शालिग्राम को चंदन का तिलक लगाया जाता है।
– तुलसी जी को लाल चुनरी ओढ़ाएं। उन्‍हें सुहाग की सामग्री अर्पित करें।
– फिर शालिग्राम को पंचामृत से स्नान कराएं और इन्हें पीला वस्त्र अर्पित करें।
– कलश पर फूल चढ़ाएं। तुलसी और शालिग्राम को फूलों की माला पहनाएं।
– फिर कपड़े में सुपारी ,फूल, इलायची और थोड़ी दक्षिणा रखें।

– घर में किसी पुरुष को शालिग्राम जी को हाथ में उठाकर तुलसी जी की सात बार परिक्रमा करवानी चाहिए।
– सात बार परिक्रमा करवाने के बाद तुलसी जी को शालिग्राम के बाईं और स्थापित करें।
– शालिग्राम जी को तिल अर्पित करें और कपूर जलाकर उनकी आरती उतारें।
– इस तरह पूजा करने के बाद दोनों को मिठाई और खीर पूरी का भोग लगाएं।
– पूजा खत्‍म होने के बाद सारी सामग्री और तुलसी का पौधा मंदिर में दे आएं।
– हो सके तो तुलसी के साथ आंवले का गमला भी लगाएं और तुलसी का पंचोपचार सर्वांग पूजन करें।