Mata Lakshmi Ji Ki Aarti (Laxmi Aarti) : 8 नवंबर को देव उठनी एकादशी का पर्व मनाया जायेगा। ये दिन भगवान विष्णु के योग निद्रा से जागने का होता है। देवशयनी एकादशी से चार महीने तक विश्राम करने के बाद कार्तिक शुक्ल एकादशी को भगवान विष्णु जागते हैं। मान्यता है कि माता लक्ष्मी के आग्रह पर श्री हरि ने इन 4 महीनों में आराम करने का निर्णय लिया था। देव उठनी एकादशी को देवोत्थान एकादशी और प्रबोधिनी एकादशी भी कहा जाता है। इस दिन भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी की पूजा करने का भी विधान है। लेकिन लक्ष्मी पूजन बिना इस आरती को किए अधूरा माना जाता है।
Laxmi Ji Ki Aarti: यहां पढ़े लक्ष्मी जी की आरती लिरिक्स इन हिंदी
लक्ष्मी जी की आरती (Laxmi Ji Ki Aarti) :
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता
तुम को निश दिन सेवत, हर विष्णु विधाता….
ॐ जय लक्ष्मी माता…।।
उमा रमा ब्रह्माणी, तुम ही जग माता
सूर्य चंद्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता
ॐ जय लक्ष्मी माता…।।
दुर्गा रूप निरंजनि, सुख सम्पति दाता
जो कोई तुमको ध्याता, ऋद्धि सिद्धि धन पाता
ॐ जय लक्ष्मी माता…।।
तुम पाताल निवासिनी, तुम ही शुभ दाता
कर्म प्रभाव प्रकाशिनी, भव निधि की त्राता
ॐ जय लक्ष्मी माता…।।
जिस घर तुम रहती सब सद्गुण आता
सब संभव हो जाता, मन नहीं घबराता
ॐ जय लक्ष्मी माता…।।
तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता
खान पान का वैभव, सब तुमसे आता
ॐ जय लक्ष्मी माता…।।
शुभ गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि जाता
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता
ॐ जय लक्ष्मी माता…।।
महालक्ष्मीजी की आरती, जो कोई नर गाता
उर आनंद समाता, पाप उतर जाता
ॐ जय लक्ष्मी माता…।।
देव उठनी एकादशी की पूजा विधि (Dev Uthani Ekadashi Puja Vidhi) :
इस दिन पूजा स्थल को साफ करके शाम के समय में वहां चूना और गेरू से रंगोली बनाएं। साथ ही घी के 11 दीपक देवताओं को निमित्त जलाएं। द्राक्ष,ईख,अनार,केला,सिंघाड़ा,लड्डू,पतासे,मूली आदि ऋतुफल भगवान को अर्पित करें। यह सब श्रद्धापूर्वक श्री हरि को अर्पण करने से व्यक्ति पर उनकी कृपा सदैव बनी रहती है।