Diwali 2018 Vrat Katha, Puja Vidhi: कार्तिक मास की अमावस्या के दिन दिवाली का त्योहार मनाया जाता है। इस साल दिवाली का पर्व 7 नवंबर को मनाया जा रहा है। दिवाली एक त्योहार ना होकर एक त्योहारों की एक श्रृंखला है। इस पांच त्योहार की एक श्रृंखला है। दिवाली का त्योहार दिवाली से दो दिन पूर्व आरम्भ होकर दो दिन बाद खत्म होता है। दिवाली के पर्व का शुभारंभ कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष त्रयोदशी के दिन से होता है। इस दिन धनतेरस का पर्व मनाया जाता है। इस दिन आरोग्य के देवता धन्वंतरि की विशेष पूजा की जाती है। इस दिन लोग बर्तन, आभूषण आदि खरीदते हैं। दूसरे दिन चतुर्दशी को नरक-चौदस मनाया जाता है। इसे छोटी दीवाली भी कहा जाता है। इस दिन एक पुराने दीपक में सरसों का तेल व पाँच अन्न के दाने डाल कर इसे घर की नाली के पास जलाकर रखा जाता है। यह दीपक यम दीपक कहलाता है। एक अन्य कथा के अनुसार इस दिन श्रीकृष्ण ने नरकासुर राक्षस का वध कर उसके कारागार से 16,000 कन्याओं को मुक्त कराया था और तीसरे दिन दीवाली का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन देवी लक्ष्मी व गणेश की पूजा की जाती है। आइए जानते हैं दिवाली व्रत की कथा –

लक्ष्मी जी और साहूकार की बेटी की कथा – एक गांव में एक साहूकार था, उसकी बेटी प्रतिदिन पीपल पर जल चढ़ाने जाती थी। जिस पीपल के पेड़ पर वह जल चढ़ाती थी, उस पेड़ पर लक्ष्मी जी का वास था। एक दिन लक्ष्मी जी ने साहूकार की बेटी से कहा ‘मैं तुम्हारी मित्र बनना चाहती हूँ’। लड़की ने कहा की ‘मैं अपने पिता से पूछ कर आउंगी’। यह बात उसने अपने पिता को बताई, तो पिता ने ‘हां’ कर दी। दूसरे दिन से साहूकार की बेटी ने सहेली बनना स्वीकार कर लिया। दोनों अच्छे मित्रों की तरह आपस में बातचीत करने लगी। एक दिन लक्ष्मीजी साहूकार की बेटी को अपने घर ले गई। अपने घर में लक्ष्मी जी उसका दिल खोल कर स्वागत किया। उसकी खूब खातिर की। उसे अनेक प्रकार के भोजन परोसे।

Diwali 2018 Puja Muhurat, Time, Vidhi: यहां पढ़ें

मेहमान नवाजी के बाद जब साहूकार की बेटी लौटने लगी तो, लक्ष्मी जी ने प्रश्न किया कि अब तुम मुझे कब अपने घर बुलाओगी। साहूकार की बेटी ने लक्ष्मी जी को अपने घर बुला तो लिया, परन्तु अपने घर की आर्थिक स्थिति देख कर वह उदास हो गई। उसे डर लग रहा था कि क्या वह, लक्ष्मी जी का अच्छे से स्वागत कर पायेगी? साहूकार ने अपनी बेटी को उदास देखा तो वह समझ गया, उसने अपनी बेटी को समझाया, कि तू फौरन मिट्टी से चौका लगा कर साफ-सफाई कर। चार बत्ती के मुख वाला दिया जला और लक्ष्मी जी का नाम लेकर बैठ जा। उसी समय एक चील किसी रानी का नौलखा हार लेकर उसके पास डाल गया। साहूकार की बेटी ने उस हार को बेचकर भोजन की तैयारी की। थोड़ी देर में श्री गणेश के साथ लक्ष्मी जी उसके घर आ गई। साहूकार की बेटी ने दोनों की खूब सेवा की, उसकी खातिर से लक्ष्मी जी बहुत प्रसन्न हुई। और साहूकार बहुत अमीर बन गया। हे लक्ष्मी माता आपने जैसी कृपा उस साधू पर करी वैसी ही कृपा हम सब पर करें।