Dashavatar Vrat Importance, Puja Vidhi: शास्त्रों में दशावतार व्रत का विशेष महत्व बताया गया है। इसके अनुसार दशावतार व्रत करने से जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं। और व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। दशावतार व्रत पर भगवान विष्णु के 10 रूपों की पूजा-अर्चना की जाती है। ऐसा कहा जाता है कि भगवान विष्णु ने हर काल में सृष्टि की रक्षा के लिए अवतार लिया है। इन सभी अवतारों में भगवान विष्णु के 10 अवतार काफी महत्वपूर्ण माने जाते हैं। ये हैं- मत्स्य अवतार, कूर्म अवतार, वराह अवतार, भगवान नृसिंह, वामन अवतार, श्रीराम अवतार, श्रीकृष्ण अवतार, परशुराम अवतार, बुद्ध अवतार और कल्कि अवतार। मालूम हो कि दशावतार व्रत प्रतिवर्ष भाद्रपद शुक्ल दशमी तिथि के दिन किया जाता है। इस साल यह व्रत 19 सितंबर, बुधवार को किया जाएगा।
पूजा विधि: इस दिन प्रात:काल दैनिक कार्यों से निवृत्त होकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। अब दशावतार पूजन के लिए रोली, अक्षत, दीपक, पुष्प, माला, नारियल, नैवेद्य, कपूर, फल, गंगाजल, यज्ञोपवीत, कलश, तुलसी दल, श्वेत चंदन, हल्दी, पीत एवं श्वेत वस्त्र आदि सामग्री एकत्र करें। भगवान विष्णु का स्मरण करें। विष्णु जी की मूर्ति के समक्ष दीपक जलाएं। अब सभी सामग्रियों से विष्णु जी का पंचोपचार पूजन करें। इस दिन विष्णु मंत्र जाप, विष्णु सहस्रनाम, कीर्तन, स्मरण, दर्शन, विष्णु स्तोत्र आदि का पाठ करना शुभ माना जाता है।
इसके साथ ही दशावतार व्रत के दिन विष्णु जी की कथाओं का स्मरण करने का विशेष महत्व है। इसलिए इस दिन श्रीहरि के दशावातार की कथा अवश्य ही पढ़नी चाहिए। आप इस कथा को अपने परिवार वालों और पड़ोसियों को भी सुनाएं। दशावतार व्रत पर आप भगवान विष्णु का महामंत्र- ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ का जाप करें। आप इस मंत्र को अपने सामर्थ्यनुसार 1, 5 या 11 माला अवश्य जपें। कहते हैं कि सच्ची श्रद्धा के साथ दशावतार पर भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करने से व्यक्ति के पापों का नाश होता है।