Covid-19 यानी कोरोनावाइरस (Coronavirus) ने जहां दुनिया को दहला दिया है वहीं अर्थव्यवस्था का भट्टा बैठा दिया है। पर क्यों होती है कोरोना जैसी महामारी, जानते हैं ज्योतिष के नज़रिए से। यूँ तो आकाश मंडल का हर ग्रह और देह का प्रत्येक तत्व अपनी भिन्न या विचित्र स्थिति में अथवा असंतुलित होने पर तनाव का सबब बनता है पर जो ग्रह एक साथ मानव सभ्यता के बड़े हिस्से पर असर डालता हैं वो है शनि, वृहस्पति और मंगल। शनि, राहू और केतु ये तीनों ग्रह अप्रत्याशित परिणामों के जनक माने जाते हैं। शनि जब जब अपनी स्वराशि में आता है, विचित्र स्थितियां निर्मित करता है। यह शनि दुनिया में बड़ी महामारियों का गवाह रहा है।

इतिहास के चश्मे से देखें तो 165 ईसवी में जब शनि मकर में प्रविष्ट हुए थे, तब इतालवी प्रायद्वीप में चेचक के संक्रमण से पांच मिलियन लोगों की मौत हुई थी। 252 में जब शनि जब मकर में पहुँचे तो कहा जाता है कि प्लेग ऑफ़ साइप्रियन के प्रकोप से रोम में महीनों तक हर रोज़ लगभग 5,000 से ज़्यादा लोग काल-कलवित होते रहे।

547 में जब शनि अपनी स्वराशि में पहुँचे, मिस्त्र से बूबोनिक प्लेग फैला, जिसे प्लेग ऑफ़ जस्टिनियन कहा गया। और ये वहाँ से फैल कर क़ुस्तुंतुनिया पहुँच गया जो बोस्पोरुस जलसन्धि और मारमरा सागर के संगम पर स्थित एक ऐतिहासिक शहर है, जो रोमन, बाइज़ेंटाइन, और उस्मानी साम्राज्य की राजधानी हुआ करता थी। बाइज़ैन्टीनी इतिहास लेखक प्रोसोपियस के अनुसार तब प्रतिदिन 10,000 से अधिक लोगों की मौत हो रही थी। तब इस प्लेग ने सम्पूर्ण ज्ञात विश्व की एक चौथाई जनसंख्या को समाप्त कर दिया था।

1312 में जब शनि जब अपने घर में पग धरा, यूरोप से प्लेग ने वापसी की और तब इसके क़हर से दुनिया भर में 75 मिलियन लोगों के मरने का अनुमान लगाया गया, जिसे ब्लैक डेथ कहा गया। यह रोग 1344 से 1348 में भूमध्यसागर और पश्चिमी यूरोप तक 20 से 30 मिलियन यूरोपियों के मरने का अनुमान था जो कुल जनसंख्या का एक तिहाई हिस्सा था, और शनिदेव तब भी स्वराशि में ही थे।
1666 के ग्रेट प्लेग ऑफ़ लन्दन में तब इंग्लैंड में 100,000 लोगों की मौत का कारण बना था जो तब लन्दन की 20% आबादी थी। शनि तब भी अपनी स्वयं की राशि में लंगर डाले हुए थे।

19वीं सदी के मध्य में चीन से थर्ड पैन्डेमिक ने सर उठाया जिससे केवल भारत में 10 मिलियन लोगों की मौत हो गई थी। और इसी बीमारी ने 1902 में अमेरिका के सैनफ़्रांसिस्को से शुरुआत करके वहाँ पहली बार प्लेग का क़हर बरपाया, प्लेग ने जब जब बिजली गिराई तब तब शनि अपने ही घर में चलायमान थे। यहाँ तक की गुजरात के सूरत में जब 1994 में प्लेग आफ़त मचाई, तब भी शनि अपनी ही राशि में गतिशील थे।

इस समय शनि स्वयं की राशि मकर ने चक्रमण कर रहे हैं। जो अब की मारक महामारी का मुख्य कारक बन गयी, जिसे कोरोना वाइरस कहा जा रहा है। 15 मार्च से सूर्य का राशि परिवर्तन कुछ राहत देने की नाकाम कोशिश करेगा। मंगल अभी गुरु राशि धनु में चलायमान हैं। लेकिन 22 मार्च 2020 को जब मंगल शनि की राशि मकर में चरण रखेगा, मानव सभ्यता को बेचैन करेगा। तब वो शनि के संग युति करके इस महामारी के साथ कोई और अप्रिय खबर लाएगा। यह योग किसी दुर्घटना के साथ प्राकृतिक आपदा से जान-माल की हानि का संकेत दिए जा रहा है। लेकिन 29 मार्च 2020 की शाम 7 बजकर 8 मिनट पर वृहस्पति का मकर में प्रवेश शनि-मंगल के इस उबाल पर पानी डाल देगा। शनि-वृहस्पति की युति आज के डरावने परिदृश्य में ठंडी हवा की बयार की तरह आएगी और मरहम लगाएगी। और इस महामारी की मारक तासीर में कमी आएगी। 4 मई 2020 की शाम 7 बजकर 59 मिनट पर जब मंगल शनि से पिंड छुड़ाएगा और कुंभ राशि जाएगा, विश्व की नकारात्मकता में सहसा कमी आएगी और शुभ फलों में इज़ाफ़ा होगा। और मई के मध्य परिस्थितियाँ बदल जायेंगी। सितारों का संकेत है कि इस महामारी का अंत एक झटके में हो जाएगा। तब तक सावधानी आपके कष्ट में कमी का माध्यम बनेगी।