हिंदू धर्म में कई सारी मान्यताएं प्रचलित हैं। इनमें से कई मान्याताओं के लाभ भी बताए गए हैं। आपने देखा होगा कि पूजा में तांबे के बर्तन का उपयोग किया जाता है। साथ ही कलश स्थापना के लिए भी तांबे का पात्र ही पवित्र माना गया है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि ऐसा क्यों है? हिंदू धर्म में तांबे को इतनी अहमियत क्यों दी जाती है? यदि नहीं तो आज हम आपको इस बारे में विस्तार से बताने जा रहे हैं। हिंदू धर्म में तांबे को एक पवित्र धातु माना गया है। कहते हैं कि पूजा-पाठ में तांबे के पात्रों का उपयोग करने से शुद्धता बनी रहती है। अशुद्ध ढंग से पूजा होने पर देवी-देवता के नाराज होने की मान्यता है। लेकिन तांबे के पात्र पूजा में अशुद्धता नहीं आने देते हैं।

वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी तांबे के बर्तन को अच्छा माना गया है। तांबे के बर्तन में पानी पीने से स्वास्थ्य लाभ मिलता है। तांबे के बर्तन में पानी के साथ तुलसी के पत्ते रखे जाते हैं। इसके बाद इस पानी को पूजा-पाठ में प्रसाद के रूप में वितरीत किया जाता है। इस पानी को फेफड़े के लिए काफी अच्छा माना गया है। वहीं, तुलसी मिले पानी को देवी-देवता को भोग के रूप में भी चढ़ाया जाता है। इससे देवी-देवता के शीघ्र प्रसन्न हो जाने की बात कही गई है।

आपने कलश में भी तांबे के बर्तन का उपयोग होते देखा होगा। कलश के लिए तांबे के बर्तन को अनिवार्य माना गया है। तांबे की जगह किसी अन्य धातु के बर्तन का उपयोग करने की मनाही है। माना जाता है कि कलश में तांबे का बर्तन इस्तेमाल करने से उसकी शुद्धता बनी रहती है। साथ ही कलश के अंदर डाला गया पानी दवा में तब्दील हो जाता है। इसे प्रसाद के रूप में भी ग्रहण किया जाता है जो स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है।