सावन का महीना और हरियाली एक दूसरे के पूरक माने जाते हैं क्योंकि इस महीने में हर ओर हरियाली छा जाती है। हरेली तीज जिसे कई जगहों पर हरियाली तीज के नाम से भी जाना जाता है, इस साल 23 जुलाई को मनायी जाएगी। छत्तीसगढ़ में भी इस त्योहार का विशेष महत्व है, वहां हरेली, तीजा और कर्मा जयंती जैसे त्योहार बेहद परंपरागत तरीके से मनाया जाता है। राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निवास स्थान पर इस त्योहार के उपलक्ष्य में एक खास कार्यक्रम का आयोजन हुआ। इस मौके पर पहले गाय, कृषि यंत्रों और औजारों की पूजा की गई। बता दें कि इसी आयोजन में सीएम बघेल ने अपने गोधन योजना का भी उद्घाटन किया। साथ ही, कई लाठियों के साथ करतब भी दिखाया, आइए जानते हैं-
ऐसे बनाया मौके को खास: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल इस आयोजन में पूरी तरह से देसी रंग में रंगे नजर आए। उन्होंने लाठियों के साथ कई करतब दिखाए, जिनमें बांस के डंडे पर चलना भी शामिल है। लाठी चलाने से लेकर लट्टू घुमाने तक, बघेल हर गतिविधि में सक्रिय रहे। इतना ही नहीं, वहां लगे झूलों पर भी मेले में मौजूद मंत्रियों व उनके परिवार वालों के संग सीएम बघेल नजर आए। बता दें कि छत्तीसगढ़ में हरेली को किसान नये साल के रूप में मनाते हैं।
क्या है लोगों की मान्यता: राज्य के लोग इस त्योहार को बड़े धूमधाम से मनाते हैं, इस दिन किसान अपने मवेशियों को पूजते हैं। साथ ही लोग अपनी मशीनों पर भी चावल से बने चीले का भोग लगाते हैं। हरेली तीज के मौके पर ज्यादातर लोग अपने घरों में नीम की डाली लगाते हैं, साथ ही इनके पत्तों को जलाकर पूरे घर में धुआं दिखाते हैं। ऐसा माना जाता है कि इससे घर में मौजूद कीटाणु मर जाते हैं। वहीं, इस दिन अपने भेड़-बकरियों को जड़ी-बूटी खिलाने की भी मान्यता है, ताकि वो हर बीमारी से दूर रहें।
क्या है इस त्योहार का महत्व: देश में हरेली तीज को कई नामों से जाना जाता है, कहीं लोग इसे हरियाली तीज कहते हैं तो कुछ हरितालिका तीज से संबोधित करते हैं। सावन मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाए जाने वाले इस त्योहार के दिन सुहागिन महिलाएं तीज का व्रत रखती हैं। अपने सुहाग को दीर्घायु बनाने के लिए महिलाएं ये व्रत रखती हैं। मान्यता है कि इस कथा को जो भी स्त्री पढ़ती या सुनती है वह अखंड सौभाग्यवती होती है। मनवांछित वर पाने के लिए इस दिन कई कुंवारी कन्याएं भी उपवास रखती हैं।