Chhath Aarti: छठ पूजा हर साल कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाई जाती है। इस पर्व की शुरुआत कार्तिक शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से हो जाती है। साल 2021 में छठ पर्व की शुरुआत 8 नवंबर से हुई है और इसकी समाप्ति 11 नवंबर को होगी। छठ पूजा में मुख्य रूप से भगवान सूर्य देव और छठी मैया की अराधना की जाती है। कोई भी पूजा बिना आरती के अधूरी मानी जाती है। जो लोग छठ पूजा व्रत रख रहे हैं उन्हें छठ पूजा के दौरान छठी मैया की आरती जरूर करनी चाहिए। जानिए छठी मैया की आरती।
छठ मैया की आरती (Chhath Maiya Ki Aarti):
जय छठी मैया ऊ जे केरवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मंडराए।
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए॥जय॥
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय।
ऊ जे नारियर जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मंडराए॥जय॥
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए।
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय॥जय॥
अमरुदवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मंडराए।
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए॥जय॥
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय।
शरीफवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मंडराए॥जय॥
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए।
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय॥जय॥
ऊ जे सेववा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मेड़राए।
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए॥जय॥
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय।
सभे फलवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मंडराए॥जय॥
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए।
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय॥जय॥
छठ पूजा का महत्व: मान्यता है छठ पूजा करने से व्यक्ति की हर मनोकामना पूर्ण होती है। घर परिवार में खुशी और संपन्नता आती है। कई लोग संतान प्राप्ति के लिए भी छठ पूजा करते हैं। छठ पूजा के पहले अर्घ्य से आंखों की रोशनी बढ़ने की मान्यता है साथ ही लंबी उम्र का वरदान प्राप्त होता है। वहीं अंतिम अर्घ्य से संतान संबंधी दिक्कतें दूर होती हैं। हृदय और हड्डियों की समस्या में सुधार होता है।