Panchak November 2023 Date: हिंदू धर्म में शुभ और मांगलिक कार्यों को करने से पहले शुभ मुहूर्त जरूर देखा जाता है, जिससे भविष्य में अच्छा फल मिले। ऐसे ही हर महीने में 5 दिन ऐसे होते हैं जिनमें शुभ काम या फिर मांगलिक कामों को करने की मनाही होती है।बता दें दि नवंबर माह में 20 तारीख से पंचक शुरू हो रहे हैं, जो अगले 5 दिनों तक चलेंगे। सोमवार के दिन से शुरू होने के कारण इन्हें राज पंचक कहा जाएगा। यह पंचक सरकारी कामों के लिए काफी शुभ माना जाता है। मान्यता है कि राज पंचक के दौरान सरकारी काम, संपत्ति से जुड़े कामों को करने से अवश्य सफलता मिलती है। बता दें कि 20 तारीख को छठ महापर्व का आखिरी दिन होगा। जानें पंचक कब से कब तक है और किन कामों को करने की है मनाही…
कब से कब तक है पंचक?
हिंदू पंचांग के अनुसार, 20 नवंबर, सोमवार को सुबह 10 बजकर 7 मिनट से पंचक शुरू हो रहे हैं, जो 24 नवंबर , शुक्रवार को शाम 4 बजकर 1 मिनट पर समाप्त हो रहे हैं। इस साल छठ महापर्व के अंतिम दिन में राज पंचक रहेगा।
राज पंचक माने जाते हैं शुभ
शास्त्रों के अनुसार, पंचक को अशुभ माना जाता है, लेकिन सोमवार के दिन से शुरू होने वाले पंचक यानी राज पंचक को शुभ माना जाता है। इन पांच दिनों में कार्यों में सफलता हासिल होती है खासकर सरकारी, संपत्ति से जुड़े मामलों में अवश्य सफल होते हैं।
क्यों पड़ते है पंचक?
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, चंद्र और नक्षत्रों की स्थिति के कारण हर मास में पंचक लगते हैं। जब चंद्रमा ग्रह धनिष्ठा नक्षत्र के तृतीय चरण और शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद तथा रेवती नक्षत्र के चारों चरणों में भ्रमण करता है, तो इस पूरे काल को पंचक काल कहा जाता है। इस तरह चन्द्र का कुंभ और मीन राशि में भ्रमण पंचकों को जन्म देता है। साधारण शब्दों में कहे, तो धनिष्ठा, शतभिषा, उत्तराभाद्रपद, पूर्वा भाद्रपद व रेवती नक्षत्र के मेल से बनने वाले विशेष योग को ‘पंचक’ कहा जाता है।
पंचक काल में न करें ये काम
- पंचक के दौरान कुछ कामों को करने की मनाही होती है।
- पंचक के दौरान दक्षिण दिशा की यात्रा करने की मनाही होती है, क्योंकि दक्षिण दिशा को यम की दिशा कही जाती है।
- पंचक के दौरान अगर रेवती नक्षत्र है, तो घर की छत नहीं बनवानी चाहिए। कहा जाता है कि ऐसा करने से धन हानि के साथ गृह क्लेश बना रहता है।
- पंचक के दौरान शव का अंतिम संस्कार करने से पहले पंडित से सलाह जरूर लेनी चाहिए। अगर ऐसा न हो पाएं, तो शव के साथ पांच आटा या कुश के पुतले रखे जाते हैं। इसके साथ ही उनका भी विधिवत तरीके से अंतिम संस्कार किया जाता है। ऐसा करने से पंचक दोष नहीं लगता है।
- पंचक के दौरान अगर धनिष्ठा नक्षत्र है, तो घास, लकड़ी आदि जलने वाली वस्तुएं इकट्ठी नहीं की जाती है। मान्यता है कि ऐसा करने से आग लगने का भय बना रहता है।
- पंचक के दौरान चारपाई बनवाने की मनाही होती है। मान्यता है कि इस दौरान चारपाई बनाने से कोई बड़े संकट को आप दावत देते हैं।
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