Chhat Puja: छठ पूजा उत्तर भारत में महिलाओं द्वारा की जाने वाली एक प्रकार की सूर्य पूजा है। इस व्रत के दौरान महिलाएं निर्जल व्रत रखती हैं और सूर्य को अर्घ्य देकर इस व्रत को तोड़ती हैं। यह व्रत सौभाग्य और समृद्धि और संतान प्राप्ति के लिए किया जाता है। सूर्य षष्ठी व्रत वर्ष में दो बार मनाया जाता है। जिसमें चैत्र शुक्ल पक्ष की षष्ठी को मनाए जाने वाले छठ पर्व को चैती छठ तथा कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी को मनाए जाने वाले पर्व को कार्तिकी छठ कहते हैं।

भगवान कार्तिकेय की पत्नी षष्ठी देवी को भगवान ब्रह्मा की मानसपुत्री भी कहा जाता है। माना जाता है कि छठिमैया की पूजा से प्रसन्न होकर वह निःसंतान बच्चों को लंबी उम्र का आशीर्वाद देती हैं। इस व्रत में पूजा के लिए बांस की टोकरी को फल, फूल, ठेकुआ और पूजा से संबंधित अन्य वस्तुओं से सजाया जाता है और फिर डूबते सूरज को अर्घ्य दिया जाता है।

छठ पूजा 2022 शुभ मुहूर्त

संध्या अर्घ्य के लिए सूर्यास्त का समय: 30 अक्टूबर को शाम 05 बजकर 37 मिनट से,
उषा अर्घ्य के लिए सूर्योदय का समय: 31 अक्टूबर को सुबह 06 बजकर 31 मिनट तक

छठ पूजा का दिनछठ पूजा अनुष्ठानदिनांक
छठ पूजा का पहला दिननहाये-खायेशुक्रवार, 28 अक्टूबर, 2022
छठ पूजा का दूसरा दिनखरनाशनिवार, 29 अक्टूबर, 2022
छठ पूजा का तीसरा दिनसंध्या अर्घ्यरविवार, 30 अक्टूबर, 2022
छठ पूजा का चौथा और अंतिम दिनउषा अर्घ्यसोमवार, 31 अक्टूबर, 2022

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पूजा से पहले घर ले आएं ये सामग्री

पूजा के लिए ही सिंदूर, धूपबत्ती, कुमकुम, चंदन, चावल और कपूर की भी जरूरत पड़ेगी। इसके साथ ही फलों में आप शकरकंदी, मूली, बैंगन, शरीफा, केला, नाशपाती और बड़ा डाभ या नींबू, सुथनी आदि खरीद लें। इसके अलावा पूजा के लिए कुछ छोटे दीप, कई बाती, चौमुख दीप और तेल की भी जरूरत पड़ेगी जिसे घाट पर जलाया जाएगा।

वहीं प्रसाद के लिए सूजी और मैदा खरीदना न भूलें। इससे गुजिया और दूसरे प्रसाद तैयार किए जाएंगे। इसके अलावा मिठाई में आप लड्डू, खाजा, मिठाई, शहद ले सकते हैं। काले छोटे देसी चने भी प्रसाद में इस्‍तेमाल किए जाते हैं। पूजा के लिए सबसे अहम सामग्री में सूप और बांस का एक डाला ले लें। डाले के साथ टोकरी भी खरीदें। इस डाले और टोकरी में ही पूजन की सामग्री और छठी मैया के लिए प्रसाद रखकर घाट पर ले जाया जाता है।

इन सबके अलावा नए गेहूं और चावल के आटे चाहिए, जिससे छठी मैया के लिए ठेकुआ और प्रसाद बनाया जाता है। वहीं एक-एक ग्लास, लोटा और थाली की जरूरत पड़ेगी जिसमें दूध और जल आदि रखना होता है। चीनी के जगह छठी मैया के प्रसाद को बनाने लिए गुड़ का इस्‍तेमाल किया जाता है।