Chhath Puja 2021: छठ पर्व की शुरुआत इस साल 8 नवंबर से हो चुकी है और इसकी समाप्ति 11 नवंबर को होगी। छठ को छठी माई, छठ माई पूजा, सूर्य षष्ठी इत्यादि नामों से जाना जाता है। ये पर्व मुख्य तौर पर सूर्य देव को समर्पित है। यह पूजा भगवान सूर्य और छठी मैया की कृपा प्राप्त करने के लिए की जाती है। छठ व्रत मुख्य रूप से संतान सुख की प्राप्ति और परिवार की सुख समृद्धि के लिए रखा जाता है। जानिए ज्योतिष अनुसार छठ पूजा के दौरान किन कार्यों को करने से जीवन में खुशहाली और धन-धान्य आने की है मान्यता।

-अगर संभव हो तो छठ पूजा के दौरान घाट बनाने में अपना सहयोग दें। मान्यता है कि ऐसा करने से सारी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं।
-जरूरतमंदों की सहायता करें। जो व्यक्ति छठ पूजा करना चाहता है लेकिन छठ पूजा की तैयारी करने में सक्षम नहीं है उसकी सहायता करें। ऐसा करने से छठी मैया और भगवान सूर्य का आशीर्वाद प्राप्त होने की मान्यता है।
-ऐसी मान्यता है कि छठ पूजा का प्रसाद जितने अधिक लोगों में बांटा जाता है उतना ही ये फलित होता है।
-छठ पूजा के दौरान साफ-सफाई पर विशेष ध्यान दिया जाता है। न सिर्फ घर की सफाई बल्कि जहां आप नदी, तट या तालाब में पूजा करने जा रहे हैं वहां भी गंदगी न छोड़ें।
-छठ पूजा में सूर्य देव को दूध से अर्घ्य देना पुण्य फलदायी माना जाता है।
-छठ पूजा सच्चे मन से और विधि विधान करने से घर परिवार में हमेशा सुख समृद्धि बनी रहती है।

छठ पर्व का महत्व: पौराणिक मान्यताओं अनुसार राजा प्रियव्रत की कोई संतान नहीं थी जिस वजह से वो और उनकी पत्नी दुखी रहते थे। पुत्र प्राप्ति के लिए उन्होंने यज्ञ कराया। इसके बाद महारानी मालिनी को एक पुत्र की प्राप्ति हुई लेकिन दुर्भाग्य से वह शिशु मृत पैदा हुआ। इस बात से राजा बेहद दुःखी हो गए और उन्होंने आत्महत्या करने सी सोची। तभी आकाश से एक विमान उतरा जिसमें माता षष्ठी विराजमान थीं। माता षष्ठी ने अपना परिचय देते हुए कहा कि- मैं षष्ठी देवी हूं। मैं विश्व के सभी बालकों की रक्षा करती हूं और निःसंतानों को संतान प्राप्त होने का वरदान देती हूं। यदि तुम मेरी पूजा करोगे तो मैं तुम्हें पुत्र रत्न प्रदान करूंगी। देवी की बातों से प्रभावित होकर राजा और उनकी पत्नी ने कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को देवी छठी की विधि विधान पूजा की। इस पूजा के फलस्वरूप उन्हें सुंदर पुत्र की प्राप्ति हुई। कहा जाता है कि तभी से छठ पर्व मनाया जाने लगा।

एक अन्य कथा के अनुसार जब पांडव अपना सारा राजपाट जुए में हार गए थे, तब द्रौपदी ने छठ व्रत किया था। इस व्रत के प्रभाव से पांडवों को राजपाट वापस मिल गया। (यह भी पढ़ें- संध्या अर्घ्य की पूजन सामग्री और प्रसाद कर लें तैयार, जानिए पूजा विधि और मुहूर्त)