Chhath Puja 2021: छठ पूजा की शुरुआत कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि से होती है। ये पर्व लगातार चार दिनों तक चलता है। उत्तर भारत में विशेष तौर पर बिहार और उत्तरप्रदेश में ये पर्व मनाया जाता है। छठ पूजा घर परिवार के लोग साथ मिलकर करते हैं। पौराणिक मान्यताओं अनुसार छठ मैया सूर्य देव भगवान की बहन हैं। कहते हैं जो व्यक्ति इस दौरान भगवान सूर्य की विधि विधान पूजा करता है, व्रत करता है उसे छठ मैया का आशीर्वाद प्राप्त होता है। जिससे उसके घर परिवार में खुशहाली बनी रहती है। इस बार छठ पर्व 8 नवंबर से लेकर 11 नवंबर तक मनाया जायेगा।

छठ पूजा का महत्व: छठ पूजा करने का सबका अपना-अपना कारण होता है। लेकिन मुख्य रूप से ये पूजा घर परिवार में खुशी और संपन्नता के लिए की जाती है। माना जाता है जो व्यक्ति सूर्य देव की अराधना करता है उसे अच्छी सेहत प्राप्त होती है। साथ ही उसके घर में धन-धान्य की कभी कमी नहीं होती। छठ मैया संतान सुख प्रदान करने वाली भी मानी जाती हैं। कहते हैं छठ पूजा करने से व्यक्ति की हर मनोकामना पूर्ण होती है।

कैसे मनाते हैं छठ का पर्व? छठ पूजा का त्योहार मुख्य रूप से कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है। लेकिन इसकी शुरुआत चतुर्थी तिथि से हो जाती है। छठ पर्व का पहला दिन नहाय खाय के साथ शुरू होता है। इस दिन व्रती लोग स्नान कर नए कपड़े पहनते हैं और शुद्ध भोजन करते हैं। सबसे पहले व्रत रखने वाले लोग खाना खाते हैं उसके बाद घर के अन्य लोग भोजन ग्रहण करते हैं।

छठ पूजा का दूसरा दिन जिसे खरना कहते हैं। इस दिन पूरे दिन व्रत रखना होता है और शाम के समय भोजन ग्रहण किया जाता है। इस दिन शाम तक अन्न और जल ग्रहण नहीं किया जाता। शाम के समय चावल और गुड़ से बनी खीर बनाई जाती है। खीर खाकर 36 घंटे का कठिन व्रत रखा जाता है और छठ पूजा के प्रसाद की तैयारी की जाती है।

छठ पूजा के तीसरे दिन डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देने का विधान है। इस दिन छठ पूजा का प्रसाद बनाया जाता है जिसमें मुख्य प्रसाद है ठेकुआ। इस दिन चावल के लड्डू भी बनाए जाते हैं। बनाए गए प्रसाद को और फलों को बांस की टोकरी में सजाया जाता है। शाम के वक्त किसी नदी, तालाब, कुण्ड आदि में खड़े होकर ढलते हुए सूर्य को अर्घ्य देते हुए नमस्कार किया जाता है। अर्घ्य के समय सूर्य देव को जल और दूध चढ़ाया जाता है और प्रसाद भरे सूप से छठी मैया की पूजा की जाती है। इस दिन रात्रि में छठी माता के गीत गाए जाते हैं और व्रत कथा सुनी जाती है।

छठ पर्व के अंतिम दिन सुबह उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। व्रती इस दिन सूर्योदय से पहले नदी के घाट पर पहुंचकर सूर्य देव को अर्घ्य देते हैं। छठ माता से परिवार की खुशहाली की कामना करते हैं। पूजा के बाद प्रसाद सभी में बांट दिया जाता है। व्रती कच्चे दूध का शरबत पीकर और थोड़ा प्रसाद खाकर व्रत पूरा करते हैं।