आज(14 अगस्त) को जन्माष्टमी मनाई जा रही है। जन्माष्टमी के दिन श्रद्धालू भगवान श्री कृष्ण की पूजा करते हैं और कई लोग व्रत भी रखते हैं। बताया जाता है कि इस दिन व्रत रखने से घर में सुख, शांति और समृद्धि आती है। ऐसे मौके पर हम आपको बताने जा रहे हैं जन्माष्टमी की व्रत विधि। हालांकि, इस दिन व्रत के लिए कोई विशेष नियम नहीं हैं। श्रद्धालू अपनी इच्छा के मुातबिक व्रत रखते हैं और भगवान श्री कृष्ण की पूजा करते हैं। हां, यह बात भी याद रखना है कि जिनकी श्रद्धा व्रत रखने की नहीं है, उनके लिए इस दिन उपवास रखना जरूरी नहीं है। ऐसे लोग अपने मन में श्रद्धा रखकर भी व्रत कर सकते हैं। भगवान श्री कृष्ण आपकी भक्ति स्वीकार करेंगे।
हिंदू धर्म के मुताबिक प्रत्येक इंसान को जन्माष्टमी का व्रत करना चाहिए। इसमें बुजुर्ग, रोगी और बच्चों को छूट है। जन्माष्टमी के दिन जो भी व्रत रखते हैं वे सुबह स्नान करके माता देवकी के लिए सूतिका गृह बनाएं। इसे फूलों से सजाएं। सूतिका गृह में बाल गोपाल सहित माता देवकी की मूर्ति स्थापित करें। इसके बाद देवकी मां, भगवान श्री कृष्ण, यशोदा माता, वसुदेव और माता लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए।
कन्हैया को भी इस दिन स्नान कराना चाहिए। स्नान के बाद उन्हें पीले रंग के कपड़े धारण करवाएं और पीले रंग के आभूषणों से उनका श्रृंगार करें। श्रृंगार करने के बाद उन्हें झूले पर झुलाएं और उसके बाद सिंहासन पर विराजमान कर दें।
जन्माष्टमी पर पूरे दिन उपवास रखने के बाद कृष्ण भगवान के जन्म के बाद भोजन ग्रहण किया जाता है। इस दिन कुछ लोग निराहार व्रत करते हैं तो वहीं कुछ लोग केवल फल खाकर व्रत रखते हैं। कुछ लोग फलाहार के साथ भी व्रत रखते हैं। दिन भर उपवास रखने के बाद रात में 11 बजे स्नान करके शास्त्रानुसार विधि पूर्वक नंदलाल की पूजा करनी चाहिए। रात में 12 बजे के बाद भगवान श्री कृष्ण के जन्म के बाद उन्हें दूध, दही, घी, मिश्री और गंगाजल अभिषेक करते हैं। इसके अलावा मखन, मिश्री, पंजीरी और खीरा-ककड़ी का भोग लगाकर भगवान श्री कृष्ण की आरती करनी चाहिए। कुछ लोग इस दिन भगवान श्री कृष्ण को 56 या 108 तरह के पकवानों का भोग भी लगाते हैं, हालांकि, यह जरूरी नहीं है। कई लोग पूरी रात भजन-कीर्तन करते हैं।
