Navratri 2024 8th Day, Maa Mahagauri Ji Ki Aarti, Mantra, Vrat Katha Lyrics in Hindi: देवी भागवत पुराण के अनुसार नवरात्रि की अष्टमी का विशेष महत्व है। क्योंकि इस दिन कुछ लोग कन्या पूजन करते हैं। इस दिन की देवी महागौरी हैं। देवी महागौरी मां दुर्गा का आठवां स्वरूप है। वहीं  शास्त्रों के अनुसार भगवान शिव के वरदान से देवी को अति गौर वर्ण प्राप्त हुआ। साथ ही मां महागौरी की विधिवत पूजा करने से सुख-समृद्धि, धन-संपदा के साथ लंबी आयु का वरदान प्राप्त होता है। आइए जानते हैं मां महागौरी का भोग, मंत्र, स्तुति, कवच और आरती…

महागौरी का भोग

मां महागौरी को नारियल की बर्फी और लड्डू की भोग लगाएं। साथ ही नारियल का भी भोग लगा सकते हैं। वहीं माता को मोगरे का फूल अति प्रिय है। इसलिए माता के चरण में मोगरे का फूल अर्पित करें।

कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त

वैदिक पंचांग के मुताबिक अष्टमी तिथि पर कन्या पूजन के लिए 16 अप्रैल को दो शुभ मुहूर्त बन रहे हैं। जिसमें पहले मुहूर्त 7 बजकर 52 मिनट से आरंभ होकर 10 बजकर 42 मिनट तक रहेगा। वहीं दूसरा शुभ मुहूर्त अभिजीत मुहूर्त रहेगा। जो 11 बजकर 54 मिनट से शुरू होकर दोपहर 12 बजकर 46 मिनट तक रहेगा। इन दोनों मुहूर्त में कन्या पूजन करना शुभ फलदायी रहेगा।

मां का ध्यान मंत्र

श्वेते वृषेसमारूढा श्वेताम्बरधरा शुचिः।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेव प्रमोददा॥

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ महागौरी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

माता महागौरी की ध्यान

वन्दे वांछित कामार्थे चन्द्रार्घकृत शेखराम्।
सिंहरूढ़ा चतुर्भुजा महागौरी यशस्वनीम्॥
पूर्णन्दु निभां गौरी सोमचक्रस्थितां अष्टमं महागौरी त्रिनेत्राम्।
वराभीतिकरां त्रिशूल डमरूधरां महागौरी भजेम्॥
पटाम्बर परिधानां मृदुहास्या नानालंकार भूषिताम्।
मंजीर, हार, केयूर किंकिणी रत्नकुण्डल मण्डिताम्॥
प्रफुल्ल वंदना पल्ल्वाधरां कातं कपोलां त्रैलोक्य मोहनम्।
कमनीया लावण्यां मृणांल चंदनगंधलिप्ताम्॥

महागौरी की स्तोत्र पाठ

सर्वसंकट हंत्री त्वंहि धन ऐश्वर्य प्रदायनीम्।
ज्ञानदा चतुर्वेदमयी महागौरी प्रणमाभ्यहम्॥
सुख शान्तिदात्री धन धान्य प्रदीयनीम्।
डमरूवाद्य प्रिया अद्या महागौरी प्रणमाभ्यहम्॥
त्रैलोक्यमंगल त्वंहि तापत्रय हारिणीम्।
वददं चैतन्यमयी महागौरी प्रणमाम्यहम्॥

माता महागौरी की कवच

ओंकारः पातु शीर्षो मां, हीं बीजं मां, हृदयो।
क्लीं बीजं सदापातु नभो गृहो च पादयो॥
ललाटं कर्णो हुं बीजं पातु महागौरी मां नेत्रं घ्राणो।
कपोत चिबुको फट् पातु स्वाहा मा सर्ववदनो॥

महागौरी माता की आरती

जय महागौरी जगत की माया।
जया उमा भवानी जय महामाया।।
हरिद्वार कनखल के पासा।
महागौरी तेरा वहां निवासा।।
चंद्रकली और ममता अंबे।
जय शक्ति जय जय मां जगदंबे।।
भीमा देवी विमला माता।
कौशिकी देवी जग विख्याता।।
हिमाचल के घर गौरी रूप तेरा।
महाकाली दुर्गा है स्वरूप तेरा।।
सती ‘सत’ हवन कुंड में था जलाया।
उसी धुएं ने रूप काली बनाया।।
बना धर्म सिंह जो सवारी में आया।
तो शंकर ने त्रिशूल अपना दिखाया।।
तभी मां ने महागौरी नाम पाया।
शरण आनेवाले का संकट मिटाया।।
शनिवार को तेरी पूजा जो करता।
मां बिगड़ा हुआ काम उसका सुधरता।।
भक्त बोलो तो सोच तुम क्या रहे हो।
महागौरी मां तेरी हरदम ही जय हो।।

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